अलीगढ़ के इन क्षेत्रों में लोग पानी के नाम पर पी रहे थे 'जहर’ बना पानी, खतरे में जिंदगानी
समाधान दिवस में आई शिकायत पर हुई कार्रवाई से पता चला कि अलीगढ़ के लोधा ब्लाक के चमरौला गांव के लोग पानी के नाम पर जहर पी रहे थे। दो हैंडपंपों के लाल पानी की जांच में पता चला कि इनका फ्लोराइड तो मानकों से ऊपर है।
सुरजीत पुंढीर, अलीगढ़ । जल निगम की रिपोर्ट ने यह साबित कर दिया है कि लोधा ब्लाक चमरौला गांव के लोग पानी के नाम पर ‘जहर’ पी रहे थे। यह ऐसा पानी जो न केवल उनकी सेहत को अंदर ही अंदर खोखला कर रहा है, बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी कमजोर बना रहा है। दो हैंडपंपों के ‘लाल पानी’ की जांच में पता चला है कि इनका फ्लोराइड तो मानकों से ऊपर है ही, टर्बिडिटी भी बढ़ी हुई है। जल निगम के मीटर भी इसे मापने में हांफ गए हैं। जल निगम की रिपोर्ट के आधार पर प्रशासन ने तत्काल हैंडपंप पर खतरे का निशान लगवा कर पानी का इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। स्थानीय लोगों से अपील की गई है कि इस पानी का सेवन न करें।
समाधान दिवस में मिली थी शिकायत
पांच दिन पहले चमरौला गांव के लोगों ने कोल तहसील के संपूर्ण समाधान दिवस में डीएम इंद्र विक्रम सिंह को शिकायती पत्र दिया था। आरोप लगाया था कि गांव के हैंडपंपों से बदबूदार लाल पानी निकल रहा है। दो हैंडपंपों में मांस के टुकड़े व चिथड़े पानी के साथ आ रहे हैं। लोग पानी पीकर बीमार हो रहे हैं। डीएम ने सीडीओ अंकित खंडेलवाल को जांच के आदेश दिए। सीडीओ ने डीपीआरओ व जल निगम के अफसरों को जांच का जिम्मा सौंपा। रविवार को जल निगम की टीम ने गांव में पहुंचकर हैंडपंपों की जांच। इसमें स्थानीय निवासी वेदप्रकाश व रामेश्वर के निकट वाले हैंडपंपों से दो नमूने भरे गए। सोमवार को जल निगम की प्रयोगशाला में इन नमूनों की जांच की गई।
खतरानाक स्थिति आई सामने
जांच में दोनों हैंडपंपों के पानी की काफी खतरानाक स्थिति सामने आई है। वेदप्रकाश के घर के निकट वाले हैंडपंप के पानी में फ्लोराइड की मात्रा 1.73 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई है। जबकि, मानक के अनुसार अधिकतक 1.5 मिलीग्राम फ्लोराइड होना चाहिए। टर्बिडिटी की स्थिति इस हैंडपंप के पानी में ओवररेंज मिली है। नियमानुसार एक से पांच एनटीयू होनी चाहिए। रामेश्वर के निकट वाले हैंडपंप में भी फ्लोराइट अधिक है। टर्बिडिटी की स्थिति यहां 11.8 मिलीग्राम एनटीयू है।
दांत कमजोर होने के साथ कैंसर का खतरा
एएमयू के भू-गर्भ विभाग के प्रो. शमीम खान ने पानी में फ्लोराइड और टर्बिडिटी की मात्रा अधिक होना सेहत के लिए ठीक नहीं है। फ्लोराइड से दांतों पर धब्बा बनने के साथ कमजोर हो जाते हैं। जल्द गिरने का खतरा रहता है। टर्बिडिटी अधिक होने से पाचन प्रक्रिया बिगड़ जाती है। इसका पित्त पर भी असर पड़ता है, जिससे कैंसर होने का खतरा हो जाता है।
इनका कहना है
सतर्कता के तौर पर हैंडपंप पर लाल निशान लगवा दिए गए हैं। अब नमूनों को विस्तृत जांच के लिए लखनऊ प्रयोगशाला में भेजा गया है। वहां से एक सप्ताह में रिपोर्ट आएगी। इसके बाद आगे का निर्णय लिया जाएगा।
अंकित खंडेलवाल, सीडीओ