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Chandika Devi धाम से जुड़ी है अनोखी मान्‍यता, प्रतापगढ़ के इस सिद्धपीठ में पूरी होती है मनोकामना

प्रतापगढ़ जिले में संड़वा चंद्रिका विकास खंड का नाम चंडिका देवी मंदिर के नाम पर रखा गया है। अगर आज प्रदेश में संड़वा चंडिका विकास खंड की पहचान है तो उसके लिए यहां मां चंडिका देवी का सिद्धपीठ है। यहां वर्ष भर पूजन-अर्चन के लिए भक्‍तों की भीड़ जुटती है।

By JagranEdited By: Brijesh SrivastavaPublished: Wed, 28 Sep 2022 11:01 AM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 11:01 AM (IST)
प्रतापगढ़ के सिद्ध पीठ चंडिका देवी धाम से जुड़ी अनोखी मान्यता है। वर्ष भर यहां पूजन-अर्चन को भक्‍त जुटते हैा।

प्रयागराज, जेएनएन। शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा के पूजन-अर्चन से हर ओर आस्‍था का माहौल है। प्रसिद्ध मंदिरों में भक्‍त मत्‍था टेकने पहुंच रहे हैं। यहां आपको ले चलते हैं प्रतापगढ़ जिले में स्थित मां चंद्रिका धाम। यहां से प्राचीन मान्‍यता जुड़ी है। मंदिर का इतिहास भी अनूठा है। कोई नया कार्य शुरू करने से पूर्व लोग मां चंडिका देवी की आराधना व पूजन के बाद ही कार्य का शुभारंभ करते हैं।

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कहां है सिद्धपीठ : संड़वा चंद्रिका विकास खंड का नाम चंडिका देवी मंदिर के नाम पर रखा गया है। अगर आज प्रदेश में संड़वा चंद्रिका विकास खंड की पहचान है, तो उसके लिए यहां मां चंडिका देवी का सिद्धपीठ है। जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में सई नदी के उत्तर स्थित मां चंडिका देवी का धाम जिले के साथ आसपास के जिले के लोगों का आस्था का केंद्र है। मां चंडिका देवी सभी की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। मंगलकामनाओं के साथ श्रद्धालु मां के धाम में आकर मत्था टेकते हैं।

सिद्धपीठ से जुड़ी मान्‍यता : मान्यता है कि जब धरती पर राक्षसों का अत्याचार बढ़ा था, तब राक्षसों का नरसंहार करते मां चंडिका देवी चंद्रिकन में आ गईं थीं। 52 बीघे के घने जंगल में वह रहती थीं। एक दिन उन्होंने ने एक गरीब ब्राह्मण को स्वप्न में आकर अपनी लीला बताई। उनसे स्वप्न में क्षेत्र के कल्याण के लिए मंदिर बनवाने को कहा। सुबह हुई तो वह ब्राह्मण अपने स्वप्न के बारे में और लोगों से बताया। तब सभी लोग जंगल में मां को ढूंढने निकले थे, लेकिन उनका दर्शन नहीं हुआ। दूसरे दिन जंगल में उनकी मूर्ति मिली, जहां उनको स्थापित करके उनकी पूजा अर्चना शुरु कर दी। अब वहां भव्य मंदिर का निर्माण हो गया है।

अनाज खलिहान से घर लाने के बाद मां को अर्पित करते हैं लोग : सैकड़ों श्रद्धालु प्रतिदिन मंदिर में पूजा करने आते हैं। प्रत्‍येक मंगलवार को विशाल मेला लगता है। लोगों की मनोकामना पूरी होने पर देवी जी को रोट चढाते हैं। बच्चों का मुंडन संस्कार मंदिर में कराया जाता है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत मां के पूजन से ही शुरू होती है। यहां तक की जब खेती में तैयार होने वाली फसल खलिहान से घर आती है। तब पहले उस फसल को मां के धाम में अंजुरी के रूप में चढ़ाया जाता है। तब उस फसल का उपयोग घर में खाने के लिए किया जाता है।

कैसे पहुंचें चंद्रिका देवी धाम : प्रतापगढ जिला मुख्यालय से बस व रेल मार्ग से धाम तक पहुंचा जा सकता है। प्रतापगढ़ रेलवे स्टेशन से लखनऊ की ओर जाने वाली गाड़ी से बैठकर अंतू स्टेशन पर उतरना है। यहां से टेंपो व ई रिक्शा से धाम तक पहुंच सकते हैं। वहीं चौक के आगे प्राइवेट बस अड्डे के साथ रोडवेज बस अड्डे से चंद्रिकन को बस मिलती है। निजी साधन से गायघाट रोड से गड़वारा होकर चंद्रिकन पहुंचा जा सकता है।

मां के दरबार से खाली हाथ नहीं लौटते भक्‍त : मां चंद्रिका देवी धाम के पुजारी लल्‍लू तिवारी कहते हैं कि मां चंद्रिका देवी के दरबार में जो भी भक्त आए हैं। वह कभी खाली हाथ नहीं लौटे हैं। शारदीय व चैत्र नवरात्र में मां के धाम पर हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन दर्शन करने आते हैं। मां सभी की मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

चंडिका मेला कमेटी अध्‍यक्ष ने दी जानकारी : चंडिका मेला कमेटी के अध्‍यक्ष हरिमंगल सिंह ने कहा कि श्रद्धालुओं को मां के दर्शन- पूजन में कोई दिक्कत न हो, इसके लिए बिजली, पानी, सफाई के साथ पर्याप्त पुलिस बल की व्यवस्था की गई है। इस बार अष्टमी पर मां चंडिका देवी के धाम में भजन संध्या के साथ नवमी पर कन्या भोज का आयोजन किया गया है।


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