Air Pollution से निपटने को CPCB ने बनाई ये रणनीति, हर विभाग के तय हुए कार्य Agra News
वायु प्रदूषण पर नियंत्रण को सीपीसीबी ने दिया एक्शन प्लान। प्रशासन नगर निगम व यातायात पुलिस के लिए तय किए गए हैं कार्य।
आगरा, जागरण संवाददाता। ताजनगरी में बढ़ता वायु प्रदूषण चिंता का सबब बन गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने बढ़ते वायु प्रदूषण पर नियंत्रण को एक्शन प्लान तैयार कर उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) को सौंपा है। इसमें प्रशासन, नगर निगम व यातायात पुलिस के लिए कार्य तय किए गए हैं।
आगरा में वायु प्रदूषण की मात्रा बढ़े होने की मुख्य वजह अति सूक्ष्म कण (पीएम2.5) और सूक्ष्म कण (पीएम10) जिम्मेदार हैं। इसकी वजह यहां निर्माण कार्यों में मानकों का पालन नहीं होना, राजस्थान से नजदीकी, यमुना की सूखी तलहटी आदि हैं। ताज के सौंदर्य के लिए भी यही धूल कण खतरा बनते रहे हैं। यही वजह है कि सीपीसीबी ने जो एक्शन प्लान बनाकर यूपीपीसीबी को सौंपा है, उसमें धूल कणों को उडऩे से रोकने के लिए ही फोकस किया गया है।
सीपीसीबी के प्रभारी अधिकारी कमल कुमार ने बताया कि यूपीपीसीबी को एक्शन प्लान उपलब्ध कराया गया है। उसे जिम्मेदार विभागों से इसका अनुपालन कराने को कहा गया है, जिससे कि बढ़े हुए वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके।
विभागों की यह तय की है जिम्मेदारी
नगर निगम: धूल उडऩे से रोकने को सड़कों पर नियमित छिड़काव।
नगर निगम: सड़कों पर झाड़ू लगाने के बजाय वैक्यूम मशीनों से सफाई, जिससे कि धूल कण नहीं उड़ें।
यातायात पुलिस व नगर निगम: नेशनल हाईवे पर ट्रैफिक जाम नहीं होने दिया जाए और सड़कों के किनारे से अतिक्रमण हटाए जाएंगे। ताज के समीप वाहनों से होने वाले प्रदूषण को रोका जाए।
प्रशासन व नगर निगम: सोलिड वेस्ट, बायोमास, कृषि अपशिष्ट और कूड़ा-करकट जलाने वालों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई हो।
नगर निगम: कोयले के रसोई, होटल, ढाबा, रेस्टोरेंट आदि जगहों में जलाने पर प्रतिबंध लगे।
-निर्माण कार्यों में निर्माण व विध्वंस प्रबंधन नियम, 2016 का पालन कराया जाए। नियमित छिड़काव हो और निर्माण सामग्री को ढककर रखा जाए।
पराली जलाई तो देना होगा जुर्माना
जनपद में बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने के लिए कृषि विभाग ने पराली जलाने वाले किसानों से अर्थदंड वसूलने की योजना को मूर्त रूप दिया है। उप कृषि निदेशक महेन्द्र सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण नई दिल्ली के आदेश के तहत धान की पराली/फसल अवशिष्ट जलाना दंडनीय अपराध है। पराली जलाये जाने का दोषी पाये जाने पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में अर्थदंड वसूल किया जायेगा। उन्होंने बताया कि 02 एकड़ से कम भूमि वाले कृषक से 2500 रुपये प्रति घटना, 02 एकड़ से अधिक एवं 05 एकड़ से कम भूमि वाले लघु कृषक से 05 हजार रुपये प्रति घटना तथा 05 एकड़ से अधिक भूमि वाले कृषक से 15 हजार रुपये प्रति घटना अर्थदंड वसूल किया जाएगा।