Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- अपराध में लिप्त पिता को नाबालिग बच्चों की अभिरक्षा मांगने का हक नहीं

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि यदि पिता के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चल रहा है तो वह अपने नाबालिग बच्चों की अभिरक्षा का हकदार नहीं है। कोर्ट ने पत्नी की हत्या के आरोपी पति को उसके दो नाबालिग बच्चों की अभिरक्षा देने से इनकार कर दिया।

By Umesh TiwariEdited By: Updated: Fri, 13 Nov 2020 09:58 PM (IST)
Hero Image
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा पिता पर आपराधिक मुकदमा चल रहा है तो वह बच्चों की अभिरक्षा का हकदार नहीं है।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि यदि पिता के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चल रहा है तो वह अपने नाबालिग बच्चों की अभिरक्षा का हकदार नहीं है। न ही वह उनसे मिलने का हक रखता है। कोर्ट ने कहा कि केस में बरी होने के बाद यदि बच्चे नाबालिग हैं, तब वह कोर्ट से नैसर्गिक संरक्षक के नाते अभिरक्षा की मांग कर सकता है। कोर्ट ने पत्नी की हत्या के आरोपी पति को उसके दो नाबालिग बच्चों की अभिरक्षा देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उसके खिलाफ आपराधिक मुकदमे में का ट्रायल चल रहा है। 

हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि नानी की अभिरक्षा में बच्चों को रखना अवैध नहीं माना जा सकता। बच्चों ने भी नानी की देखरेख में पढ़ाई के लिए आश्रम में रहने की बात की कही है। नानी और मौसी उसी शहर में रहकर लगातार बच्चों के संपर्क में है। कोर्ट बच्चों का हित देखकर फैसला लेगी। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने हाथरस के अवधेश गौतम की तरफ से अपने दो नाबालिग बच्चों शौर्य व दिशी की अभिरक्षा के लिए दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज करते हुए दिया है।

याची अवधेश की पत्नी पूनम की 2017 में मार्ग दुर्घटना में मौत हो गयी थी। लेकिन, मृतका के मायके पक्ष ने हत्या करने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज करायी। इस पर पुलिस ने याची को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। याची के रिश्तेदार नीरज ने नाबालिग बच्चों को नानी ब्रह्मा देवी तिवारी को सौंप दिया। जिन्हें ब्रद्धानंद बाल आश्रम आर्य समाज जामा वाला तिलक रोड देहरादून में पढ़ने के लिए भेजा गया है। बच्चे वहीं रह रहे हैं। नानी लगातार संपर्क में हैं।

याची जमानत पर छूटते ही आश्रम जाकर बच्चों से मुलाकात की। इसके बाद उनकी अभिरक्षा की मांग की। लेकिन, आश्रम प्रबंधन ने बच्चों को पिता को सौंपने से इनकार कर दिया तो यह याचिका दायर किया। आश्रम सहित नानी को पक्षकार बनाते हुए बच्चों को अदालत में पेश करने की मांग की गयी। कोर्ट के एसपी हाथरस को दिये निर्देश पर बच्चे पेश हुए। कोर्ट ने दोनों पक्षों सहित बच्चों से बात की। फिर कोर्ट ने तमाम परिस्थितियों पर विचार करते हुए बच्चों को पिता को सौंपने से इनकार कर दिया।