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खतरे की घंटी! गंगा पर भी असर डाल रही चिलचिलाती गर्मी, एक सप्ताह में इतना घट गया जलस्तर

प्रचंड गर्मी और बढ़ते पारे के साथ जीवनदायिनी सदानीरा सुरसरि गंगा की धार पतली होती जा रही है और प्रवाह मद्धिम। नदी का जलस्तर लगता घटता जा रहा है इससे नदी अपने घाटों से दूर होती जा रही है। बीते एक सप्ताह की ही बात करें तो गंगा के जलस्तर में 16 सेमी की कमी आई है और नदी अपने घाटों से निरंतर दूर होती चली गई है।

By Shailesh Asthana Edited By: Aysha Sheikh Mon, 10 Jun 2024 02:32 PM (IST)
खतरे की घंटी! गंगा पर भी असर डाल रही चिलचिलाती गर्मी, एक सप्ताह में इतना घट गया जलस्तर
खतरे की घंटी! गंगा पर भी असर डाल रही चिलचिलाती गर्मी, एक सप्ताह में 16 सेमी घट गया जलस्तर

जागरण संवाददाता, वाराणसी। प्रचंड गर्मी और बढ़ते पारे के साथ जीवनदायिनी सदानीरा सुरसरि गंगा की धार पतली होती जा रही है और प्रवाह मद्धिम। नदी का जलस्तर लगता घटता जा रहा है, इससे नदी अपने घाटों से दूर होती जा रही है और बीच-बीच में रेत के टीले बढ़ते जा रहे हैं। बीते एक सप्ताह की ही बात करें तो गंगा के जलस्तर में 16 सेमी की कमी आई है और नदी अपने घाटों से निरंतर दूर होती चली गई है।

जलस्तर कम होने से अब घाटों की सीढ़ियों पर बैठकर पवित्र जल से आचमन करना कठिन हो गया है। केंद्रीय जल आयोग के मध्य गंगा खंड तृतीय द्वारा जारी रिपोर्ट की बात करें तो बीते दो जून को शहर के राजघाट पर गंगा का जलस्तर 57.90 मीटर था। ठीक सातवें दिन यह घटकर 57.74 मीटर पर आ गया। यानी नदी के जलस्तर में 16 सेमी की गिरावट आई। पानी घटने से गंगा का प्रवाह भी मंद हो गया है।

इसके चलते नदी के किनारों और बीच धार में कचरा जमा हो रहा, इससे पानी में गंदगी की मात्रा बढ़ती जा रही। गंदला होता गंगाजल देख श्रद्धालु विचलित हो रहे हैं, साथ ही नदी के भरोसे आजीविका कमाने वाले निषाद, मल्लाह समुदाय के लोग भी चिंतित हैं। गंगा को मुक्त किए बिना देश का भविष्य उज्ज्वल नहीं प्रसिद्ध नदी विज्ञानी गंगा पर विस्तृत शोध करने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर, पर्यावरणविद डा. उदयकांत चौधरी बताते हैं कि गंगा भारत की जीवनदायिनी है।

आक्सीजन की मात्रा भी होगी प्रभावित

जलस्तर घटने तथा प्रवाह मंद होने से नदी के जल में घुलित आक्सीजन की मात्रा भी प्रभावित हाेगी। बायोलाजिकल आक्सीजन की डिमांड बढ़ेगी और जलीय जंतुओं के जीवन को खतरा उत्पन्न हो जाएगा। परिणाम स्वरूप गंगा में पाई जाने वाली मछलियां, डाल्फिन व कछुओं का जीवन संकट में पड़ जाएगा।

उन्होंने कहा कि गंगा को स्वच्छ तो तब ही हो जाएगी, जब इसमें पानी बढ़ जाएगा लेकिन कथित विकास के नाम पर गंगा को बांधों में कैद कर दिया गया है। जब तक गंगा को बांधों से मुक्त कर उन्मुक्त नहीं बहने दिया जाएगा, तब तक यह अपने वास्तविक स्वरूप में नहीं आएगी। गंगा के सिमटने से भारत की आर्थिकी, जनसांख्यिकी और पर्यावरण, कृषि सब कुछ प्रभावित होगा।