TRAI जल्द दे सकता है यूजर्स को खुशखबरी, Cable TV और DTH बिल हो सकते हैं कम
भारतीय टेलिकॉम नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने यूजर्स द्वारा महंगे बिल की मिल रही लगातार शिकायतों के बाद ब्रॉडकास्टिंग और केबल इंडस्ट्री टैरिफ की दोबारा समीक्षा करने का फैसला किया है
नई दिल्ली, टेक डेस्क। टेलिकॉम रेग्युलेटर TRAI जल्द ही करोड़ों केबल टीवी और DTH यूजर्स को खुशखबरी दे सकता है। अगर, आप भी Cable TV और DTH के ज्यादा बिल से परेशान हैं तो जल्द ही इसके बिल और कम किए जा सकते हैं। भारतीय टेलिकॉम नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने यूजर्स द्वारा महंगे बिल की मिल रही लगातार शिकायतों के बाद ब्रॉडकास्टिंग और केबल इंडस्ट्री टैरिफ की दोबारा समीक्षा करने का फैसला किया है। आपको बता दें कि इस साल 1 फरवरी से नया केबल टीवी और DTH नियम लागू किया गया है। इसमें सर्विस प्रोवाइडर्स Rs 130 (GST के बिना) से ज्यागा NCF चार्ज नहीं कर सकते हैं।
TRAI ने नया कंसल्टेशन पेपर जारी किया है, ताकि ब्रॉडकास्टिंग और टैरिफ से जुड़ी सभी परेशानियों का हल किया जा सके। TRAI ने केबल टीवी और DTH के लिए इससे पहले मार्च 2017 में नया रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क तैयार किया था जिसे 29 दिसंबर 2018 के बाद लागू किया गया। इस नए रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क को लागू करने और विश्लेषण करने के बाद TRAI इस नतीजे पर पहुंचा कि नए रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क के लागू होने के बाद चैनल की कीमतों में पारदर्शिता आई है और स्टेकहोल्डर्स के बीच का विवाद कम किया जा सका है।
TRAI के मुताबिक, नए रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क के आधिकारिक तौर पर लागू होने के बाद भी कई टीवी कंज्यूमर्स को अपनी पसंद के टीवी चैनल्स चुनने की पर्याप्त आजादी नहीं मिली है। प्राधिकरण ने कहा कि कई सर्विस प्रोवाइडर्स बुके पर 70 फीसद तक का डिस्काउंट ऑफर करते हैं जिसकी वजह से यूजर्स अपनी पसंद के चैनल्स नहीं चुन पा रहे हैं। TRAI ने 16 अगस्त को कहा कि चैनल्स के बुके पर काफी डिस्काउंट होन की वजह से ग्राहकों की आजादी के साथ चैनल्स चुनने पर रोक लग रही है।
इससे पहले प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिक दायर की है जिसमें ये मांग की गई कि टीवी चैनल के बुके पर चैनलों के अलग-अलग कीमत के 85 फीसद से कम नहीं होगा। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने ट्राई की इस याचिका को खारिज कर दिया था। ट्राई ने ये भी कहा कि नए रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क के तहत प्रसारकों द्वारा घोषित शुल्क से जाहिर है कि बुके पैकेज पर छूट अलग-अलग चैनलों के शुल्कों के योग का 70 फीसद तक है। इससे ये जाहिर होता है कि बुके पैकेज के लिए छूट पर कोई प्रतिबंध नहीं होने की वजह से सर्विस प्रोवाइडर अलग-अलग चैनलों का भ्रामक शुल्क रखते हैं।