Sawan Jalabhishek 2019: सावन में भगवान शिव को क्यों चढ़ाते हैं जल, समुद्र मंथन से जुड़ा है कारण
Sawan Jalabhishek 2019 सावन में देवों के देव महादेव भगवान शिव शंकर को जल चढ़ाने का विधान है। अगर भगवान शिव को केवल जल ही अर्पित कर दिया जाए तो वह प्रसन्न हो जाते हैं।
Sawan Jalabhishek 2019: सावन में देवों के देव महादेव भगवान शिव शंकर को जल चढ़ाने का विधान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सावन में अगर भगवान शिव को केवल जल ही अर्पित कर दिया जाए तो वह प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान शिव को जल क्यों चढ़ाया जाता है, इसकी वजह समुद्र मंथन की घटना से जुड़ी है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सावन मास में ही समुद्र मंथन हुआ था। समुद्र मंथन में सबसे पहले विष निकला था। अगर वो विष धरती पर आ जाता तो पूरी सृष्टि संकट में आ जाती। किसी भी देव ने उस हलाहल विष का पान करने का साहस नहीं दिखाया।
देवों के देव महादेव ने उस विष का पान कर सृष्टि को बचाने का निर्णय लिया। भगवान शंकर ने उस विष का पान किया, जिसके कारण उनका कंठ नीला पड़ गया। इस वजह से भगवान शिव नीलकंठ कहलाए।
विष पान करके सृष्टि की रक्षा करने के कारण सभी देवताओं ने भगवान शिव का गुणगान किया और उनको जल अर्पित किया, ताकि उस विष का प्रभाव और ताप कम हो सके और भगवान शिव को राहत मिले। इस कारण से ही भगवान शिव को सावन में जल चढ़ाया जाता है। ऐसा करने से भक्तों को भोलेनाथ की विशेष कृपा मिलती है।
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दूसरी मान्यता
एक दूसरी मान्यता यह भी है कि भगवान शिव सुसराल जाने के लिए सावन में ही पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। जब वे ससुराल पहुंचे तो उनका स्वागत जलाभिषेक से हुआ था, जिससे वे अत्यंत प्रसन्न हुए थे। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि वे हर वर्ष सावन मास में ससुराल आते हैं। ऐसे में भगवान शिव का आर्शीवाद प्राप्त करने का यह उत्तम समय है।