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Chaitra Navratri 2023 Day 7: आज इस विधि से करें मां कालरात्रि की पूजा, जानें मंत्र, मुहूर्त और महत्व

Chaitra Navratri 2023 7th Day नवरात्रि पर्व के सातवें दिन माता कालरात्रि की उपासना की जाती है। चैत्र शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन माता कालरात्रि की उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraPublished: Mon, 27 Mar 2023 06:17 PM (IST)Updated: Tue, 28 Mar 2023 09:36 AM (IST)
Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन इस विधि से माता कालरात्रि की उपासना।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Chaitra Navratri 2023 Day 7, Mata Kalratri Puja: हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन माता कालरात्रि की विधि-विधान से उपासना की जाती है। आज के दिन शुभ मुहूर्त में माता की उपासना करने से साधकों के सभी दुख दूर हो जाते हैं।

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सप्तमी तिथि के दिन देवी कालरात्रि की उपासना करने से भय, रोग एवं दोष दूर हो जाते हैं। साथ ही साधक के जीवन पर नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव नहीं पड़ता है। आइए आचार्य श्याम चंद्र मिश्र जी से जानते हैं चैत्र शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन माता कालरात्रि पूजा की विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व।

चैत्र नवरात्रि माता कालरात्रि पूजा मुहूर्त (Chaitra Navratri 2023 Mata Kalratri Puja Muhurat)

चैत्र शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि प्रारंभ: 27 मार्च शाम 03 बजकर 57 मिनट से

चैत्र शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि समाप्त: 28 मार्च शाम 05 बजकर 32 मिनट पर

सौभाग्य योग: 27 मार्च रात्रि 09 बजकर 50 मिनट से 28 मार्च रात्रि 10 बजे तक

द्विपुष्कर योग: प्रातः 06 बजकर 16 मिनट से दोपहर 04 बजकर 02 मिनट तक

चैत्र नवरात्रि माता कालरात्रि पूजा महत्व (Chaitra Navratri 2023 Mata Kalratri Puja Significance)

आचार्य मिश्र बताते हैं कि देवी पुराण के अनुसार, माता कालरात्रि साहस एवं वीरता की देवी हैं। साथ ही नवरात्रि पर्व के सातवें दिन इनकी उपासना करने से सभी प्रकार के भय और दोष का अंत हो जाता है। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि माता कालरात्रि का अवतरण शुंभ और निशुंभ नमक दो दैत्यों के वध हेतु हुआ था। साथ ही माता शनि ग्रह को शासित करती हैं। इसलिए इनकी उपासना करने से शनि ग्रह का अशुभ प्रभाव साधकों पर नहीं पड़ता है।

माता कालरात्रि का स्वरूप (Mata Kalratri Roop)

माता कालरात्रि की चार भुजाएं हैं और इनकी सवारी गर्दभ यानि गधा है। माता कालरात्रि के दाएं भुजा में अभय और वरद मुद्रा है। वहीं बाएं भुजा में खड्ग और वज्र नामक अस्त्र विद्यमान हैं। मां कालरात्रि के उग्र रूप में शुभ शक्तियां आसीन हैं, इसलिए इन्हें शुभांकरी नाम से भी जाना जाता है।

माता कालरात्रि पूजा विधि (Mata Kalratri Puja Vidhi)

आचार्य मिश्र बताते हैं कि माता कालरात्रि की पूजा मध्यरात्रि यानी निशिता काल में करने से साधक को विशेष फल प्राप्त होता है। साथ ही सभी संकटों का नाश हो जाता है। ऐसा यदि संभव नहीं है तो सुबह जल्दी उठें और स्नान-ध्यान क व्रत का संकल्प लें। फिर माता कालरात्रि की प्रतिमा पर गंगाजल अर्पित करें। इसके बाद रोली, अक्षत, गंध, पुष्प, धूप, दीप, मिष्ठान, सिंदूर इत्यादि से मां कालरात्रि की विधवत पूजा करें।

देवी कालरात्रि को लाल रंग बहुत प्रिय है। इसलिए हो सके तो माता कालरात्रि की पूजा के समय साधक लाल रंग का वस्त्र पहनें और उन्हें लाल पुष्प जैसे- लाल गुलाब या लाल गुड़हल का फूल अर्पित करें। पूजा के पश्चात मां कालरात्रि को पान सुपारी, गुड़ और हलवे का भोग अर्पित करें।

माता कालरात्रि पूजा मंत्र (Mata Kalratri Mantra)

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता ।

लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी ।।

वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा ।

वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी ।।

स्तुति- या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।

ध्यान मंत्र

करालवन्दना घोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम् ।

कालरात्रिम् करालिंका दिव्याम् विद्युतमाला विभूषिताम् ।।

दिव्यम् लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम् ।

अभयम् वरदाम् चैव दक्षिणोध्वाघः पार्णिकाम् मम् ।।

महामेघ प्रभाम् श्यामाम् तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा ।

घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम् ।।

सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम् ।

एवम् सचियन्तयेत् कालरात्रिम् सर्वकाम् समृध्दिदाम् ।।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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