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5G LTE नेटवर्क यूजर्स के लिए जितना फायदेमंद उतना खतरनाक, जानें कारण

कई यूजर्स यह जानने के इच्छुक होंगे की क्या 5जी तकनीक उनकी उम्मीदों पर खरी उतर पाएगी या नहीं, इस बात का जवाब हम इस पोस्ट में देने रहे हैं

By Shilpa Srivastava Edited By: Published: Wed, 29 Aug 2018 01:53 PM (IST)Updated: Sat, 20 Oct 2018 10:21 AM (IST)
5G LTE नेटवर्क यूजर्स के लिए जितना फायदेमंद उतना खतरनाक, जानें कारण
5G LTE नेटवर्क यूजर्स के लिए जितना फायदेमंद उतना खतरनाक, जानें कारण

नई दिल्ली (टेक डेस्क)। पिछले कुछ वर्षों में डाटा टेक्नोलॉजी में काफी परिवर्तन देखने को मिला है। 2जी से 3जी, 3जी से 4जी और अब 4जी से यह तकनीक 5जी में कदम रखने जा रही है। हालांकि, इसे अभी मेनस्ट्रीम में आने में कुछ समय है। 5जी के रोलआउट से पहले यूजर्स को 5जी तकनीक के बारे में जानना बेहद आवश्यक है। कई यूजर्स यह जानने के इच्छुक होंगे की क्या 5जी तकनीक उनकी उम्मीदों पर खरी उतर पाएगी या नहीं। स्मार्टफोन्स और स्मार्ट डिवाइस के मद्देनजर 5जी तकनीक में क्या फायदे और क्या नुकसान होंगे इसकी जानकारी हम इस पोस्ट में दे रहे हैं।

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सबसे पहले बात करते हैं इसके फायदों की:

बढ़ाई जाएगी बैंडविथ:

जिन्हें नहीं पता है उन्हें बता दें कि बैंडविथ उस स्पेस या जगह को कहते हैं जो यूजर्स के डाटा इस्तेमाल करने, फाइल डाउनलोड करने, इंटरनेट पर पेज देखने और वीडियो देखने के लिए मुहैया कराई जाती है। जितनी कम बैंडविथ होगी उतनी ही धीरे डिवाइस काम करेगी। 5जी तकनीक का एक बड़ा फायदा यह है कि इसमें ज्यादा बैंडविथ उपलब्ध कराई जाएगी। जैसे 3जी तकनीक पर किसी भी वेब पेज को लोड होने में काफी समय लगता था। लेकिन 5जी पर ऐसी परेशानी नहीं आएगी। अगर एक साथ कई यूजर्स भी डाटा का इस्तेमाल कर रहे हैं तो भी डाटा स्पीड को लेकर कोई समस्या नहीं होगी।

ज्यादा बैंडविथ मतलब पहले से तेज स्पीड:

इस बैंडविथ को ज्यादा यूजर्स इस्तेमाल कर पाएंगे। ऐसे में 5जी नेटवर्क पर स्पीड को लेकर यूजर्स चिंतित हो सकते हैं। आपको बता दें कि 5जी पर आपको पहले से तेज स्पीड उपलब्ध होगी। अगर 3जी और 4जी नेटवर्क की बात करें तो यूजर्स को इन नेटवर्क्स पर फाइल डाउनलोड करने और वीडियो देखने के लिए काफी समय गंवाना पड़ता था। लेकिन 5जी में ऐसा नहीं होगा। क्योंकि 5जी पर यूजर्स वेब पेज ब्राउज करने से लेकर वीडियो देखने और फाइल डाउनलोड करने तक सभी काम तेज स्पीड पर कर पाएंगे। ऐसे में अगर हर डिवाइस को पहले से ज्यादा नेटवर्क मिलेगा तो स्मार्ट डिवाइसेज पहले से ज्यादा तेज काम कर पाएंगी।

नई तकनीक को 5जी नेटवर्क पर कराया जाएगा उपलब्ध:

