Phulera Dooj 2024: फुलेरा दूज के दिन इन मंत्रों का करें जाप, प्रसन्न होंगे श्री राधा कृष्ण
पंचांग के अनुसार हर वर्ष फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज मनाई जाती है। इस वर्ष फुलेरा दूज 12 मार्च को है। यह तिथि बेहद शुभ होती है। इस अवसर पर श्री राधा कृष्ण की पूजा की जाती है। मान्यता है कि फुलेरा दूज के दिन श्री राधा कृष्ण की पूजा-अर्चना करने से इंसान की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूर्ण हो जाती हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shri Krishna Mantra: फुलेरा दूज का पर्व श्री राधा कृष्ण को समर्पित है। पंचांग के अनुसार, हर वर्ष फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज मनाई जाती है। इस वर्ष फुलेरा दूज 12 मार्च को है। यह तिथि बेहद शुभ होती है। इस त्योहार को मथुरा में बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर श्री राधा कृष्ण की पूजा की जाती है। मान्यता है कि फुलेरा दूज के दिन श्री राधा कृष्ण की पूजा-अर्चना करने से इंसान की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूर्ण हो जाती हैं। यदि आप भी भगवान श्री राधा कृष्ण की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो फुलेरा दूज के दिन पूजा के समय इन मंत्रों का जाप अवश्य करें।
भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र
ॐ कृष्णाय नमः
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।।
सफलता प्राप्ति मंत्र
ॐ श्री कृष्णः शरणं ममः
कृष्ण गायत्री मंत्र
“ॐ देव्किनन्दनाय विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात”
रोग दूर हेतु मंत्र
ॐ नमो भगवते तस्मै कृष्णाया कुण्ठमेधसे।
सर्वव्याधि विनाशाय प्रभो माममृतं कृधि।।
धन प्राप्ति हेतु मंत्र
ॐ नमो भगवते श्री गोविन्दाय
परेशानियी दूर करने वाला मंत्र
हे कृष्ण द्वारकावासिन् क्वासि यादवनन्दन।
आपद्भिः परिभूतां मां त्रायस्वाशु जनार्दन।।
मूल मंत्र
ॐ नमोः नारायणाय॥
विष्णु गायत्री मंत्र
ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
शान्ताकारम मंत्र
शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
धन-वैभव मंत्र
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
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