वकील इरफान का आरोप शासन के दबाव में डॉ. कफील पर लगाया रासुका Aligarh news
डॉ. कफील खान पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत लगे आरोपों का जवाब गुरुवार को उनके वकील गाजी इरफान ने मथुरा जेल में दाखिल कर दिया।
अलीगढ़ [ जेएनएन ] : डॉ. कफील खान पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत लगे आरोपों का जवाब गुरुवार को उनके वकील गाजी इरफान ने मथुरा जेल में दाखिल कर दिया। यहां से प्रशासन व सरकार को जवाब भेजा जाएगा। वकील ने छह पन्नों के जवाब में 28 बिंदुओं का जिक्र करते हुए कहा है कि शासन के दबाव में षड्यंत्र के तहत रासुका लगाया गया है। कफील ने कोई ऐसा बयान नहीं दिया, जिससे माहौल बिगड़े।
10 फरवरी को कफील को मिल गई थी जमानत
वकील ने प्रशासन की ओर से लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए डीएम, गृह सचिव प्रदेश सरकार, गृह सचिव केंद्र सरकार, एडवाइजरी बोर्ड लखनऊ को पत्र भेजा है। कहा है कि रासुका का आदेश संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। जब 10 फरवरी को कफील को जमानत मिल गई थी तो तीन दिन तक रिहा नहीं किया गया। 12 फरवरी को परवाना लौटा दिया। 13 को विशेष संदेशवाहक के जाने पर भी रिहाई नहीं हुई। 14 फरवरी को सुबह सात बजे रासुका का आदेश तामील हुआ, जबकि आदेश पर अधिकारियों के हस्ताक्षर से स्पष्ट है कि 13 फरवरी को ही पारित हो गया था। वकील ने कहा कि हर नागरिक को बोलने का अधिकार है।
यह भी पढ़ें- आप के सांसद संजय सिंह AMU में बोले, दिल्ली के सरकारी स्कूल होंगे एयर कंडीशन
यहां की लोक व्यवस्था को खतरा नहीं हो सकता
कफील पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप गलत हैं। कफील अलीगढ़ से 700 किमी दूर गोरखपुर के रहने वाले हैं। एएमयू या अलीगढ़ से कोई संबंध नहीं है तो यहां की लोक व्यवस्था को खतरा नहीं हो सकता। जवाब में कहा गया है कि पहले 153ए के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। फिर बिना जांच के 153बी, 502(2) व 109 धाराएं बढ़ाई गईं।
बिना नोटिस गिरफ्तारी
पत्र में कहा है कि डॉ. कफील ने डीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद की। अनियमितताओं के कारण बच्चों की मौत के संबंध में आवाज उठाई, जिससे सरकार कठघरे में खड़ी हो गई। इसी से क्षुब्ध शासन ने इतना दबाव बनाया कि बिना नोटिस गिरफ्तारी कर जेल भेज दिया गया।
कफील ने कोई भड़काऊ भाषण नहीं दिया
सभा में कफील के साथ सह वक्ता के रूप में योगेंद्र यादव भी थे। उन्होंने भी कहा है कि कफील ने कोई भड़काऊ भाषण नहीं दिया। वे इस मामले के साक्षी हैं।एएमयू बवाल और शाहजमाल धरने की जानकारी ही नहीं पत्र में ये भी कहा गया है कि एएमयू में 15 दिसंबर को हुए बवाल की जानकारी कफील को मीडिया से मिली। बवाल के दौरान दर्ज किए गए मुकदमों से उनका संबंध नहीं है।
नहीं मिली सफलता तो लगाया एनएसए
जवाब में कहा गया है कि कफील पर 2017 से विभिन्न शहरों में मुकदमे दर्ज कराए गए हैं। किसी भी मामले में सफलता नहीं मिली तो शासन को खुश करने के लिए रासुका लगा दिया गया। हृदय रोग से पीडि़त, मथुरा जेल में नहीं है इलाज की व्यवस्था वकील नेकहा है कि कफील हृïदय रोग पीडि़त हैं। इलाज चल रहा है, मथुरा जेल में इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं है।
ये भी पढे़- छात्र नेता बोले, AMU छात्रों को बदनाम कर रहे मुख्यमंत्री योगी
डॉ. कफील को मुंबई से गिरफ्तार किया गया
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ 12 दिसंबर को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में बाबे सैयद पर आयोजित सभा में डॉ. कफील ने भड़काऊ भाषण देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ भी टिप्पणी की थी। सिविल लाइंस थाने में मुकदमा होने के बाद 29 जनवरी को डॉ. कफील को मुंबई से गिरफ्तार किया गया। उन्हें मथुरा जेल में रखा गया।