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मुहल्लानामा : हाफिज रहमत खां की कोठी पर ब्रिटिश हुकूमत ने बरसाए थे गोले Bareilly News

रुहेला नवाब हाफिज रहमत खां के कठोर रिसालेदारों में से थे। रिसालेदार फौज की टुकड़ी के इंचार्ज को कहा जाता था।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Mon, 12 Aug 2019 11:13 AM (IST)Updated: Mon, 12 Aug 2019 11:13 AM (IST)
मुहल्लानामा : हाफिज रहमत खां की कोठी पर ब्रिटिश हुकूमत ने बरसाए थे गोले Bareilly News
मुहल्लानामा : हाफिज रहमत खां की कोठी पर ब्रिटिश हुकूमत ने बरसाए थे गोले Bareilly News

बरेली [वसीम अख्तर] : किला इलाके का मुहल्ला बजरिया संदल खां शहर के पुराने मुहल्लों में से एक है। वर्तमान में इसकी पहचान मछली बाजार के तौर पर है लेकिन पुराने दौर पर नजर डालने से पता चलता है कि यह मुहल्ला संदल खां के नाम से आबाद हुआ, जिन्हें शाहना भी कहते थे।

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वह रुहेला नवाब हाफिज रहमत खां के कठोर रिसालेदारों में से थे। रिसालेदार फौज की टुकड़ी के इंचार्ज को कहा जाता था। वह ज्यादातर जंगों में हाफिज रहमत खां के साथ रहे। उन्हें लेकर एक किस्सा मशहूर है। वह यह कि हाफिज रहमत खां को कत्ल करने आए शख्स की आखें निकलवा ली थीं।

इतिहास के जानकार शाहीन रजा जैदी बताते हैं कि जब हाफिज रहमत र्खां जिंदा थे तो उन्हें कत्ल करने के लिए एक शख्स ने महल में आकर हमला किया था। तब उसे पकड़कर संदल खां के हवाले कर दिया गया। जिन्होंने उसे कठोर सजा दी। हाफिज रहमत खां को पता चला कि संदल खां ने कत्ल करने आने वाले की आंखें निकलवा ली हैं तो वह बहुत नाराज हुए। इतने कि हुक्म जारी कर दिया कि अगर कत्ल करने आने वाले कि आंखें ठीक नहीं हुईं तो संदल खां की आंखें निकलवा लेंगे। गर्ज यह कि उस शख्स का इलाज कराया गया और उसकी आंखें ठीक हुईं। बाद में उसके लिए एक रुपया माह रियासत की तरफ से मुकर्रर हुआ। यह किस्सा ‘हयात-ए-हाफिज रहमत खां’ किताब में भी लिखा है।

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तहस-नहस कर दी गई थी कोठी 
नगर निगम के कार्यवाहक मेयर एवं नैनीताल वोट क्लब के उपाध्यक्ष नसीम अहमद खां बताते हैं कि मुहल्ले में उनके पुरखों ने कोठी का निर्माण कराया था, जो अब भी है। इस कोठी को ब्रिटिश हुकूमत में गोले बरसाकर तहस-नहस कर दिया था। बाद में इसका पुर्ननिर्माण कराया गया। यह कोठी नवाब दुलारे खां के नाम से मशहूर है, जो नगर पालिका परिषद के लंबे समय तक चेयरमैन रहे। नसीम अहमद खां के मुताबिक उनका ताल्लुक हाफिज रहमत खां से है, हम उनकी सातवीं पीढ़ी से हैं।

मुहल्लानामा-बाजार संदल खां स्थित नवाब दुलारे खां की कोठी। जागरण

मजार भी हैं मुहल्ले की पहचान
बजरिया संदल खां में ही हजरत वली मियां रहमतुल्ला अलैह का मजार है। जहां मजार है, वह जगह वली मियां के नाम से मशहूर है। थोड़ा आगे आने पर हैदर शाह का मजार भी है। एक रोड का नाम विकार अहमद खां के नाम पर है। यहां चेहल्लुम में बड़ा जुलूस भी निकलता है।

फौज मूवमेंट के लिए विख्यात इलाका 
नवाब खानदान से ही ताल्लुक रखने वाले अरशद खां बताते हैं कि यह पूरा इलाका ही फौज के मूवमेंट और जंग को लेकर विख्यात है। पहले किला के अलावा यहां जंगल था। वक्त गुजरने के साथ आबादी बढ़ती चली गई।

अच्छी बी बताती हैं कि मुहल्ले में सराय हुआ करती थी। बाहर से आने वाले लोगों को यहीं ठहराया जाता था। अब यह हिस्सा घरों की शक्ल ले चुका है। पहले फौज में भर्ती होने के लिए आने वाले लोग भी सराय में ही ठहरते थे।

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