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Digital Footprint: किसी भी लिंक पर क्लिक करना पड़ सकता है महंगा, स्कैमर्स तक ऐसे पहुंचती है आपकी छोटी-छोटी डिटेल

डिजिटल फुटप्रिंट सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करने न्यूजलेटर को सब्सक्राइब करने ऑनलाइन रिव्यू करने और ऑनलाइन शॉपिंग करने के साथ बढ़ते हैं। हालांकि यह भी जरूरी नहीं कि डिजिटल फुटप्रिंट के लिए हर बार आप ही जिम्मेदार हों। कई वेबसाइट आपकी एक्टिविटी को ट्रैक कर सकती हैं ऐसा आपके डिवाइस में कुकीज को इंस्टॉल करवा कर किया जा सकता है।

By Shivani Kotnala Edited By: Shivani Kotnala Published: Wed, 22 May 2024 08:00 PM (IST)Updated: Wed, 22 May 2024 08:00 PM (IST)
Digital Footprint: किसी भी लिंक पर क्लिक करना पड़ सकता है महंगा

टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। इंटरनेट इस्तेमाल करने के साथ हम किसी न किसी तरह की जानकारी अपने पीछे छोड़ जाते हैं। पीछे रह गई इन जानकारियों को ही डिजिटल फुटप्रिंट कहा जाता है।

डिजिटल फुटप्रिंट सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करने, न्यूजलेटर को सब्सक्राइब करने, ऑनलाइन रिव्यू करने और ऑनलाइन शॉपिंग करने के साथ बढ़ते हैं।

हालांकि, यह भी जरूरी नहीं कि डिजिटल फुटप्रिंट के लिए हर बार आप ही जिम्मेदार हों। कई वेबसाइट आपकी एक्टिविटी को ट्रैक कर सकती हैं, ऐसा आपके डिवाइस में कुकीज को इंस्टॉल करवा कर किया जा सकता है।

इसी तरह कई बार ऐप्स भी यूजर की जानकारी के बिना उसका डेटा कलेक्ट कर रहे होते हैं। जैसे ही आप किसी कंपनी को अपनी इंफोर्मेशन का एक्सेस दे देते हैं, वे आपके डेटा को थर्ड पार्टी को बेचने का एक्सेस भी पा लेते हैं।

डिजिटल फुटप्रिंट दो तरह के होते हैं- एक्टिव और पैसिव

एक्टिव डिजिटल फुटप्रिंट (Active digital footprints)

एक्टिव डिजिटल फुटप्रिंट वे होते हैं जब एक यूजर इंटरनेट का इस्तेमाल कर खुद अपनी जानकारियों को शेयर करता है। इनमें सोशल नेटवर्किंग साइट पर पोस्टिंग और ऑनलाइन फॉर्म भरना शामिल है।

एक रजिस्टर्ड यूजर नेम के साथ किसी वेबसाइट पर लॉग-इन करने के साथ किसी तरह का पोस्ट करता है तो यह पोस्ट ही यूजर का एक्टिव डिजिटल फुटप्रिंट बन जाता है।

पैसिव डिजिटल फुटप्रिंट (Passive digital footprints)

बिना यूजर की जानकारी के उसकी पर्सनल डेटा का इस्तेमाल होना पैसिव डिजिटल फुटप्रिंट कहलाता है।

उदाहरण के लिए किसी वेबसाइट द्वारा यह डेटा कलेक्ट करना कि यूजर कितनी बार विजिट करता है, वह कहां से आता है और उसका आईपी एडरेस क्या है। यह एक हिडन प्रॉसेस होते है, जिसका अक्सर यूजर को पता ही नहीं होता।

डिजिटल फुटप्रिंट क्यों हो सकते हैं खतरनाक

साइबर क्रिमिनल फिशिंग के लिए इंटरनेट पर मौजूद आपके डेटा का गलत इस्तेमाल कर सकते हैं। वे शब्द और फोटो जो आप ऑनलाइन पोस्ट कर रहे हैं, उनका किसी गलत तरीके से इस्तेमाल हो सकता है।

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डिजिटल फुटप्रिंट की सुरक्षा का कैसे रखें ध्यान

1. डिजिटल फुटप्रिंट की सुरक्षा के लिए जरूरी है कि आप असुरक्षित वेबसाइट को नजरअंदाज करें। हमेशा कोशिश करें कि आप एक सुरक्षित वेबसाइट पर ही विजिट करें। http://की जगह https:// यूआरएल वाली वेबसाइट पर ही करें।

2. डिजिटल फुटप्रिंट को कम करने के लिए पुराने अकाउंट को डिलीट करना जरूरी है। पुरानी सोशल मीडिया प्रोफाइल या न्यूजलेटर सब्सक्रिप्शन को रिमूव करना जरूरी है।

3. डिजिटल फुटप्रिंट की सुरक्षा के लिए आप वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क का इस्तेमाल कर सकते हैं। वीपीएन के साथ आईपी एडरेस को छुपाया जा सकता है। इसके साथ आपके ऑनलाइन एक्शन वर्चुअली अनट्रेसेबल हो जाते हैं।  


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