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Jitiya 2019 Date: 21 को नहीं, 22 को है जितिया व्रत, जानें क्या है पूजा और पारण का समय

Jitiya 2019 Date Jitiya Vrat Parana Time 2019 जितिया व्रत का उपवास 22 सितंबर को तथा प्रदोष काल में जीमूतवाहन का पूजन होगा।

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 12:38 PM (IST)Updated: Sat, 21 Sep 2019 07:00 AM (IST)
Jitiya 2019 Date: 21 को नहीं, 22 को है जितिया व्रत, जानें क्या है पूजा और पारण का समय
Jitiya 2019 Date: 21 को नहीं, 22 को है जितिया व्रत, जानें क्या है पूजा और पारण का समय

Jitiya 2019 Date: जितिया व्रत या जीवित्पुत्रिका व्रत या जीमूतवाहन के व्रत की तारीख को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कुछ लोग 21 सितंबर दिन शनिवार को जितिया व्रत रखने को बता रहे हैं तो कुछ लोग अगले दिन 22 सितंबर रविवार को। इस बार जितिया व्रत के लिए अष्टमी और नवमी की तिथियों के कारण असमंजस की यह स्थिति उत्पन्न हो रही है। हालांकि आपको चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। हम आपको बता रहे हैं कि जितिया व्रत कब रखना है और उसका सही तारीख और दिन क्या है।

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22 को है जितिया व्रत

जितिया व्रत की तारीख को लेकर ज्योतिषाचार्य पं गणेश प्रसाद मिश्र ने स्पष्ट किया है। उन्होंने बताया कि जितिया व्रत प्रत्येक वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होती है। प्रदोष काल व्यापिनी अष्टमी को जीमूतवाहन का पूजन होता है।

जितिया व्रत के लिए यह भी आवश्यक है कि पूर्वाह्न काल में पारण हेतु नवमी तिथि प्राप्त होनी चाहिए। इस वर्ष अष्टमी तिथि दिनांक 22 सितंबर रविवार को दिन में 2:10 तक ही है। ऐसे में 21 तारीख दिन शनिवार को सप्तमी है, सप्तमी को प्रदोष व्यापिनी अष्टमी में व्रत रखते हैं तो पारण करने के लिए 22 सितंबर को पूर्वाह्न में नवमी तिथि प्राप्त नहीं हो रही है।

ऐसी स्थिति में महिलाओं को उदया अष्टमी दिन रविवार को उपवास रखना चाहिए, फिर प्रदोष काल में ही जीमूतवाहन की पूजा करें। अगले दिन सोमवार को नवमी में सुबह के समय पारण करें।

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पूजा और पारण का समय

इस प्रकार से जितिया व्रत का उपवास 22 सितंबर को तथा प्रदोष काल में (शाम 4:28 से रात्रि 7:32 तक) जीमूतवाहन का पूजन होगा। फिर दिनांक 23 सितंबर सोमवार को सुबह व्रत का पारण होगा।

जितिया व्रत की कथा सुनें

जितिया व्रत सौभाग्यवती महिलाएं अपने बेटे के दीर्घ, आरोग्य और सुखमय जीवन के लिए करती हैं। यह व्रत बेहद ही कठिन होता है। इसमें अन्न और जल का त्याग करना होता है, महिलाओं को निर्जला व्रत रखना होता है। गन्धर्व राजा जीमूतवाहन की पूजा करने के साथ ही जितिया व्रत की कथा भी सुनना आवश्यक होता है।


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