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एक सीट की दो कुर्सियां दांव पर..., अपनी साख बचाने में जुटी भाजपा; यूपी के इस जिले में बेहद दिलचस्प हुआ मुकाबला

Lok Sabha Election 2024 बाराबंकी की सियासत की चौसर पर दो कुर्सियों पर दांव लगा है। एक कुर्सी लोक सभा सदस्य तो दूसरी जिला पंचायत अध्यक्ष की है। दोनों पर ही भाजपा की साख लगी है। ये कुर्सियां कैसे बचाई जाएं इसको लेकर खासकर भाजपा में मंथन तेज हो गया है। वहीं विपक्ष भी जोर-शोरों से लगा है। आनंद त्रिपाठी की रिपोर्ट ...।

By Anand Tripathi Edited By: Abhishek Pandey Published: Tue, 02 Apr 2024 04:32 PM (IST)Updated: Tue, 02 Apr 2024 04:32 PM (IST)
एक सीट की दो कुर्सियां दांव पर..., अपनी साख बचाने में जुटी भाजपा

आनंद त्रिपाठी, बाराबंकी। जिला पंचायत अध्यक्ष राजरानी रावत को भाजपा ने लोक सभा प्रत्याशी बनाया है। यदि राजरानी चुनाव जीत कर संसद पहुंच जाती हैं, तो जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर उप चुनाव होगा। उप चुनाव में एक बार फिर भाजपा से टिकट पाने के लिए भाजपा के ही अन्य सदस्य टिकट दावेदारी करेंगे।

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यही नहीं, सपा को छोड़कर भाजपा में हाल ही में शामिल हुए कुछ जिला पंचायत सदस्य भी अध्यक्ष बनने का सपना संजोए हैं। दूसरी ओर सपा से जो सदस्य लोक सभा का टिकट मांग रहे थे, वे भी अध्यक्ष की कुर्सी खाली होने पर अपनी दावेदारी करेंगे। इनमें सपा से सांसद रह चुके राम सागर रावत का नाम भी प्रमुख है।

राम सागर रावत लड़े थे अध्यक्ष का चुनाव

राम सागर रावत अध्यक्ष बनने की मंशा से ही जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़े थे, लेकिन अध्यक्ष पद पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उन्हें टिकट नहीं दिया था। जिला पंचायत चुनाव से पहले भाजपा समर्थित कही जाने वाली नेहा आनंद ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद का सपा से टिकट पाने में सफलता अर्जित कर ली, लेकिन अपनों ने ही इन्हें दगा दे दिया था। ऐसे में उन्हें मात्र आठ मत पाकर संतोष करना पड़ा था।

दोबारा अध्यक्ष पद के चुनाव की नौबत आई तो पूर्व सांसद सागर रावत सहित अन्य सदस्य भी सपा से टिकट लेकर अध्यक्ष पद पर जोर आजमाइश करेंगे। ऐसे में भाजपा के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी को भी उप चुनाव में बचाए रखना चुनौती पूर्ण होगा।

राजरानी रावत अब तक जिला पंचायत सदस्य का चुनाव वर्ष 1995, 2000 और 2021 में तीन बार लड़कर जीत चुकी हैं। वर्ष 2021 में राजरानी रावत को जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में 48 व सपा प्रत्याशी नेहा आनंद को मात्र आठ मत मिले थे। एक मत पत्र सादा निकला, जिसे अवैध घोषित किया गया था।

लोक सभा में दोनों दूसरी बार मैदान में

लोक सभा के लिए बसपा को छोड़कर सभी प्रमुख दलों ने अपने-अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। सपा-कांग्रेस गठबंधन में यह सीट कांग्रेस के खाते में गई है। कांग्रेस ने तनुज पुनिया को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, भाजपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष राजरानी रावत को मैदान में उतारा है।

भाजपा ने जहां महिला प्रत्याशी पर दांव लगाकर आधा आबादी को सशक्त बनाने का संदेश दिया है तो वहीं कांग्रेस-सपा गठबंधन तनुज पुनिया को उतारकर युवाओं में अपनी पैठ मजबूत बनाने की रणनीति पर काम कर रहा है। तनुज दूसरी बार कांग्रेस के टिकट पर लोक सभा के चुनाव में ताल ठोक रहे हैं।

वह वर्ष 2019 में पहली बार लोक सभा चुनाव लड़े थे, जिसमें उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। राजरानी रावत का भी यह दूसरा लोक सभा चुनाव है। वह 2014 में सपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुकी हैं, जिसमें उनकी पराजय हुई थी।

अध्यक्ष रहते किसी ने अबतक नहीं लड़ा चुनाव

जिले की राजनीति में यह पहली बार देखने को मिलेगा कि कोई जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर रहते हुए लोकसभा का चुनाव लड़ रहा है। पिछले कई मामलों में यह जरूर देखा गया है कि अध्यक्ष पद से हटने के बाद लोगों ने अलग-अलग चुनावों में हाथ आजमाया हो। वर्तमान में नगर पालिका की अध्यक्ष इस बात का उदाहरण हैं।

लोकसभा क्षेत्र से बड़ा जिला पंचायत का दायरा

बाराबंकी लोकसभा क्षेत्र की तुलना में जिला पंचायत का दायरा बड़ा है। लोकसभा क्षेत्र में दरियाबाद विधानसभा पूरी तरह से अयोध्या में शामिल है, जबकि जिला पंचायत में सभी विधानसभा क्षेत्र पूरी तरह से जुड़े हुए हैं।

लोकसभा सीट बाराबंकी पर एक नजर

1951 : गंगा देवी, कांग्रेस

1957 : रामसेवक यादव, कांग्रेस

1962 : रामसेवक यादव, सोशलिस्ट पार्टी

1967 : आरएस यादव, सोशलिस्ट पार्टी

1971 : कुंवर रुद्र प्रताप सिंह, कांग्रेस

1977 : राम किंकर, जनता पार्टी

1980 : राम किंकर, बीएलडी

1984 : कमला प्रसाद, कांग्रेस

1989 : राम सागर, जनता दल

1991 : राम सागर, सपा

1996 : राम सागर, समाजवादी

1998 : बैजनाथ रावत, भाजपा

1999 : राम सागर, समाजवादी

2004 : कमला प्रसाद, बीएसपी

2009 : डा. पीएल पुनिया, कांग्रेस

2014 : प्रियंका सिंह रावत, भाजपा

2019 : उपेंद्र सिंह रावत, भाजपा

अब तक हुए जिला पंचायत अध्यक्ष

1952-75 : महंत जगन्नाथ बख्शदास

1975-89 : जिलाधिकारी/ प्रशासक

1989-95 : देव नारायण सिंह

1995-2000 : राम गोपाल

2000-2006 : कुसुम सिंह

2006-2016 : शीला सिंह

2016-2021 : अशोक सिंह

2021-अब तक : राजरानी रावत

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