UPTET 2019: गाइडलाइन में हाई कोर्ट का दखल से इनकार, आपत्तियों पर शुल्क को बताया था गलत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने UPTET 2019 की गाइडलाइन तय करने वाले 17 अक्टूबर 2019 के शासनादेश के पैरा 18.11 की वैधता को चुनौती याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (UPTET) 2019 की गाइडलाइन तय करने वाले 17 अक्टूबर 2019 के शासनादेश के पैरा 18.11 की वैधता को चुनौती याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। याचियों ने उत्तरकुंजी पर होने वाली आपत्तियों पर शुल्क मांगने को गलत बताया था।
हाई कोर्ट ने कहा कि सात फरवरी को परिणाम घोषित होना था, लेकिन यह परिणाम छह फरवरी को ही घोषित हो गया है। याची ने कोर्ट आने में देरी कर दिया है। इस पैरा में प्रश्न पर आपत्ति के लिए शुल्क 500 रुपये रखा गया है और आपत्ति गलत पाए जाने पर जमा राशि वापस नहीं होगी।
कोर्ट ने इस संबंध में कोई आदेश न देते हुए याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी ने धीरेंद्र कुमार कुशवाहा की याचिका पर दिया है। यूपीटीईटी आठ जनवरी 2020 को परीक्षा हुई, जबकि 14 जनवरी को उत्तरकुंजी जारी कर आपत्ति मांगी गई। इसमें 1034 आपत्तियों पर विचार कर विशेषज्ञों की जांच के बाद 31 जनवरी को संशोधित उत्तरकुंजी जारी की गयी। इसका परिणाम छह फरवरी को घोषित किया जाएगा।
आपत्तियों पर परीक्षा संस्था के खाते में आए पांच लाख
उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) 2019 में पूछे गए सवालों का वाजिब जवाब कितने अभ्यर्थी दे सके हैं, इसका उत्तर सात फरवरी को परिणाम के साथ मिल सकेगा, लेकिन पूछे गए प्रश्न व उनके जवाब से असहमत अभ्यर्थियों की संख्या 2374 रही है। उनमें से 1034 अभ्यर्थियों ने तो प्रति प्रश्न 500 रुपये का भुगतान भी किया था। इससे परीक्षा संस्था के खाते में पांच लाख 17 हजार रुपये आए हैं। हालांकि केवल तीन प्रश्नों पर ही अभ्यर्थियों की आपत्तियां कारगर रही इसलिए अधिकांश का धन वापस नहीं होगा, परिणाम आने के बाद परीक्षा संस्था सही आपत्ति करने वालों का पैसा लौटाएगी।
तीन प्रश्नों पर आपत्ति करने वालों को ही धन वापस
यूपीटीईटी प्रदेश के सभी जिलों में आठ जनवरी को कराई गई थी। प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्तर की परीक्षा में दोनों पालियों में 150-150 प्रश्न पूछे गए थे। प्राथमिक स्तर की परीक्षा के 40 व उच्च प्राथमिक स्तर की परीक्षा के 24 सवालों पर आपत्तियां हुईं। परीक्षा संस्था ने पहली बार प्रति प्रश्न 500 रुपये का शुल्क लिया था। परीक्षा संस्था को 1340 ऐसी आपत्तियां मिलीं जिन्होंने धन अदा नहीं किया था, उन पर विचार ही नहीं किया गया, जबकि 1034 अभ्यर्थियों ने पांच लाख 17 हजार का भुगतान किया तो उनका परीक्षण कराया गया। इसमें दो प्रश्नों के जवाब में दो-दो विकल्प माने गए तो एक प्रश्न को गलत मानकर हटा दिया गया। ऐसे में इन तीन प्रश्नों पर आपत्ति करने वालों को ही धन वापस होगा। ऐसे अभ्यर्थी कितने हैं इसका अभी लेखा-जोखा तैयार नहीं हुआ है।