आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा के डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की एमबीबीएस परीक्षा में हुए फर्जीवाड़े के साक्ष्य सामने आने और शिक्षकों द्वारा उसकी शिकायत करने के बाद भी तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक ने बैठक की थी, जिसमें मूल कापियों से मिलान करने पर फर्जीवाड़े की तस्वीर एकदम साफ हो गई थी। इस मामले को पूरी तरह से दबाकर उत्तर पुस्तिकाएं कहीं और चेक करवा कर परिणाम घोषित कर दिया गया। यहां तक कि इसकी जानकारी तत्कालीन कार्यवाहक कुलपति तक को नहीं दी गई।
एसएन में पकड़ा गया था मामला
पिछले साल नौ सितंबर को एमबीबीएस द्वितीय वर्ष की पूरक परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं इस साल जनवरी में एसएन मेडिकल कालेज में पुनर्मूल्यांकन के लिए पहुंची थी। मेडिकल कालेज के शिक्षकों द्वारा कुछ कापियों संदिग्धता पाए जाने पर शिकायत मेडिकल कालेज की परीक्षा नियंत्रक और प्राचार्य से की थी। प्राचार्य द्वारा इसकी जानकारी विश्वविद्यालय के तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक अजय कृष्ण यादव को दी गई थी। अजय कृष्ण यादव ने इस मामले पर एक कमेटी बनाकर बैठक भी की थी, जिसमें वह खुद भी उपस्थित रहे थे।
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शिक्षकाें ने बताए अपने हस्ताक्षर फर्जी
इस बैठक में असली उत्तर पुस्तिकाएं सामने रखी गई जिसमें मेडिकल कालेज के शिक्षकों ने अपने हस्ताक्षर फर्जी बताए। साथ ही अन्य कई बिंदु भी फर्जीवाड़े की तरफ संकेत दे रहे थे। मेडिकल कालेज के शिक्षकों ने लिखित में उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने से मना कर दिया था । तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक ने उत्तर पुस्तिकाएं कहीं और से पुनर्मूल्यांकन कर परिणाम घोषित करवा दिया था । इतना सब होने के बाद भी तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक ने इसकी जानकारी तत्कालीन कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक को नहीं दी।
लखनऊ में हैं अब कुलसचिव
अजय कृष्ण यादव वर्तमान में लखनऊ के ख्वाजा मोइनुद्दीन भाषा विश्वविद्यालय के कुलसचिव है। इस संबंध में बात करने के लिए जब उन्हें फोन किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। इस बारे में तत्कालीन कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक का कहना है कि उन्हें इस संबंध में जानकारी नहीं दी गई थी। बस इतना बताया गया था कि मेडिकल कालेज के शिक्षक परीक्षा नियंत्रक से मिलना चाहते हैं। बैठक में क्या हुआ, मेडिकल कालेज के शिक्षकों ने क्या शिकायत दर्ज कराई थी। इसकी जानकारी मुझे नहीं है।