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मिसाल बेमिसाल : सिर्फ एक रुपये में बुजुर्गों को घर तक पहुंचा रहे टिफिन, खोजकर करते हैं जरूरतमंदों की मदद

चौक गंगादास में रहने वाले तालेश्वर मल्होत्रा और चौक निवासी दिव्यांग दिनेश कुमार की जिंदगी बदल गई है। कुछ महीनों पहले वह निवाले के मोहताज थे लेकिन दिसंबर से उनके एक समय के भोजन का इंतजाम पक्का हो चला है। बस एक रुपये में भरपेट भोजन कर लेते हैैं।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Tue, 23 Mar 2021 09:00 AM (IST)Updated: Tue, 23 Mar 2021 09:00 AM (IST)
यह मिसाल बेमिसाल है और इस बारे में जानने पर लोग खासी सराहना भी कर रहे हैं।

प्रयागराज, अमित सिंह।  महज एक रुपये में भरपेट शुद्ध शाकाहारी भोजन, वह भी घर का बना हुआ। बात तब और खास हो जाती है जब इसे जरूरतमंद तक पहुंचाया भी जाता हो। जी हां, धर्म अध्यात्म व न्याय की नगरी में कुछ समय पहले ही शुरू हुई परोपकार की अनूठी पहल हर रोज लगभग 70 बुजुर्गों का पेट भर रही है। यह मिसाल बेमिसाल है और इस बारे में जानने पर लोग खासी सराहना भी कर रहे हैं।

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इंटरनेट मीडिया से ढूढ़ते हैैं जरूरतमंद, प्रतिदिन 70 लोगों का भला 

'परहित सरिस धरम नहीं भाई...हमारे समाज में बहुतेरे लोगों के जीवन का मूलमंत्र रहा है। हर उम्र के लोगों के लिए संस्थाएं हैैं। बुजुर्गों के लिए भी। सरकार और अदालतों ने भी बुजुर्गों के पालन पोषण के लिए कई कानून बनाए हैैं, दिशा निर्देश हैं, फिर भी कई बुजुर्ग अपनों की उपेक्षा अथवा स्वजन के अभाव में भूखे सोने के लिए अभिशप्त हैैं। ऐसे ही बुजुर्गों का सहारा बनी है रिटायरमेंट इंडिया फाउंडेशन। संस्था एक पंथ दो काज के मंत्र को साकार कर रही है। पहली है जरूरतमंदों को भूखे नहीं रहने देना, दूसरा भोजन बनाने वाली महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना।

संस्था की पहल से रानीमंडी चौक गंगादास में रहने वाले तालेश्वर मल्होत्रा और चौक निवासी दिव्यांग दिनेश कुमार की जिंदगी बदल गई है। कुछ महीनों पहले वह निवाले के मोहताज थे, लेकिन दिसंबर से उनके एक समय के भोजन का इंतजाम पक्का हो चला है। बस एक रुपये में भरपेट भोजन कर लेते हैैं। तालेश्वर अकेले हैैं और परचून की छोटी सी दुकान चला कर जिंदगी चलाते हैैं जबकि दिनेश को उनके स्वजन ने बिसार दिया है। 

प्रयागराज में सिविल लाइन स्थित अदिति अपार्टमेंट निवासी संस्था के निदेशक राज गुलाटी बताते हैैं कि हम इंटरनेट मीडिया के जरिए जरूरतमंदों को तलाशते हैैं। हमारे करीब 19 वालेंटियर जरूरतमंदों तक पहुंचकर यह देखते हैैं कि जो मानक तय किए गए हैैं उस पर संबंधित बुजुर्ग खरे उतरते हैैं अथवा नहीं। फिर हम एक रुपये में उन्हेंं उनके घर तक टिफिन पहुंचाते हैैं। प्रतिदिन भोजन की गुणवत्ता चेक की जाती है। सप्ताह में हर दिन अलग-अलग मेन्यू है।

ऐसा शुरू हुआ परोपकार का सफर 

हरिश्चंद्र रिसर्च इंस्टीट्यूट में वित्तीय अधिकारी के पद से 30 नवंबर 2020 को राज गुलाटी की सेवानिवृत्ति थी। वह परिसर में लंगर आयोजित करना चाहते थे। पत्नी नीरू गुलाटी ने सुझाव दिया कि कुछ ऐसा करें जिससे जरूरतमंदों का पेट भरे, वह भी एक दिन नहीं लंबे समय तक। इसलिए रिटायरमेंट के छह दिन पहले से ही 11 लोगों को टिफिन वितरण का कार्य शुरू हुआ। 

टिफिन बनाने वाली भी लाभान्वित

संस्था की इस पहल से वह महिलाएं भी लाभान्वित हो रही हैैं, जो गृहणी हैैं और टिफिन व्यवसाय से जुड़ी हैैं। प्रति टिफिन उन्हें 70 रुपये मिलते हैैं। गृहणियां चौक, सरकुलर रोड, बमरौली और अल्लापुर में रहती हैैं और  एक गृहणी लगभग 10 से 15 टिफिन बनाती हैैं। संस्था के वालेंटियर उनके घर से टिफिन लेकर जरूरतमंदों तक पहुंचाते हैैं। 

यह है एक रुपये में भोजन की पात्रता

- उम्र 60 साल से ज्यादा हो। वित्तीय समस्या- अस्वस्थ हों अथवा अकेले रह रहे हों- भोजन बनाने में असमर्थ हों- परिवार के सदस्यों की अनदेखी का शिकार हों। - दूसरों पर निर्भर हों


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