गंगा पर बांध नहीं बनने देंगे
गंगा मुक्ति संग्राम को लेकर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती पीछे हटने को राजी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि गंगा की अविरलता व निर्मलता को लेकर केवल उत्तराखंड की बात नहीं कर रहे, बल्कि यह पांच राज्यों से जुड़ा मामला है।
हरिद्वार। गंगा मुक्ति संग्राम को लेकर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती पीछे हटने को राजी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि गंगा की अविरलता व निर्मलता को लेकर केवल उत्तराखंड की बात नहीं कर रहे, बल्कि यह पांच राज्यों से जुड़ा मामला है। ऐसे में जलविद्युत परियोजनाओं पर उत्तराखंड सरकार से बातचीत का औचित्य ही नहीं बनता। वे अब इस मुद्दे पर केवल प्रधानमंत्री से ही वार्ता करेंगे। उन्होंने इसके साथ ही ऐलान किया कि उत्तराखंड में गंगा पर बनने वाले किसी भी बांध को बनने नहीं दिया जाएगा।
मंगलवार को कनखल स्थित शंकराचार्य मठ में आयोजित पत्रकार वार्ता में द्वारिकापीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि 18 जून को दिल्ली में जनसभा का आयोजन होगा, जिसमें अनेक संत शामिल होंगे। सभा में हुए निर्णय के बाद ही आगे की रणनीति तय की जाएगी। शंकराचार्य ने कहा कि आंदोलन किसी सरकार या समाज के विरुद्ध नहीं है। उत्तराखंड के लोग गंगा के सेवक हैं, लेकिन राज्य में गंगा में प्रस्तावित भैरो घाटी, मनेरी भाली, पाला मनेरी जल विद्युत परियोजनाओं को नहीं बनने दिया जाएगा। गंगा को प्रदूषित करना अपमान है। उत्तराखंड के सीएम के गंगा में परियोजनाओं की वकालत करने संबंधी बयान पर सीधी टिप्पणी से बचते हुए उन्होंने कहा कि सीएम ने उन्हें जो पत्र सौंपा, उसमें गंगा की अविरलता व निर्मलता की बात कही गई है। उन्होंने गंगा के लिए अलग मंत्रालय बनाने की भी पैरवी की।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कांग्रेस से उनकी नजदीकी का सवाल नहीं है, वे हिंदुओं के गुरु हैं। किसी के लिए संकटमोचक नहीं हैं। गंगा के लिए उनकी लड़ाई जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि उनके निजी सचिव ब्रह्मचारी सुबुद्धानंद की ओर से सीएम विजय बहुगुणा को पत्र भी लिखा गया है। इसमें मुख्यमंत्री के परियोजनाओं के समर्थन पर कई सवाल उठाए हैं। पत्र में कहा गया है कि सीएम परियोजना न बनने पर केंद्र से हर साल बीस करोड़ रुपये राज्य के लिए चाहते हैं, यह एक तरह की सौदेबाजी है और इससे समस्या के समाधान नहीं होगा।
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