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Pitru Paksha 2019: जिनके घर हुए हैं विवाह, उपनयन संस्कार जैसे मांगलिक कार्य, वे इस कारण से न करें श्राद्ध

Pitru Paksha Shradh 2019 आज से पितृ पक्ष प्रारंभ हो गया लेकिन जिन लोगों के यहां साल भर के अंदर विवाह उपनयन संस्कार जैसे मांगलिक कार्य हुए हैं वे इसमें शामिल नहीं होंगे।

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Fri, 13 Sep 2019 05:32 PM (IST)Updated: Fri, 13 Sep 2019 05:32 PM (IST)
Pitru Paksha 2019: जिनके घर हुए हैं विवाह, उपनयन संस्कार जैसे मांगलिक कार्य, वे इस कारण से न करें श्राद्ध

Pitru Paksha Shradh 2019: आज भाद्रपद मास की पूर्णिमा है, इसलिए आज से पितृ पक्ष का प्रारंभ हो गया। 16 दिनों के पितृ पक्ष में अपने पितरों को पिंडदान, तर्पण, भोजन आदि सम्मानपूर्वक दिया जाता है, जिससे उनकी आत्माएं तृप्त हो जाती हैं। जिन लोगों के माता-पिता नहीं होते हैं, वे लोग पितृ ऋण से मुक्त होने के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं। हालांकि कुछ परिस्थितियों में श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए।

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श्राद्ध पक्ष के आज प्रारंभ होने से कई ऐसे व्यक्ति होंगे, जिनके घर मांगलिक कार्य हुए हैं और वह यह निर्णय नहीं ले पा रहे हैं कि उनको इस वर्ष पितरों के लिए श्राद्ध करना है या नहीं। ऐसे में आपको परेशान होने की आवश्यकता नहीं है।

ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट के अनुसार, जिन लोगों के यहां साल भर के अंदर विवाह, उपनयन संस्कार जैसे मांगलिक कार्य हुए हैं, वे लोग पितृ पक्ष में शामिल नहीं होंगे। उन लोगों को अपने पितरों को तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध का भोजन अर्पित नहीं करना चाहिए।

ज्योतिषाचार्य भट्ट बताते हैं कि श्राद्ध अपने माता-पिता के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का प्रतीक है। ऐसे में आप पिंडदान और तर्पण न करें, लेकिन अमावस्या के दिन आप ब्राह्मणों को भोजन करा सकते हैं या फिर अन्न दान कर सकते हैं।

इसके अलावा दो बातें और ध्यान रखने वाली हैं कि आपको श्राद्ध के दौरान सिर मुड़ाने की परंपरा को भी नहीं निभाना है और न ही प्रतिदिन ग्रास देना है। यह सभी बातें श्राद्ध कर्म में शामिल होती हैं। आपके घर मांगलिक कार्य हुआ है, ऐसे में आप ये सब नहीं करेंगे।

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दरअसल जब भी कोई बड़ा मांगलिक कार्य होता है, तो उस दौरान पितरों को भी विधि विधान से आमंत्रित किया जाता है। हमारे पितरों की आत्माएं उस मांगलिक कार्य से जुड़ती हैं और हमारी ओर से की गई सेवा से वे तृप्त होती हैं।

जब मांगलिक कार्य के दौरान ही आपने एक बार अपने पितरों को तृप्त कर दिया है, तो फिर आपको पितृ पक्ष में दोबारा श्राद्ध कर्म की आवश्यकता नहीं है। अब आप अगले वर्ष के पितृ पक्ष में अपने पितरों को तृप्त करेंगे और श्राद्ध कर्म करेंगे।


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