Move to Jagran APP

Firoj Khan: शाहजहां के शाही हरम का प्रभारी, जिसे दिया था दीवान-ए-कुल का पद

Firoj Khan Fortआगरा ऐतिहासिक स्मारकों का शहर है यहां ताजमहल के साथ आगरा किला फतेहपुर सीकरी जैसी खूबसूरत इमारते हैं। इसके साथ ही कई ऐसे स्मारक भी हैं जो देखे जा सकते हैं। लेकिन अनजान पड़े हैं। इनकी देखभाल और प्रचार दोनों की नहीं हो रहे हैं।

By Abhishek SaxenaEdited By: Published: Tue, 04 Oct 2022 03:39 PM (IST)Updated: Tue, 04 Oct 2022 03:39 PM (IST)
Firoj Khan: शाहजहां के शाही हरम का प्रभारी, जिसे दिया था दीवान-ए-कुल का पद
Firoj Khan: फिरोज खां शाहजहां के दरबार का ख्वाजासरा था। वह शाही हरम का प्रभारी था।

आगरा, जागरण टीम। दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल की नगरी आगरा की पहचान यहां के नायाब और खूबसूरत स्मारकों से है। मुगलों ने आगरा में राजधानी बसाई थी। कई ऐतिहासिक स्मारक बनाए। शाहजहां के दौर में आगरा में कई ऐसे छोटे-छोटे स्मारक बने जो आज गुमनाम हो रहे हैं। इस लेख के जरिए हम आपको बताते हैं एक ऐसा ही स्मारक जिसे शाहजहां के ख्वाजासरा ने बनवाया था। यहां वो दफन है।

loksabha election banner

ये भी पढ़ें... Agra Fort देखने जा रहे हैं तो ये हैं अंदर की खूबसूरत जगहें, देखकर हो जाएगा दिल खुश

वैभवशाली आगरा में ताल फिरोज खां का स्मारक है। विशाल तालाब के किनारे पर रेड सैंड स्टोन से बने शाहजहां के दरबारी फिरोज खां का मकबरा आज उपेक्षा का शिकार है, यहां का ताल बदहाल है।

एएसआइ संरक्षित स्मारक है फिरोज खां का मकबरा

आगरा से करीब पांच किमी की दूरी पर आगरा-ग्वालियर रोड पर पश्चिमी दिशा में फिरोज खां का मकबरा ताल फिरोज खां बना है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने इस मकबरे को संरक्षित किया है। एएसआइ के मोबाइल एप पर उपलब्ध विवरण के मुताबिक फिरोज खां शाहजहां के दरबार का ख्वाजासरा था। वह शाही हरम का प्रभारी था। उसे दीवान-ए-कुल के पद पर पदोन्नत किया गया था। वर्ष 1637 में उसकी मृत्यु हो गई थी।

ये भी पढ़ें... Agra Fort: शाहजहां के आखिरी लम्हों की ये दास्तां, एक बुर्ज में कैद रहा था ताजमहल बनवाने वाला शहंशाह

खूबसूरत हैं ताज फिरोज खां इमारत की बनावट

ताल फिरोज खां दो मंजिला इमारत है। रेड सैंड स्टोन से बना यह मकबरा अष्टकोणीय है और उसके ऊपर गोल गुंबद है। इसकी बाहरी दीवारों पर पच्चीकारी व कार्विंग का सुंदर काम देखने वाला है। फिरोज खां ने अपने जीवन काल में ही इस मकबरे का निर्माण कराना शुरू कर दिया था। उसकी मौत के बाद उसे यहां दफन किया गया। यह स्थान उसकी जागीर था और यहां बने तालाब के पानी का इस्तेमाल सिंचाई में किया जाता था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.