मासूम बेटी संग विवाहिता ने फांसी लगाकर दे दी जान Prayagraj News
पति बेरोजगार था। वह अपनी डेढ़ वर्षीय बेटी के भविष्य को लेकर चिंतित थी। पति से अक्सर विवाद होता था। इससे तंग आकर आज उसने बेटी के साथ फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया।
प्रयागराज, जेएनएन। पड़ोसी जनपद कौशांबी में इसी नाम के थाना क्षेत्र स्थित गुरौली गांव में घरेलू कलह से तंग विवाहिता ने मासूम बेटी संग फांसी लगाकर खुदकशी कर ली। दोनों की लटकती लाश देख पति बदहवास हो गया। उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शवों को कब्जे में ले लिया।
पति-पत्नी में अक्सर तकरार होती थी
गुरौली निवासी संजय द्विवेदी पुत्र स्व. संगमलाल की शादी तीन साल पहले बांदा निवासी 26 वर्षीय ऊषा के साथ हुई थी। उसे डेढ़ साल की बेटी निशा थी। संजय का अपनी पत्नी ऊषा से आए दिन किसी न किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ करता था। इसे लेकर ऊषा काफी परेशान रहा करती थी। सोमवार की सुबह भी पति-पत्नी के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ। इसके बाद संजय घर से टीवी बनवाने के लिए निकल गया। घर में अकेली रही ऊषा अपनी बेटी के कमरे में ले गई और भीतर से दरवाजा बंद किया। पहले मासूम निशा को चुल्ले के सहारे फांसी पर लटकाया। इसके बाद खुद भी लटक गई। कुछ देर बाद घर लौटे संजय ने खिड़की से पत्नी व बेटी की लाश देखी तो होश उड़ गए। रोने-चीखने की आवाज सुनकर ग्रामीण आ गए।
पत्नी व बेटी का शव देख बदहवास हो गया संजय
झोपड़ीनुमा घर का छप्पर हटाकर ग्रामीण अंदर घुसे और दरवाजे की कुंडी खोली। वहीं रोते-रोते संजय बदवास हो गया। उसे आनन-फानन में एंबुलेंस की मदद से जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। पुलिस ने परिवार वालों से पूछताछ के बाद दोनों मृतकों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। घटना की जानकारी होने पर मायके वाले भी बांदा से रवाना हो चुके हैं। तहरीर न मिलने के कारण अब तक कोई कार्रवाई भी नहीं की गई है।
एक बिस्वा भूमि व बेरोजगारी ने छीन ली दो जिंदगी
संजय के बेरोजगार होने के कारण कई बार ऊषा ने बेटी के अच्छी पढ़ाई और भविष्य बेहतर बनाने को लेकर परेशान रहा करती थी। पति संजय बेरोजगार था, एक बिस्वा भूमि हिस्से में मिली थी। इसके अलावा वह बेटी निशा के उज्ज्वल भविष्य को लेकर चिंतित रहती थी। संजय कभी-कभार किसी तेरहवीं व दशवां संस्कार में ब्राह्मणों के साथ चला जाता था। जो दक्षिणा मिली, उसी से परिवार का भरण-पोषण करता था। कई बार अपने पति से उसने रोजगार करने के लिए कहा, लेकिन वह टाल देता था। मायके वालों ने भी समझाने का प्रयास किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। सोमवार की सुबह हुए झगड़े के पीछे वजह यह थी कि कई दिनों से टीवी बिगड़ी हुई थी। ऊषा ने कई बार संजय से बनवाने के लिए कहा लेकिन टालमटोल करता था। इसी बात को लेकर झगड़ा हुआ।
भाई काम-धंधा करते हैं, संजय बेरोजगार है
जिला अस्पताल में संजय को लेकर इलाज कराने आए भाई चंद्रबाबू ने बताया कि उन दोनों के अलावा दो अन्य भाई ओम बाबू व सूर्यबाबू हैं। सभी लोग काम-धंधा करते हैं, जबकि संजय बेरोजगार है। सबसे छोटा होने के नाते सभी भाई संजय की आर्थिक मदद करते थे। सभी की शादी होने के कारण पिता की मौत के बाद चार बिस्वा भूमि का बराबर से बंटवारा कर दिया गया। ऊषा भूमि का बेशकीमती हिस्सा चाहती थी। इसे लेकर कई बार उसके मायके वाले भी आए और पंचायत हुई। सभी के समझाने के बावजूद ऊषा अपने मन मुताबिक भूमि लेना चाह रही थी।
फांसी पर बीवी को तड़पता देखता रहा संजय
पत्नी से झगड़े के बाद संजय कहीं चला गया। इस बीच ऊषा मासूम बेटी को फांसी के फंदे पर लटकाया। जब उसकी मौत हो गई तो खुद भी गले में फांसी का फंदा डाल लिया। अचानक संजय घर पहुंचा और उसने अपनी पत्नी को फांसी लगाते देखा तो होश उड़ गए। रोने-चीखने की आवाज सुनकर जब तक ग्रामीण इक_ा होते, तब तक ऊषा की मौत हो गई। संजय फटी आंखों से बीवी को फंदे पर तड़पता देखा रहा। हालांकि ग्रामीणों ने झोपड़ी से छप्पर हटाकर कमरे में प्रवेश किया लेकिन तब तक वह दम तोड़ चुकी थी।