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शहर विधानसभा का परिसीमन ने बदला भूगोल

By Edited By: Published: Wed, 28 Dec 2011 07:51 PM (IST)Updated: Wed, 28 Dec 2011 07:51 PM (IST)

कमलेश शर्मा, बदायूं : परिसीमन से शहर विधानसभा क्षेत्र का भूगोल बदलने के साथ यहां से चुनाव चुनाव लड़ने वाले नेताओं के समीकरण भी बदल गए हैं। कई राजनेताओं की जमीन भी खिसक गयी है। सपा के विमल कृष्ण अग्रवाल को अब जहां बदायूं छोड़कर बिल्सी जाना पड़ा है वहीं बसपा के रामसेवक सिंह पटेल को बदायूं से चुनाव लड़ना पड़ रहा है।

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जिले की सियासत में सदर विधानसभा सीट पर सभी सियासी दलों की नजरें टिकी हुयी हैं। परिसीमन से पहले नगर पालिका परिषद उझानी, नगर पंचायत कछला समेत इस बीच के दर्जनों गांव भी बदायूं विधानसभा सीट के हिस्सा थे। उझानी और कछला के वोटर बदायूं सीट से विधायक का चुनाव करने में अहम भूमिका निभाते आ रहे हैं। नये परिसीमन से उझानी और कछला बदायूं सीट से अलग होकर बिल्सी विधानसभा सीट का हिस्सा बन चुके हैं। अगर यह महत्वपूर्ण क्षेत्र कटा है तो कई नए कस्बे इसमें शामिल भी हुये हैं। सदर सीट से सटे बिनावर विधानसभा सीट को बिल्कुल खत्म कर दिया गया है। इस विधानसभा के 150 बूथ बदायूं विधानसभा सीट का हिस्सा बन चुके हैं। बिनावर, कुंवरगांव, नगर पंचायत वजीरगंज के साथ सालारपुर ब्लाक के गांव बदायूं विधानसभा सीट का हिस्सा बन गये हैं। बिनावर सीट खत्म हो जाने से इस सीट से लगातार पांच बार से विधायक बनते आ रहे बसपा के रामसेवक सिंह पटेल की जमीन खिसक गयी है। हालांकि बिनावर सीट का अधिकांश सीट बदायूं में शामिल हो जाने से पार्टी ने उन्हें बदायूं सीट से मैदान में उतारा है जबकि उझानी और कछला बिल्सी सीट में शामिल हो जाने सपा ने बदायूं से चुनाव लड़ते आ रहे विमल कृष्ण अग्रवाल को इस बार बिल्सी से चुनाव मैदान में उतारा है। इनके स्थान पर पार्टी ने शहर के चेयरमैन आबिद रजा को टिकट दिया है। भाजपा ने सीटिंग विधायक महेश चन्द्र गुप्ता पर ही भरोसा जताया है। कांग्रेस ने भी अपने परम्परागत उम्मीदवार फखरे अहमद शोबी को ही टिकट देकर मैदान में उतारा है। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की पार्टी जन क्रांति पार्टी ने माधवी साहू को मैदान में उतारा है।

परिसीमन से पहले बदायूं सीट पर 240106 मतदाता थे लेकिन अब मतदाताओं की संख्या में करीब 70 हजार का इजाफा हो गया है। इस बार 310253 मतदाता उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। जातिगत समीकरण भी बदलें हैं। एक आंकलन के अनुसार बदली परिस्थितियों में मुसलमान वोटरों की संख्या बढ़कर करीब 65-70 हजार तक पहुंच गयी है। वैश्य वर्ग के वोटरों की संख्या करीब 45-50 हजार है। कुर्मी वोटरों की संख्या करीब 10 हजार हो गयी है। मौर्य-शाक्य वोटरों की तादात 15-20 हजार तक हो गयी है। ठाकुर वोट भी 15-20 हजार है। लोधी वोटरों की संख्या 15-18 हजार के आसपास है। अनुसूचित जाति के वोटरों की सख्या 20-25 है। यादव वोटरों की संख्या 10-12 हजार, ब्राह्मण करीब 10 हजार, पाली समाज के भी करीब 8 हजार वोटर हैं। इसके अलावा अन्य जातियों के वोटर हैं। इन आंकड़ों पर जनर डालें तो यह सीट मुस्लिम बाहुल्य हो गयी है। शायद यही वजह है कि सपा, बसपा, कांग्रेस मुस्लिम कार्ड खेल रही हैं। सपा और कांग्रेस ने मुसलमान उम्मीदवारों को ही मैदान में उतारा है। राहुल गांधी और अखिलेश यादव यहां आकर मुस्लिम वोटरों पर डोरे डालने की कोशिश भी कर चुके हैं। छोटे-मोटे दलों ने भी इस सीट पर मुस्लिम प्रत्याशियों को खड़ा किया है। सियासी बिसात पर मोहरें बिछाई जाने लगी हैं। वोटरों को रिझाने की कोशिशें होने लगी हैं। चुनावी वैतरणी कौन पार कर पायेगा यह तो वक्त ही बतायेगा।

परिसीमन के बाद ये हैं

शहर सीट में का हिस्सा

-बदायूं तहसील की बिनावर, कुंवरगांव कानूनगो सर्किलें, नगर पालिका परिषद बदायूं, नगर पंचायत कुंवरगांव, बिसौली तहसील की सतसई कानूनगो सर्किल, नगर पंचायत वजीरगंज, लहरा लाडपुर, सुरसेना, कसरे पनौटा, बनकोटा, कल्लिया काजमपुर, रोटा, करकटपुर, गोठा पटवार सर्किल शामिल हैं।

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