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Chanakya Niti: ये 3 तरह के लोग जीवन में कभी नहीं बनते हैं धनवान, हमेशा करना पड़ता है मुसीबतों का सामना

Chanakya Niti मौर्य साम्राज्य के मार्ग प्रशस्तक आचार्य चाणक्य अपनी महत्वपूर्ण रचना नीति शास्त्र के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने नीति शास्त्र के पांचवे अध्याय में विभिन्न विषयों पर विस्तार से जानकारी दी है। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि 3 तरह के लोग अपने जीवन में कभी धनवान नहीं बन पाते हैं। ऐसे लोगों को जीवन भर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarWed, 13 Sep 2023 11:36 AM (IST)
Chanakya Niti: ये 3 तरह के लोग जीवन में कभी नहीं बनते हैं धनवान, हमेशा करना पड़ता है मुसीबतों का सामना
Chanakya Niti: ये 3 तरह के लोग जीवन में कभी नहीं बनते हैं धनवान, करना पड़ता है मुसीबतों का सामना

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य को कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नामों से भी जाना जाता है। उन्होंने अखंड भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी। इसके लिए उन्हें भारत का कौटिल्य कहा जाता है। मौर्य साम्राज्य के मार्ग प्रशस्तक आचार्य चाणक्य अपनी महत्वपूर्ण रचना नीति शास्त्र के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने नीति शास्त्र के पांचवे अध्याय में विभिन्न विषयों पर विस्तार से जानकारी दी है। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि 3 तरह के लोग अपने जीवन में कभी धनवान नहीं बन पाते हैं। ऐसे लोगों को जीवन भर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। आइए, इसके बारे में विस्तार से जानते हैं-

परनिंदा करना

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि परनिंदा शास्त्र संगत कार्य नहीं है। इससे न केवल व्यक्ति अपना समय बर्बाद करता है, बल्कि शास्त्र विरुद्ध भी कार्य करता है। खासकर, ब्राह्मणों और विद्वान लोगों की निंदा भूलकर भी न करें। ऐसा करने से उन्हें शास्त्र का ज्ञान प्राप्त नहीं होता है। वहीं, ईश्वरीय कृपा से भी वह वंचित रह जाता है। इसके लिए परनिंदा करने में अपना समय न गवाएं।

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शास्त्र को न मानना

आधुनिक समय में कुछ लोग शास्त्र को कल्पित अर्थात कल्पना द्वारा की गई रचना बताते हैं। संस्कृत में एक श्लोक है-

विद्यां ददाति विनयं,

विनयाद् याति पात्रताम्।

पात्रत्वात् धनमाप्नोति,

धनात् धर्मं ततः सुखम्॥

इस श्लोक का भावार्थ यह है कि विद्या से विनय आती है। विनय से पात्रता,पात्रता से धन और धन से धर्म आता है। धार्मिक व्यक्ति हमेशा सुखी रहता है। अतः शास्त्र की अवेलहना करने वाला व्यक्ति कभी धनवान नहीं बन सकता है। मानसिक विकार के चलते ऐसे लोगों को जीवन पर्यन्त मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

अपमान करना

अक्सर लोग शांत, गंभीर और धीर पुरुषों का अपमान करने से नहीं चूकते हैं। शास्त्र में ऐसा करने की मनाही है। लोग शांत और गंभीर रहने वाले योगी को ढोंगी बताते हैं। उनका अपमान करते हैं। ऐसे लोगों को ईश्वर की कृपा कभी नहीं प्राप्त होती है। साथ ही जीवन भर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

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