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कैलास मानसरोवर तक अब चार लेन सड़क, दर्शन व पूजन के इच्छुक उसी दिन वापस लौट सकेंगे

वह दिन दूर नहीं जब कैलास मानसरोवर की थकाऊ व खर्चीली तीर्थयात्र चंद दिनों में कम खर्च पर होगी। इसके लिए पहाड़ों को काटकर चार लेन की नई सड़क बनाई जा रही है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को उम्मीद है कि दो साल में ये सड़क

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2015 12:59 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2015 01:05 PM (IST)

नई दिल्ली । वह दिन दूर नहीं जब कैलास मानसरोवर की थकाऊ व खर्चीली तीर्थयात्र चंद दिनों में कम खर्च पर होगी। इसके लिए पहाड़ों को काटकर चार लेन की नई सड़क बनाई जा रही है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को उम्मीद है कि दो साल में ये सड़क बनकर तैयार हो जाएगी।

सड़क का निर्माण उत्तराखंड के परंपरागत रास्ते से हो रहा है। इससे तीर्थ यात्री लिपूलेख र्दे व चीन सीमा तक पहुंच सकेंगे। वहां से मानसरोवर की दूरी मात्र 72 किलोमीटर है। इस दूरी को तय करने के लिए चीन ने पहले से शानदार सड़क बना रखी है।

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रलय के अधिकारियों के अनुसार सड़क बनने के बाद जो तीर्थयात्री केवल पवित्र कैलास पर्वत के दर्शन व मानसरोवर में पूजन के इच्छुक होंगे वे उसी दिन वापस लौट सकेंगे। जबकि पर्वत की परिक्रमा के इच्छुक तीर्थयात्रियों को एक रात रुकना पड़ेगा।

ऋषिकेश से अल्मोड़ा, धारचूला होते हुए लिपूलेख र्दे तक इस सड़क का निर्माण सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा किया जा रहा है। इसके लिए आस्ट्रेलिया से विशेष रूप से अत्याधुनिक मशीनें मंगाई गई हैं, जो पथरीले पहाड़ों को आसानी से काट रही हैं। तेजी से काम चल रहा है। लगभग 37 किलोमीटर पहाड़ को काटकर सड़क योग्य समतल किया जा चुका है।

तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की सुविधा के लिए सरकार ऋषिकेश से लिपूलेख र्दे तक सड़क के किनारे जगह-जगह स्थायी पर्यटक शिविर भी स्थापित करेगी। इस विषय में चीन को सूचित कर दिया गया है। उसने इस पर कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई है। इससे पहले चीन कैलास मानसरोवर यात्र के लिए सिक्किम के नाथूला पास को खोलने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुरोध को स्वीकार कर चुका है।

सड़क का निर्माण होने से तीर्थयात्रियों व पर्यटकों की संख्या में भारी वृद्धि होने की संभावना है। अभी कैलास मानसरोवर यात्र पर प्रति व्यक्ति करीब डेढ़ लाख का खर्च आता है। लेकिन सड़क बनने के बाद खर्च काफी कम हो जाएगा और समय भी। साथ ही यात्र कहीं ज्यादा सुविधायुक्त हो जाएगी। साथ ही चीन से व्यापार का एक नया रास्ता भी खुलेगा। इससे कुमाऊं के पिछड़े पर्वतीय इलाकों के विकास को भी गति मिलने की संभावना है।


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