Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Chandrayaan 2: भारत के लिए क्यों खास है यह मिशन?

    By Harshit HarshEdited By:
    Updated: Sun, 14 Jul 2019 08:06 PM (IST)

    Chandrayaan 2 मिशन की बात करें तो इसे 2008 में मंजूरी मिली थी। करीब 8 साल बाद 2016 में इस मिशन के लिए टेस्ट को शुरू किया गया।

    Chandrayaan 2: भारत के लिए क्यों खास है यह मिशन?

    नई दिल्ली, टेक डेस्क। ISRO (इसरो) आज रात के 2 बजकर 51 मिनट (15 जुलाई) पर अपने मून मिशन की तरफ दूसरा कदम बढ़ाने जा रहा है। इस ल्यूनर एक्सप्लोरेशन मिशन (मून मिशन) के तहत आज आंध्र प्रदेश के श्री हरिकोटा से Chandrayaan 2 लॉन्च किया जाएगा। Chandrayaan 2 इसलिए भी खास है कि भारत ने Chandrayaan 1 को भारत का पहला मून मिशन था। जिसे अक्टूबर 2008 में लॉन्च किया गया था। Chandrayaan 1 को 22 अक्टूबर 2008 को श्री हरिकोटा से ही लॉन्च किया गया था। उसने 8 नवंबर 2008 को चन्द्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Chandrayaan 2: फैक्ट्स

    Chandrayaan 2 मिशन की बात करें तो इसे 18 सितंबर 2008 को मंजूरी मिली थी। करीब 8 साल बाद 2016 में इस मिशन के लिए टेस्ट को शुरू किया गया। ISRO ने इस साल मई में Chandrayaan 2 के लॉन्च के बारे में घोषणा किया था। इसके लिए 9 जुलाई से लेकर 16 जुलाई का टाइम लाइन तय किया गया था। इस मिशन की खास बात यह है कि इसमें एक ऑर्बिटर, एक लैंडर (जिसका नाम विक्रम रखा गया है) और एक रोवर (जिसका नाम प्रज्ञान रखा गया है) होगा। इस मिशन का मुख्य उदेश्य चन्द्रमा पर सॉफ्ट लैंड करना और उसकी सतह का अध्ययन करना होगा। यह मिशन पहले के किए गए मून मिशन का अगला पड़ाव होगा।

    Chandrayaan 2: मिशन क्यों है खास?

    Chandrayaan 2 दुनिया का पहला ऐसा मिशन होगा जो चन्द्रमा के साउथ पोलर रीजन में सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। यही नहीं यह भारत का पहला ऐसा मिशन है जो पूरी तरीके से विकसित स्वदेशी तकनीक के साथ चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। इस मिशन के साथ ही भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश बन जाएगा जो चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। एक्सपेरिमेंट की बात करें तो इसमें जिन प्लेलोड्स के इस्तेमाल किए गए हैं वो चन्द्रमा की सतह पर ट्रोपोग्राफी, मिनरल आइडेंटिफिकेशन (खनिज का पता लगागा) और इसके डिस्ट्रीब्यूशन (फैलाव), मिट्टी की थर्मो-फिजिकर कैरेक्टर, सर्फेस केमिकल कम्पोजिशन और चन्द्रमा के वातावरण का अध्ययन करेंगे।

    Chandrayaan 2: स्पेसिफिकेशन्स

    Chandrayaan 2 के लैंडर विक्रम की बात करें तो यह चन्द्रयान को चन्द्रमा की सतह पर 6 सितंबर तक सुरक्षित लैंड कराएगा। इस प्रोजेक्ट की लाइफ, मिशन कंपोनेंट्स ऑर्बिटर करीब 1 साल में फंक्शनल (सक्रिय) हो जाएगा। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का मिशन एक ल्यूनर डे (धरती के हिसाब से 14 दिन) में पूरा होगा। इसका ऑर्बिटर कुल 8 साइंटिफिक प्लेलोड कैरी करता है जो ल्यूनर सर्फेस (चांद की सतह) का अध्ययन करेंगे। इसके अलावा ये ऑर्बिटर चन्द्रमा के वातावरण के बारे में भी जानकारी हासिल करेंगे।

    Chandrayaan 2 का लैंडर विक्रम तीन साइंटिफिक प्लेलोड्स कैरी करता है। ये प्लेलोड्स चन्द्रमा के सर्फेस और सबसर्पेस के बारे में एक्सपेरिमेंट्स करेंगे। रोवर प्रज्ञान की बात करें तो इसमें दो प्लेलोड्स होंगे जो चन्द्रमा पर जाकर एडवांस टेस्ट्स करेंगे। Chandrayaan 2 को भारत का सबसे पावरफुल लॉन्चर GSLV Mk-III की मदद से चन्द्रमा की ऑर्बिट में भेजा जाएगा। इस लॉन्चर की क्षमता की बात करें तो यह 4 टन के सेटेलाइट्स को GTO (जियोसिन्क्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट) में भेज सकता है। इसके कॉम्पोनेन्ट्स की बात करें तो इसमें थ्री-स्टेज लॉन्चर दिए गए हैं जिसमें S200 सॉलिड रॉकेट बूस्टर, L110 लिक्विड स्टेज और C25 अपर स्टेज शामिल हैं।

    इसके ऑर्बिटर का वजन 2,379 किलोग्राम है जो 1000W की इलेक्ट्रिक पावर जेनरेट कर सकता है। इसे एक 100x100 km के ल्यूनर पोलर ऑर्बिट में प्लेस किया गया है। विक्रम लैंडर का वजन 1,471 किलोग्राम है जो 650W की इलेक्ट्रिक पावर जेनरेट कर सकता है। 6 पहिए वाले प्रज्ञान रोवर की बात करें तो इसका वजन 27 किलोग्राम है जो 50W की इलेक्ट्रिक पावर जेनरेट कर सकता है। यह 500 मीटर तक ट्रैवल कर सकता है और फंक्शनिंग के लिए सोलर उर्जा पर निर्भर करता है।