मनकामेश्वर मंदिर : जहां शिव की आराधना से पूरी होती है श्रद्धालुओं की हर मनोकामना Prayagraj News
त्रेता काल में भगवान श्रीराम वनवास जाते वक्त भ्राता लक्ष्मण और माता सीता के साथ प्रयाग में रुके थे और अक्षयवट के नीचे विश्राम किया था।प्रभु राम ने यहां शिव का पूजन और जलाभिषेक कर अपने मार्ग में आने वाली तमाम विघ्न-बाधाओं को दूर करने की कामना की थी।
प्रयागराज, जेएनएन । मुगल बादशाह अकबर के किले के समीप यमुना नदी के किनारे मनकामेश्वर मंदिर स्थित है जहां पर भगवान शिव अपने विविध रूपों में विराजमान हैं। मान्यता है कि यहां दर्शन-पूजन, जलाभिषेक करने से श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूर्ण होती है। इस मंदिर का पुराणों में भी उल्लेख मिलता है। साल भर यहां पर शिव के दर्शन-पूजन को श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। सावन मास में तो यहां पर भारी भीड़ उमड़ती है जिनमें शहर के साथ दूर-दराज से भी भारी संख्या में शिवभक्त जलाभिषेक को आते हैं।
ऋणमुक्तेश्वर और सिद्धेश्वर महादेव भी हैं यहां प्रतिष्ठित
मंदिर परिसर में मनकामेश्वर शिव के अलावा सिद्धेश्वर और ऋणमुक्तेश्वर महादेव के शिवलिंग भी विराजमान हैं। रुद्रावतार कहे जाने वाले बजरंगबली की दक्षिणमुखी मूर्ति भी यहां पर है। भैरव, यक्ष और किन्नर भी यहां पर विराजमान हैं। धार्मिक मान्यता है कि जहां पर शिव विराजमान होते हैं वहां पर माता पार्वती का भी वास होता है। ऐसे में यहां पर दोनों के दर्शन का लाभ श्रद्धालुओं को प्राप्त होता है।
स्कंद और पदम पुराण में भी मिलता है इस मंदिर का वर्णन
मंदिर के प्रबंधक ब्रम्हचारी श्रीधरानंद बताते हैं कि स्कंद पुराण और पदम पुराण में कामेश्वर पीठ का वर्णन है, यह वही कामेश्वर धाम है, काम को भस्म करके भगवान शिव स्वयं यहां पर विराजमान हुए हैं। बताया कि त्रेता काल में भगवान श्रीराम वनवास जाते वक्त भ्राता लक्ष्मण और माता सीता के साथ प्रयाग में रुके थे और अक्षयवट के नीचे विश्राम किया था। आगे जाने के पहले प्रभु राम ने भी यहां शिव का पूजन और जलाभिषेक कर अपने मार्ग में आने वाली तमाम विघ्न-बाधाओं को दूर करने की कामना की थी।
सावन मास में शिव के दर्शन-पूजन को उमड़ती है भारी भीड़
शिव के दर्शन-पूजन के लिए वैसे तो यहां पर रोज शिवभक्तों की भीड़ आती है लेकिन सावन माह में श्रद्धालुओं की संख्या में खासा बढ़ोत्तरी हो जाती है। सावन के सोमवार, प्रदोष और खास तिथियों व शिवरात्रि पर तो यहां तिल रखने तक की जगह नहीं मिलती है। भोर से ही शिव का जलाभिषेक करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ जुट जाती है। रुद्राभिषेक आदि धार्मिक कर्म भी यहां संपादित किए जाते हैं। कुंभ, अर्ध कुंभ और माघ मेला के दौरान भी यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन लाभ प्राप्त करते हैं।