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Hartalika Teej 2019 Rules: हरतालिका तीज के ये हैं 10 नियम, इनके पालन न करने से निष्फल होगा व्रत

Hartalika Teej 2019 Rules भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को विवाहित महिलाएं और अविवाहित युवतियां हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं।

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Wed, 28 Aug 2019 12:25 PM (IST)Updated: Sat, 31 Aug 2019 01:44 PM (IST)
Hartalika Teej 2019 Rules: हरतालिका तीज के ये हैं 10 नियम, इनके पालन न करने से निष्फल होगा व्रत
Hartalika Teej 2019 Rules: हरतालिका तीज के ये हैं 10 नियम, इनके पालन न करने से निष्फल होगा व्रत

Hartalika Teej 2019 Rules: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को विवाहित महिलाएं और अविवाहित युवतियां हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं। अखंड सौभाग्य और मनचाहा वर पाने के लिए इस दिन माता गौरी और भगवान शिव कर पूजा की जाती है। हरतालिका तीज व्रत काफी कठिन होता है, इस व्रत को करने के लिए कुछ नियम बनाए गए है। जो भी महिलाएं यह व्रत रखती हैं, उनको इन नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो व्रत निष्फल माना जाता है। आइए जानते हैं उन नियमों के बारे में —

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हरतालिका तीज व्रत के नियम

1. यदि आप एक बार हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं, तो फिर आपको यह व्रत हर वर्ष रखना होता है। स्वास्थ्य कारणों से यदि आप व्रत नहीं रख पाती हैं तो एक बार उद्यापन करने के बाद फलाहार कर यह व्रत रख सकती हैं।

2. हरतालिका तीज व्रत अपने नियमों के कारण कठिन है। महिलाएं बिना अन्न और जल ग्रहण किए इस व्रत को रखती हैं और अगले दिन पारण करती हैं।

3. इस व्रत को विवाहित महिलाएं और अविवाहित युवतियां रख सकती हैं, लेकिन विधवा महिलाओं के लिए भी मनाही नहीं है।

4. इस व्रत में महिलाओं को माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा विधि विधान से करनी होती है।

5. पूजा के दौरान माता पार्वती को सुहाग की समाग्री अर्पित की जाती है।

6. भगवान शिव को भी वस्त्र अर्पित करने की परंपरा है, वस्त्र में धोती या फिर अंगौछा चढ़ाया जाता है।

7. पूजा के पश्चात सुहाग की समाग्री को किसी जरूरतमंद व्यक्ति या मंदिर के पुरोहित को दान करने का रिवाज है। दान से पूर्व अपनी सास के चरण जरूर स्पर्श करें।

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8. इस व्रत को करते हुए रात में सोना वर्जित है, रात में जागरण करना चाहिए।

9. रात के समय हरतालिका तीज की कथा भी सुननी चाहिए।

10. अगले दिन सुबह स्नान के बाद माता पार्वती सिंदूर जरूर अर्पित करें, फिर हलवे बनाकर भोग लगाएं। इसके पश्चात पारण के साथ व्रत पूर्ण करें।


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