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Chanakya Niti: नरक का दुख भोगकर धरती पर जन्मे लोगों में पाए जाते हैं ये चार अवगुण

आचार्य चाणक्य अपनी रचना नीति शास्त्र के सातवें अध्याय के सोलहवें श्लोक में कहते हैं कि स्वर्ग का सुख भोगकर धरती पर जन्म लेने वाले लोग में ये चार गुण पाए जाते हैं। ये मधुरभाषी होते हैं दान-पुण्य करते हैं ईश्वर की भक्ति-उपासना करते हैं और ब्राह्मणों को दान देते हैं। यकीनन ऐसे लोग स्वर्ग लोक से सुख भोगकर धरती पर जन्म लेते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Fri, 29 Mar 2024 07:13 PM (IST)Updated: Fri, 29 Mar 2024 07:13 PM (IST)
Chanakya Niti: नरक का दुख भोगकर धरती पर जन्मे लोगों में पाए जाते हैं ये चार अवगुण
Chanakya Niti: नरक का दुख भोगकर धरती पर जन्मे लोगों में पाए जाते हैं ये चार अवगुण

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य अपनी नीतियों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं। जानकारों की मानें तो आचार्य चाणक्य अपनी कूटनीति चाल से शत्रु पर अंकुश लगाने में माहिर थे। उनके विचारों और कथनों का पालन कर चन्द्रगुप्त सम्राट तत्कालीन समय में सम्राट बने थे। उनके प्रयासों के चलते ही मौर्य साम्राज्य की ख्याति दुनियाभर में फैली। आचार्य चाणक्य ने अपनी रचना नीति शास्त्र में व्यक्ति के गुणों और अवगुणों पर प्रकाश डाला है। उनकी मानें तो कुछ लोग नरक का दुख भोगकर धरती पर जन्म लेते हैं। इनकी पहचान व्यक्ति विशेष में व्याप्त अवगुणों से होती है। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

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1. स्वर्गस्थितानामिह जीवलोके चत्वारि चिह्नानि वसन्ति देहे।

दानप्रसङ्गो मधुरा च वाणी देवार्चनं ब्राह्मणतर्पणं च॥

आचार्य चाणक्य अपनी रचना नीति शास्त्र के सातवें अध्याय के सोलहवें श्लोक में कहते हैं कि स्वर्ग का सुख भोगकर धरती पर जन्म लेने वाले लोग में ये चार गुण पाए जाते हैं। ये मधुरभाषी होते हैं, दान-पुण्य करते हैं, ईश्वर की भक्ति-उपासना करते हैं और ब्राह्मणों को दान देते हैं। यकीनन ऐसे लोग स्वर्ग लोक से सुख भोगकर धरती पर जन्म लेते हैं।

2. अत्यंतकोप: कटुका च वाणी दरिद्रता च स्वजनेषु वैरम्।

नीचप्रसंग: कुलहीन सेवा चिह्ननानि देहे नरक स्थितानाम।।

आचार्य चाणक्य नरक लोक से दुख भोगकर धरती पर जन्म लेने वाले के बारे में कहते हैं कि ऐसे लोगों की पहचान चार अवगुणों से होती है। ये कटु भाषी होते हैं, निर्धन होते हैं, नीच लोगों से संगति करने वाले होते हैं और परिवारजनों एवं मित्रों से दुष्ट और वैर भावना रखने वाले होते हैं। ऐसे लोग न इस लोक और न ही ऊपर के लोक में सुखी रह पाते हैं।

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डिसक्लेमर- 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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