Ayodhya News: अभिनेता अनुपम खेर पहुंचे अयोध्या; हनुमान गढ़ी की पूजा-अर्चना के बाद युवाओं को दिया ये मैसेज
Ayodhya News In Hindi प्रसिद्ध सिने अभिनेता अनुपम खेर हनुमान मंदिर श्रृंखला के अंतर्गत वीडियो की शूटिंग करने हनुमानगढ़ी पहुंचे। यहां अनुपम खेर ने कहा कि बचपन से सनातन से उनका अटूट प्रेम रहा है। परिवार में रामायण और महाभारत की बातें होती थी। रामलीला में हनुमान की भूमिका भी उन्होंने अदा की है। खेर ने कहा कि आज के युवाओं को हनुमानजी के मंदिरों की जानकारी जरूरी है।
संसू, अयोध्या। सनातन संस्कृति ने हमें बहुत कुछ दिया है। अब समय आ गया है कि मैं भी सनातन संस्कृति एवं धर्म के लिए कुछ करूं। 21 हनुमान मंदिरों पर हनुमान गढ़ी अयोध्या से एक वीडियो श्रृंखला का आरंभ हो रहा है, जिसे प्रिया गुप्ता ने तैयार किया है।
अनुपम खेर ने कहा कि प्रयास है कि आज की युवा पीढ़ी इस श्रृंखला से प्रेरित होकर हनुमान जी के इन स्थानों पर भी पहुंचे। यह बातें प्रसिद्ध सिने अभिनेता अनुपम खेर ने कहीं। वह रामजन्मभूमि के ही निकट स्थित रामललासदन देवस्थानम् के प्रांगण में संवाददाताओं से वार्ता कर रहे थे।
अनुपम खेर ने किए अयोध्या में दर्शन
अनुपम खेर के साथ इस श्रृंखला को तैयार कर रहीं प्रिया गुप्ता भी थीं। इसके पहले उन्होंने रामलला देवस्थानम् में जगद्गुरु रामानुजाचार्य डा. राघवाचार्य एवं मंगलभवन पीठाधीश्वर रामभूषणदास कृपालु के साथ दर्शन, पूजन और आरती की। इस अवसर पर हनुमान मंदिर की श्रृंखला पर आधारित उनकी फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया। उसके बाद हनुमान गढ़ी में भी पूजा अर्चना की।
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सनातनी परिवार में जन्मा तो बचपन से सुन रहे रामायण
खेर ने कहा जो व्यक्ति जिस परिवेश में पला-बढ़ा होता है, उसका प्रभाव उसके जीवन पर होता है। मैं भी सनातनी परिवार में जन्मा हूं, जहां हमारे दादा जी रामायण, महाभारत की कथाएं हमें सुनाते थे। बचपन में जब मुझे इन बातों का पता भी नहीं था, तब मैं रामलीला में बाल हनुमान बनता था। मेरी कोशिश है कि 21 भगवान शिव और भगवान कृष्ण के मंदिरों पर भी श्रृंखला तैयार की जाए।
इस ऐतिहासिक अवसर पर रहना चाहूंगा
अनुपम खेर ने रामजन्मभूमि पर नवनिर्मित मंदिर में रामलला की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के संबंध में कहा कि यदि बुलाया गया, तो मैं भी इस ऐतिहासिक अवसर पर रहना चाहूंगा। यह अवसर आसानी से नहीं, बल्कि बहुत संघर्ष से मिला है। हमें बलिदान देना पड़ा है।
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कश्मीर फाइल्स और कश्मीरियों की दशा के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि यह फिल्म की सफलता है कि लोग कश्मीर के बारे में पूछने लगे हैं। हम कश्मीरी पंडित हिंसा में विश्वास नहीं रखते, हम अपने बुद्धि कौशल से ही पुनः कश्मीर में रहेंगे। रही बात बदलाव की, तो वह साफ देखा जा सकता है कि एक लाल चौक पर झंडा फहराना कठिन था, अब पूरे कश्मीर में राष्ट्रीय पर्व पर तिरंगा फहराया जाता है। शांति से परिवर्तन लाने में समय लगता है। वह लगेगा।