अलीगढ़ में रोहिंग्या व PFI को लेकर सुरक्षा एजेंसियों की पहले से थी नजर, सिमी का रहा है गढ़
PFI member arrested अलीगढ़ को लेकर सुरक्षा एजेंसी अलर्ट रहती हैं। आतंकवादी संगठनों में शामिल स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का गढ़ रहे अलीगढ़ पर सुरक्षा सुरक्षा एजेंसियों की गहरी नजर रहती है। कहीं भी घटना हो जाए नजर अलीगढ़ पर जरूर टिक जाती हैं।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। आतंकवादी संगठनों में शामिल स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का गढ़ रहे अलीगढ़ पर सुरक्षा सुरक्षा एजेंसियों की गहरी नजर रहती है। कहीं भी घटना हो जाए नजर अलीगढ़ पर जरूर टिक जाती हैं। लोकल कनेक्शन खंगाले जाने लग लग जाते हैं। छात्र से आतंकी बने एएमयू में पढ़ने वाले कश्मीर के छात्र के मारे जाने के बाद सुरक्षा एजेंसी और सतर्क हो गई हैं। पीएफआई PFI को लेकर सुरक्षा एजेंसियां पहले से ही अलर्ट थीं।
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पकड़े जा चुके हैं Rohingya
एटीएस रोहिंग्या को भी यहां से गिरफ्तार कर चुकी है। सिमी की बात करें तो 1977 में इसकी स्थापना मुस्लिम युवकों को सही राह दिखाने के मकसद से हुई थी। संगठन में छात्र व गैर छात्र दोनों शामिल थे। संगठन जब राह से भटकता दिखा तो बुद्धजीवियों ने अपने को इससे अलग कर लिया। खुद संस्थापक इसके अलग हो गए। आज भी इसके दफ्तर पर ताला लगा हुआ है। वर्ष 1975 में देश में आपातकाल लागू होने के दौरान तमाम छात्र संगठनों पर पाबंदी लगा दी गई थी। वर्ष 2008 में अहमदाबाद बम धमाकों के बाद आइएम का सदस्य अबु बशर अलीगढ़ आया था। तब वह यहां सिविल लाइन क्षेत्र में अब्दुल्ला के घर रुका था।
पहले पकड़ा था SIMI सदस्य
मुख्य साजिशकर्ता सफदर नागौरी का अलीगढ़ से ताना जुड़ने की बात सामने आई। पांच दिसंबर 2020 को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सिविल लाइंस इलाके से सिमी के सदस्य अब्दुल्ला को गिरफ्तार किया था। अब्दुल्ला दानिश 19 साल से अलीगढ़ में रह रहा था। लेकिन, स्थानीय पुलिस व खुफिया तंत्र उसकी गतिविधि भांपने में नाकाम रहा। उसने 1985 में एएमयू से अरबी में एमए किया था।
कई बार पकड़े गए अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या
अलीगढ़। शहर में कई बार एटीएस ने छापेमारी करके अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या को पकड़ा है। रोहिंग्या Rohingya मुसलमानों में से करीब 40 हजार हिंदुस्तान में हैं। इनमें 16 हजार शरणार्थी के रूप में हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुल 1200 रोहिंग्या Rohingya हैं। इनमें से 246 अलीगढ़ जिले में पंजीकृत हैं। सभी का डाटा बायोमीट्रिक है। कुछ ऐसे भी हैं, जिनके पास शरणार्थी रूपी कार्ड नहीं है। ऐसे में यह आंकड़ा 300 के पार हो जाता है। वे यहा मीट फैक्ट्रियों समेत अन्य स्थानों पर काम करते हैं।
ऐसे शुरू हुए Rohingya
खुफिया तंत्र के मुताबिक, वर्ष 2009-10 के आसपास अलीगढ़ में रोहिंग्या का आना शुरू हुआ था। एटीएस ने कई बार यहां से अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या को गिरफ्तार किया है। जून 2021 में एटीएस ने दो रोहिंग्या को पकड़ा था, जो सोने की तस्करी में शामिल थे। इनके तार अन्य लोगों से जुड़े थे। जून में भी रोहिंग्या पकड़े गए थे।