Hartalika Teej 2019 Vrat: विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए रखती हैं व्रत, जानें मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र एवं महत्व
Hartalika Teej 2019 Vrat भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को विवाहित महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य के लिए और अविवाहित युवतियां मनचाहा वर पाने के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।
Hartalika Teej 2019 Vrat: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। इस वर्ष हरतालिका तीज 02 सितंबर को दिन सोमवार को मनाई जाएगी। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य के लिए और अविवाहित युवतियां मनचाहा वर पाने के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत में फलाहार की मनाही होती है। यह व्रत बेहद ही कठिन होता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि रविवार 01 सितंबर को दिन में 11:21 बजे से लग जाएगी, जो सोमवार 02 सितम्बर के दिन में 9 बजकर 2 मिनट तक रहेगी। उसके बाद चतुर्थी तिथि लग जाएगी।
चतुर्थी से युक्त तृतीया (हरितालिका) वैधव्यदोष नाशक तथा पुत्र-पौत्रादि को बढ़ाने वाली होती है, इसीलिए इस वर्ष हरितालिका व्रत सोमवार 02 सितंबर को मनाया जाएगा।हरितालिका तीज का शुभ मुहूर्त शाम 6:10 बजे से रात 07:54 बजे तक है।
कौन रख सकता है व्रत
शास्त्र में इस व्रत को रखने के लिए सधवा और विधवा सभी के लिए अनुमति है। अविवाहित युवतियां भी इस व्रत को रख सकती हैं।
व्रत एवं पूजा विधि
हरतालिका तीज व्रत माता गौरी और भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को सुबह दैनिक क्रियाओ से निवृत्त होने के बाद स्नान करना चाहिए। फिर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। इसके उपरांत व्रती को "मम उमामहेश्वरसायुज्यसिद्धये हरितालिकाव्रतमहं करिष्ये' मंत्र से व्रत का संकल्प करना चाहिए।
इसके बाद मकान के मंडप आदि से सुशोभित कर पूजन सामग्री एकत्र करें। फिर कलश स्थापन करके उस पर सुवर्णादि निर्मित शिव-गौरी (अथवा पूर्व प्रतिष्ठित हर-गौरी) को प्रतिष्ठित करें। फिर मंत्रों से उनको फूल आदि अर्पित करें।
Hartalika Teej 2019: 01 नहीं, 02 सितंबर को मनाई जाएगी हरतालिका तीज, ये हैं 2 सबसे बड़े कारण
ऊँ उमायै नम: मंत्र से माता गौरी और महादेवाय नम: से भगवान शिव के नामों से स्थापन और पूजन करके धूप दीपादि से षोडशोपचार पूजन संपन्न करें।
'देवि देवि उमे गौरि त्राहि मां करुणानिधे।
ममापराधा: क्षन्तव्या भुक्तिमुक्तिप्रदा भव।।
मंत्र से प्रार्थना करें और निराहार रहे। दूसरे दिन पूर्वाह्न में पारण करके व्रत को समाप्त करें। इसी दिन 'हरिकाली' 'हस्तगौरी' और 'कोटीश्वरी' आदि के व्रत भी होते हैं। इन सब में पार्वती के पूजन की प्रमुखता है और विशेषकर इनको स्त्रियां करती हैं।
-ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र