Mahalaxmi Vrat 2020 Puja Vidhi: आज इस मुहूर्त में प्रारंभ करें महालक्ष्मी व्रत, जानें पूजा की सही विधि एवं उद्यापन
Mahalaxmi Vrat 2020 Puja Vidhi आज से 16 दिनों का महालक्ष्मी व्रत प्रारंभ हो रहा है। आइए जानते हैं पूजा विधि मंत्र मुहूर्त महत्व एवं उद्यापन विधि के बारे में।
Mahalaxmi Vrat 2020 Puja Vidhi: हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को महालक्ष्मी व्रत होता है, जो आज दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर हो रहा है। आज से प्रारंभ हो रहा महालक्ष्मी व्रत 16 दिनों तक चलता है, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को इसका समापन होता है। महालक्ष्मी व्रत का व्रत करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि, संपन्नता और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कि महालक्ष्मी व्रत का पूजा मुहूर्त क्या है और इसकी विधि, मंत्र क्या है।
महालक्ष्मी व्रत पूजा मुहूर्त
आज दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से अष्टमी तिथि का प्रारंभ हो रहा है। ऐसे में आपको महालक्ष्मी व्रत की पूजा दोपहर बाद करनी चाहिए। महालक्ष्मी व्रत आज 25 अगस्त से प्रारंभ होकर 10 सितंबर 2020 तक चलेगा।
महालक्ष्मी व्रत एवं पूजा विधि
आज के दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर माता लक्ष्मी की मिट्टी की मूर्ति पूजा स्थान पर स्थापित करें। मां लक्ष्मी को लाल, गुलाबी या फिर पीले रंग का रेशमी वस्त्र पहनाएं। फिर उनको चन्दन, लाल सूत, सुपारी, पत्र, पुष्प माला, अक्षत, दूर्वा, नारियल, फल मिठाई आदि अर्पित करें। पूजा में महालक्ष्मी को सफेद कमल या कोई भी कमल का पुष्प, दूर्वा और कमलगट्टा भी चढ़ाएं। इसके बाद माता लक्ष्मी को किशमिश या सफेद बर्फी का भोग लगाएं। इसके बाद माता महालक्ष्मी की आरती करें। पूजा के दौरान आपको महालक्ष्मी मंत्र या बीज मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
श्री लक्ष्मी महामंत्र
“ओम श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।”
श्री लक्ष्मी बीज मन्त्र
“ओम श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।”
ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट के अनुसार, श्री लक्ष्मी बीज मन्त्र का जाप व्यक्ति के भाग्योदय में मदद करता है, वहीं लक्ष्मी महामंत्र का जाप करने से धन, संपदा, वैभव और ऐश्वर्य को स्थिरता प्राप्त होती है। कहा जाता है कि लक्ष्मी चंचला होती हैं, इसलिए लक्ष्मी महामंत्र का जाप कल्याणकारी होता है।
महालक्ष्मी व्रत उद्यापन
महालक्ष्मी व्रत का प्रारंभ करते समय अपने हाथ में हल्दी से रंगे 16 गांठ का रक्षासूत्र बांधते हैं। आखिरी दिन यानी 16वें दिन की पूजा के बाद इसे विसर्जित कर दें। 16वें दिन महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन होता है। उस दिन पूजा में माता लक्ष्मी की प्रिय वस्तुएं रखी जाती हैं। उद्यापन के समय 16 वस्तुओं का दान शुभ होता है। हर वस्तु की संख्या 16 रखी जाती है। जिसमें चुनरी, बिंदी, शीशा, सिंदूर, कंघा, रिबन, नथ, रंग, फल, बिछिया, मिठाई, रुमाल, मेवा, लौंग, इलायची और पुए होते हैं। पूजा के बाद माता महालक्ष्मी की आरती की जाती है।