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Baghpat: बड़ौत-मेरठ मार्ग के चौड़ीकरण की उम्मीद टूटी, प्रस्ताव हुआ रद, लोनिवि को मरम्मत करने की अनुमति की आस

वर्षों से निर्माण की बाट जोह रहा मार्ग वर्ष 2008 में मायावती के शासनकाल में बड़ौत-मेरठ मार्ग का निर्माण कराया गया था। सपा के शासन के अंतिम दौर में बेहद खस्ताहाल होने के बाद रोड़ी की एक परत डालकर इसे वाहनों के चलने लायक बनाया गया था।

By Rajeev KumarEdited By: Shivam YadavPublished: Sun, 30 Oct 2022 11:44 PM (IST)Updated: Mon, 31 Oct 2022 04:00 AM (IST)
बड़ौत-मेरठ मार्ग के चौड़ीकरण का प्रस्ताव रद, मरम्मतीकरण की फाइल चली।

बागपत, जागरण टीम। बड़ौत-मेरठ मार्ग के चौड़ीकरण के साथ ही इस मार्ग का नए सिरे से निर्माण होने की जो उम्मीद जगी थी, वह टूट गई है। शासन ने मार्ग चौड़ीकरण के प्रस्ताव को नकार दिया है। इसके बाद अब लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) ने इस मार्ग के ऊपर महीन रोड़ी की एक लेयर डालकर मरम्मत कराने का प्रस्ताव शासन को भेजा है, जिसे मंजूर होने की उम्मीद की जा रही है। 

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वर्षों से निर्माण की बाट जोह रहा मार्ग वर्ष 2008 में मायावती के शासनकाल में बड़ौत-मेरठ मार्ग का निर्माण कराया गया था। सपा के शासन के अंतिम दौर में बेहद खस्ताहाल होने के बाद रोड़ी की एक परत डालकर इसे वाहनों के चलने लायक बनाया गया था, मगर यह परत चंद दिनों में ही उखड़नी शुरू हो गई। 

मंडलायुक्त से शिकायत के बाद हुई सुध

इसके बाद इस मार्ग की सुध 2021 में उस समय ली गई, जब मेरठ मंडलायुक्त तक इसके गहरे गड्ढों में तब्दील होने शिकायत फोटो सहित पहुंची। उसी साल अक्टूबर माह में मंडलायुक्त ने इसे गड्ढा मुक्त करने के आदेश दिए, जिसे विभागीय अधिकारियों ने ठंडे बस्ते डाल दिया। 

ज्यादा दिन नहीं टिक पाया पैचवर्क

मंडलायुक्त के आदेश का हवाला देते हुए डीएम से शिकायत की गई, जब जाकर इसके गड्ढे भरवाए गए। लेकिन अपनी मियाद पूरी कर चुकी सड़क में किया गया पैचवर्क ज्यादा दिन टिक नहीं पाया और साल 2022 आते-आते फिर से सड़क गड्ढेदार हो गई, जो बारिश के बाद बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी है। इन दिनों मार्ग के उखड़ चुके पत्थरों के नीचे की मिट्टी से उड़ने वाली धूल के गुबार साफ मौसम में धुंध सी दिखाई देते हैं। 

खानापूर्ति के पैबंद की जुगत बिठाई

पिछले महीने लोनिवि से खबर आई थी कि मार्ग का चौड़ीकरण का प्रस्ताव लखनऊ भेजा गया है, जिसके मंजूर होते ही नए सिरे से सड़क निर्माण कराया जाएगा। अभी इसी उम्मीद के सहारे मार्ग के किनारे बसे गांवों के लोग धूल से निजात पाने के सपने संजो रहे थे, कि उम्मीद टूट गई।


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