आजकल क्यों कम है आपके इंटरनेट की स्पीड? यह है बड़ा कारण
कई दिनों से देश को स्लो इंटरनेट की कमी से जूझना पड़ रहा है। खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी और स्लो स्पीड के चलते कई काम प्रभावित हो रहे हैं
नई दिल्ली। कई दिनों से देश को स्लो इंटरनेट की परेशानी से जूझना पड़ रहा है। खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी और स्लो स्पीड के चलते कई काम प्रभावित हो रहे हैं। मनमुताबिक स्पीड न आने से लोग टेलिकॉम कंपनियों को फोन कर रहे हैं, लेकिन यह समस्या जैसी की तैसी बरकरार है। इसके पीछे एक बड़ा कारण है, जो लोगों को समझने की जरुरत है। आपको बता दें कि इस समस्या का समाधान टेलिकॉम कंपनियों के पास नहीं है, क्योंकि उनके इंटरनेट केबल खराब हो चुके हैं। अब ऐसा क्यों हुआ? ये आज हम आपको बताएंगे।
क्या है इंटरनेट स्लो होने की वजह?
कुछ दिन पहले तमिलनाडु में साइक्लोन वरदा ने हड़कंप मचा दिया था। इस चक्रवात ने समुद्र के नीचे बिछी इंटरनेट केबल्स को काफी नकुसान पहुंचाया है। इंटरनेट के तार तूफान के चलते कई जगह से टूट गए हैं और यही वजह कि देशभर में इंटरनेट की स्पीड धीमी हो गई है। इस बात की जानकारी टेलिकॉम कंपनियां अपने यूजर्स को एसएमएस द्वारा दे रही हैं। ऐसा ही एक एसएमएस आप नीचे तस्वीर में देख सकते हैं। कंपनियों ने यूजर्स को जल्द ही इस समस्या को सुधारने का आश्वासन दिया है।
समुद्र के नीचे से मिलता है इंटरनेट कनेक्शन?
आपको बता दें कि जो केबल्स और बॉक्स आप अपने आस-पास देखते हैं, वो इंटरनेट को आप तक पहुंचाने का एक छोटा-सा हिस्सा है। इसका असली कनेक्शन समुद्र के नीचे है। जी हां, इंटरनेट का असली जाल समुद्र की गहराई में बिछा हुआ है। यही जाल पूरी दुनिया को एक-साथ कनेक्ट करता है। नीचे दी गई तस्वीर में आप देख सकते हैं कि दुनिया में कहां-कहां ये केबल बिछे हुए हैं।
तो चलिए आपको समुद्र की गहराई में बिछे इस केबल के बारे में विस्तार से बता दें।
1. सबसे पहले न्यूफाउंडलैंड और आयरलैंड के बीच एक टेलिग्राफ केबल साल 1854 में बिछाया गया था।
2. दुनियाभर में गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और फेसबुक जैसी बड़ी इंटरनेट कंपनियां कम्यूनिकेशन केबल को बिछाने का काम करती हैं। दुनियाभर में करीब 331 केबल बिछे हुए हैं।
3. हजारों मीटर लंबे ये तार एक दिन में करीब 100 से 200 किलोमीटर तक बिछाए जाते हैं। इनकी चौड़ाई करीब 17 मिलमीटर होती है। एक केबल का जीवनकाल 25 साल होता है।
4. ये केबल्स करीब 29028 फीट नीचे बिछाए जाते हैं। इन्हें केबल लेयर्स (खास तरह की नाव) द्वारा बिछाया जाता है।
5. इन्हें हाई प्रेशर वाटर जेट तकनीक के माध्यम से समुद्र की सतह में गाड़ दिया जाता है, जिससे कोई भी जीव या सबमरीन इन्हें नुकसान न पहुंचा सके। शार्क से बचाने के लिए इनके ऊपर शार्क-प्रूफ वायर रैपर लगाया गया है।
6. दुनिया में 99 फीसदी इंटनेट के जरिए कम्यूनिकेशन और डाटा ट्रांसफर इन्हीं केबल्स के जरिए होता है। इन्हें सबमरीन कम्यूनिकेशन केबल कहा जाता है।
7. इन्हें समुद्र के नीचे बिछाने के दो बड़ा कारण है। एक तो ये सस्ते होते हैं और दूसरा इनसे ज्यादा फास्ट स्पीड आती है।
8. साल 2013 में कुछ तैराकों ने यूरोप और अमेरिका से इजिप्ट पहुंचने वाले चार केबल्स को काट दिया था। जिससे पूरे इजिप्ट की इंटरनेट स्पीड 60 फीसदी धीमी हो गई थी।
9. अगर केबल को नुकसान पहुंचता है तो इसके लिए रोबॉट्स को भेजा जाता है।
10. सिंगापुर सबमरीन केबल्स का जंक्शन कहा जाता है। यहां से 16 केबल गुजरते हैं।