Move to Jagran APP

Akshaya navami 2023: अक्षय नवमी पर आवंला पूजन से प्राप्त होते हैं शुभ फल, जानिए मुहूर्त और पूजा विधि

Akshaya navami 2023 Date हिंदू धर्म में अक्षय नवमी को अक्षय तृतीया के समान ही महत्वपूर्ण माना गया है। इसे आंवला नवमी भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन पर आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। पश्चिम बंगाल में इसी दिन को जगद्धात्री पूजा के रूप में मनाया जाता है। साथ ही इस विशेष दिन पर मथुरा-वृंदावन की परिक्रमा भी की जाती है।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiPublished: Tue, 14 Nov 2023 04:31 PM (IST)Updated: Tue, 14 Nov 2023 04:31 PM (IST)
Akshaya navami 2023 पढ़िए अक्षय नवमी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Akshaya navami 2023 Puja: हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर अक्षय नवमी मनाई जाती है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। जैसा कि इसके नाम से ही जाहिर है, अक्षय नवमी पर किए गए कार्यों से व्यक्ति को अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइए जानते हैं अक्षय नवमी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

अक्षय नवमी महत्व (Akshay Navami Importance)

'अक्षय' का अर्थ है अमर यानि जिसका कभी क्षय न हो। ऐसा माना जाता है कि अक्षय नवमी के दिन ही सत्य युग की शुरुआत हुई थी। इसलिए अक्षय नवमी के दिन को सत्य युगादि के रूप में भी जाना जाता है। सभी प्रकार के दान-पुण्य कार्यों के लिए इस तिथि को बहुत-ही महत्वपूर्ण माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि से लेकर पूर्णिमा के दिन तक भगवान विष्णु आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं। यही कारण है कि अक्षय तृतीया पर आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है।

अक्षय नवमी शुभ मुहूर्त (Akshay Navami Shubh Muhurat)

कार्तिक नवमी के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 21 नवंबर, 2023 को प्रातः 03 बजकर 16 मिनट पर प्रारम्भ हो रही है। साथ ही इसका समापन 22 नवंबर को रात्रि 01 बजकर 09 मिनट पर होगा। ऐसे में अक्षय नवमी 21 नवंबर, मंगलवार के दिन मनाई जाएगी। इस दौरान पूजा का शुभ समय सुबह 06 बजकर 48 मिनट से 12 बजकर 07 मिनट तक रहने वाला है।

WhatsApp पर हमसे जुड़ें. इस लिंक पर क्लिक करें

अक्षय नवमी पूजा विधि (Akshay Navami puja vidhi)

आंवला नवमी के दिन आंवला के पेड़ की पूजा की जाती है। ऐसे में इस दिन जल में कच्चा दूध मिलाकर आंवला के पेड़ की जड़ में अर्पित करें। इसके साथ ही पेड़ पर फूल, माला, सिंदूर, अक्षत आदि अर्पित करें। पेड़ के तने में कच्चा सूत या मौली को आठ बार लपेंटे। पूजा के बाद व्रत कथा जरूर सुनें। इस दिन पूरे परिवार के साथ भोजन पेड़ के नीचे बैठकर सात्विक भोजन करना बहुत-ही माना जाता है।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.