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EXCLUSIVE: Chandrayaan 2 भारत के स्पेश मिशन गोल के लिए क्यों है इतना महत्वपूर्ण?

Chandrayaan 2 इस मून मिशन के बारे में हमने जाने-माने एस्ट्रोफिजिसिस्ट और LIGO साइंटिस्ट डॉ करण जानी से बात की। डॉ करण इस समय भारत के LIGO मिशन के साथ जुड़े हैं।

By Harshit HarshEdited By: Published: Mon, 22 Jul 2019 12:30 PM (IST)Updated: Mon, 22 Jul 2019 12:34 PM (IST)
EXCLUSIVE: Chandrayaan 2 भारत के स्पेश मिशन गोल के लिए क्यों है इतना महत्वपूर्ण?

नई दिल्ली, हर्षित हर्ष। Chandrayaan 2 को भारतीय समयानुसार दिन के 2 बजकर 43 मिनट पर लॉन्च किया जाएगा। इसे पहले 14 जुलाई की रात को 2 बजकर 51 मिनट पर लॉन्च किया जाना था लेकिन कुछ तकनीकी दिक्कत की वजह से इसका लॉन्च टाल दिया गया था। भारत के लिए Chandrayaan 2 काफी अहम है, ल्यूनर एक्सप्लोरेशन मिशन (मून मिशन) के तहत आज इसे आंध्र प्रदेश के श्री हरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। इस मून मिशन के बारे में हमने जाने-माने एस्ट्रोफिजिसिस्ट और LIGO साइंटिस्ट डॉ करण जानी से बात की। डॉ करण इस समय भारत के LIGO मिशन के साथ जुड़े हैं। ग्रेविटेशनल वेल एक्सपेरिमेंट LIGO को नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। Chandrayaan 2 और भारत के स्पेस मिशन के बारे में डॉ करण क्या कहते हैं, आइए जानते हैं..

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जागरण- Chandrayaan 2 भारत के स्पेश मिशन गोल के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

डॉ करण: एक स्पेश साइंटिस्ट होने के नाते मेरे लिए Chandrayaan 2 भारत के लिए एक बड़ा माइलस्टोन है। भारत के अलावा केवल तीन देश अमेरिका, रूस और चीन ने ही अब तक चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की है, यह ISRO की तकनीकी क्षमता और एक्सपर्टीज को दर्शाता है। स दियों बाद भारतीय इस मिशन को गर्वपूर्वक स्पेश एक्सप्लोरेशन के लिए याद कर सकेंगे और हम खुशकिस्मत हैं कि हम इस घटना के गवाह हैं।

जागरण- जैसा कि हम जानते हैं कि Chandrayaan 2 को पूरी तरह से देसी तकनीक के साथ विकसित किया गया है, क्या हम कई और स्पेश प्रोग्राम भारतीय तकनीक के साथ उम्मीद कर सकते हैं?

डॉ करण: भारतीय यूनिवर्सिटी और इंडस्ट्री ने Chandrayaan 2 के रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए काफी योगदान दिया है जो कि अपने आप में ही एक शुभ संकेत है। हालांकि, अभी इस क्षेत्र में बड़े प्लेयर्स और प्राइवेट स्पेस वेंचर को आगे आना होगा और Chandrayaan 2 इन सबके लिए एक वेकअप कॉल की तरह है।

जागरण- Chandrayaan 2 के बाद ISRO 2020 में Gaganyaan की प्लानिंग कर रहा है, क्या आप इसप्रोजेक्ट के बारे में हमें कुछ बता सकते हैं?

डॉ करण: भारतीय ह्यूमन स्पेसफ्लाइट प्रोग्राम सफलतापूर्वक मनाए गए एक प्लेनेटरी मिशन का अगला पड़ाव है। भारतीय प्रधानमंत्री ने अपने सवतंत्रता दिवस के भाषण में कहा था कि इस लॉन्च से पहले भारत के पूर्व के स्पेस मिशन अब तक सही तरीके से लोगों के सामने नहीं आ पाए थे। Gaganyaan एक बहुत ही क्रिटिकल मिशन है जो देश के साइंटिफिक और नेशनल सिक्युरिटी के गोल को पूरा करेगा।

जागरण- आप एक नोबल प्राइज विजेता ग्रेविटेशनल वेव एक्सपेरिमेंट LIGO साइंटिस्ट हैं, इस LIGO तकनीक को लेकर भारत के क्या लक्ष्य हैं?

डॉ करण: LIGO भारतीय यूनिवर्सिटी के लिए एक बेहतर अवसर है कि वो ग्रेविटेशनल वेव के स्पेस ऑफ द आर्ट के साथ जुड़ सके। ऐसा पहली बार हुआ है कि हम किसी फील्ड की शुरुआत में ही उसके साथ जुड़ गए हैं जो यह दर्शाता है कि भारत इस फंडामेंटल साइंस में निवेश के लिए कितना गंभीर है। 


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