कुछ रिसर्च और रिपोर्ट्स के मुताबिक, 5जी तकनीक पर काम करने वाली स्मार्ट डिवाइसेज को 4जी नेटवर्क से हजारों गुना ज्यादा स्पीड उपलब्ध कराई जाएगी। पहले जो काम कंप्यूटर और लैपटॉप पर किए जाते थे वो स्मार्ट डिवासेज पर भी किए जा सकते हैं जैसे ईमेल, इंटरनेट का इस्तेमाल आदि। स्मार्ट डिवाइसेज पर होने वाले टास्क में 5जी तकनीक के आने से और बढ़ोतरी होगी। 5जी तकनीक में ज्यादा स्पीड के साथ कंप्यूटर के टास्क स्मार्ट डिवाइसेज में ट्रांसफर किए जाएंगे। यानी जो काम केवल कंप्यूटर से किया जा सकता है उसे स्मार्ट डिवाइसेज से भी किया जा सकेगा। 5जी स्मार्ट डिवाइस तकनीक के लिए नए आयाम खोलेगा। स्मार्ट डिवाइसेज पर वो सभी तकनीक या फीचर उपलब्ध कराए जाएंगे जो अभी तक इन पर पेश नहीं किए गए हैं।

अब बात करते हैं इसके नुकसान की:

ज्यादा बैंडविथ मतलब कम कवरेज:

3जी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके सेल टॉवर्स कम सेल्स के साथ भी बड़े क्षेत्र को कवर करने में सक्षम हैं। यह इसलिए क्योंकि 3जी नेटवर्क को ज्यादा बैंडविथ की जरुरत नहीं होती है। इसके बाद जब 4जी तकनीक ने कदम रखा तो उसके सेल्स ने ज्यादा बैंडविथ का उत्पादन किया जिसकी वजह से प्रत्येक सेल का कवरेज रेडियस कम हो गया। इससे यूजर्स ने अनुभव किया कि 3जी नेटवर्क के मुकाबले 4जी नेटवर्क पर कवरेज की ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही है। ऐसे में 5जी नेटवर्क के आने से यह सिलसिला आगे भी चलता रहेगा। क्योंकि ज्यादा सेल टॉवर्स को ज्यादा बैंडविथ का उत्पादन करना होगा। आसान भाषा में समझा जाए तो 3जी से 4जी में स्विच करने के बाद यूजर्स को 4जी में कवरेज की दिक्कत महसूस हुई। क्योंकि 3जी का कवरेज एरिया ज्यादा था। यही परेशानी यूजर्स को 4जी से 5जी में स्विच करने में आएगी।

रेडियो फ्रीक्वेंसी बन सकती है परेशानी का सबब:

रेडियो, सेल टॉवर्स और सैटेलाइट रेडियो फ्रीक्वेंसी कम्यूनिकेट करने के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करते हैं। फ्रीक्वेंसी को Hz से मापा जाता है और रेडियो फ्रीक्वेंसी को GHz रेंज से मापा जाता है। कुछ समय पहले आई रिपोर्ट्स में बताया गया था कि 5जी नेटवर्क पर डाटा 6 GHz से ट्रांसमिट किया जाएगा। आपको बता दें कि यह रेडियो फ्रीक्वेंसी रेंज सैटेलाइट लिंक जैसे अन्य सिग्नल से पहले ही भरा हुआ है ऐसे में इसके पास दूसरे सिग्नल्स के लिए जगह नहीं है। आसान भाषा में समझा जाए तो रेडियो फ्रीक्वेंसी भी 5जी के लिए एक बड़ी मुसीबत बन सकती है। क्योंकि 5जी को सैटेलाइट सिग्नल मिलने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

हालांकि, अभी 5जी तकनीक के रोलआउट होने में काफी समय है। ऐसे में अभी इसके बारे में काफी जानकारी सामने आ सकती हैं। नए जनरेशन के इस नेटवर्क में कुछ न कुछ खूबियां और खामियां हैं। लेकिन जब तक यह तकनीक लॉन्च नहीं हो जाती है। तब तक इसके बारे में स्पष्ट रूप से कहना ठीक नहीं होगा।

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