शिव का अर्थ है कल्याण
महंत रविंद्र पुरी महाराज धर्मनगरी के प्रख्यात शिव विद्या के उपासकों में से एक माने जाते हैं। महंत रविंद्र पुरी महाराज ने 1984 में संन्यास ग्रहण किया था। वर्तमान में वे कनखल स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर के परमाध्यक्ष व महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव हैं। सर्वेश्वर भगवान शिव की जगत कल्याणकारी अनेक
महंत रविंद्र पुरी महाराज धर्मनगरी के प्रख्यात शिव विद्या के उपासकों में से एक माने जाते हैं। महंत रविंद्र पुरी महाराज ने 1984 में संन्यास ग्रहण किया था। वर्तमान में वे कनखल स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर के परमाध्यक्ष व महानिर्वाणी अखाड़ा के सचिव हैं।
सर्वेश्वर भगवान शिव की जगत कल्याणकारी अनेक लीलाओं का वर्णन शिव पुराण के अंतर्गत श्री व्यास जी ने किया है। इसका पठन पाठन श्रवण कर सांसारिक प्राणी तो क्या देवताओं ने भी मनोवांछित फल की प्राप्ति की है। इसके अलावा मानव जगत में शिव मोक्ष के देव हैं। शिव के पूजन के कई तरह के विधि विधान शास्त्रों और पुराणों में वर्णित है। लेकिन, यदि देखा जाए तो शिव से सरल और कोई देव नहीं है। वास्तव में शिव ही इस संसार का सत्य हैं। पृथ्वी पर जितने उपासक शिव के हैं अन्य किसी देवता के नहीं हैं, क्योंकि शिव ही सभी रूपों में विद्यमान हैं। शिव महापुराण में वर्णित है कि भगवान शिव ने विष्णु भगवान से कहा था कि 'त्रिदेवा अपि में रूपं हर: पूर्णो विशेषत:। उमाया अपि रूपाणि भविष्यन्ति त्रिधा सुता।।'
अर्थात हे तात् यद्यपि ब्रह्म हरि तथा तुम तीनों ही मेरे रूप हो परंतु विशेषकर हरि ही मेरा पूर्ण रूप है, इसी प्रकार लक्ष्मी, सरस्वती तथा उमा शक्ति के भी तीन रूप हैं, किंतु उमा सब में पूर्ण रूप हैं। विष्णु रूप की लक्ष्मी, ब्रह्म रूप की सरस्वती तथा हरि रूप की उमा अर्धागिनी होंगी इसलिए सिर्फ हर यानि शिव को पूजने से ही सभी देवताओं की कृपा प्राप्त हो जाती है। शिव का वास श्मशान में भी माना जाता है, इसलिए श्मशान की भस्म का पूजन भी विशेष पूजन विधियों में आता है। कनखल से भगवान शिव का आदि काल से नाता है। यह पृथ्वी पर मात्र एक ऐसा मानव सभ्यता वाला नगर है जहां पर साल में श्रवण मास में शिव वास करते हैं।