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ChatGPT का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे साइबर ठग, इंटरनेट मीडिया के जरिए बढ़ रहा मालवेयर का खतरा

चैटजीपीटी का इस्तेमाल साइबर ठगों द्वारा किया जा रहा है। साइबर ठग मालवेयर फैलाने के लिए इस चैटबॉट का इस्तेमाल कर रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक यूजर्स को फेसबुक अकाउंट के जरिए निशाना बनाया जा रहा है। (फोटो- जागरण)

By AgencyEdited By: Shivani KotnalaMon, 27 Mar 2023 04:25 PM (IST)
ChatGPT का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे साइबर ठग, इंटरनेट मीडिया के जरिए बढ़ रहा मालवेयर का खतरा
Cyber criminals exploiting ChatGPT popularity to spread malwares via FB accounts, Pic Courtesy- Jagran FILE

नई दिल्ली, टेक डेस्क। OpenAI की पेशकश चैटजीपीटी का इस्तेमाल साइबरों ठगों द्वारा भी किया जाने लगा है। जहां एक ओर ह्यूमन-लाइक टेक्स्ट जेनेरेट करने की खासियतों के चलते चैटबॉट मॉडल हर यूजर की पसंद में शुमार हो रहा है। वहीं, साइबर अपराधी इसी एआई मॉडल की लोकप्रियता का फायदा उठा कर यूजर्स को अपना टारगेट बना रहे हैं।

CloudSEK दे रहा नई जानकारी

साइबर इंटेलिजेंस फर्म CloudSEK ने सोमवार को साइबर अपराधियों द्वारा चैटजीपीटी के गलत इस्तेमाल की जानकारी उपलब्ध करवाई है। फर्म का दावा है कि साइबर ठग चैटजीपीटी का इस्तेमाल कर यूजर्स के फेसबुक अकाउंट को हाईजैक कर रहे हैं। फेसबुक अकाउंट हाईजैक करने के बाद ठग मालवेयर को फैला रहे हैं।

फेसबुक विज्ञापनों के जरिए फैला रहे मालवेयर

साइबर इंटेलिजेंस फर्म CloudSEK ने अपनी रिसर्च में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। फर्म की रिपोर्ट में बताया गया है कि 13 फेसबुक पेज और अकाउंट ऐसे पाए गए हैं, जिनमें भारत से जुड़ा कंटेंट है।

हैरानी वाली बात तो यह कि इन पेज के फॉलोअर्स 5 लाख से भी ज्यादा लोग हैं, जबकि इन पेज और अकाउंट का इस्तेमाल असल में मालवेयर फैलाने के रूप में हो रहा है। इन पेज पर फेसबुक विज्ञापनों के जरिए मालवेयर फैलाने के काम किया जा रहा है। इस जानकारी को देने के साथ ही फर्म ने यूजर्स से सावधान रहने की अपील की है।

OpenAI का हो रहा गलत इस्तेमाल

इतना ही नहीं, CloudSEK दावा करता है कि कम से कम 25 ऐसी वेबसाइटस हैं, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी ओपनएआई के नाम पर गलत कंटेंट से जुड़ी हैं।

इस तरह की फेक वेबसाइट यूजर्स को पेज पर लैंड करवा कर हार्मफुल सॉफ्टवेयर डाउनलोड और इंस्टॉल करने के लिए लुभाती है। वहीं दूसरी ओर, सॉफ्टवेयर को डाउनलोड और इंस्टॉल करना यूजर्स की प्राइवेसी और सिक्योरिटी से जुड़ा होता है।

यूजर की निजी जानकारियों पर हमला

हार्मफुल सॉफ्टवेयर का यूजर के डिवाइस में प्रवेश करना ही एक बड़े खतरे की दस्तक होता है। इस तरह के सॉफ्टवेयर यूजर की निजी और संवेदनशीनल जानकारियों को चुराने का काम करती हैं। कई बार ऐसे सॉफ्टवेयर यूजर की बैंकिंग से जुड़ी जानकारियों को चुरा कर यूजर का बैंक अकाउंट खाली करने का काम करते हैं।