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Rajasthan: किसानों को ब्याज दर में छूट दे सकती है गहलोत सरकार

Gehlot government. अशोक गहलोत सरकार कृषि लोन की तरह अब दीर्घकालीन लोन की ब्याज दरों में पांच प्रतिशत की छूट देने की घोषणा करने की तैयारी कर रही है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 16 Dec 2019 04:55 PM (IST)Updated: Mon, 16 Dec 2019 04:55 PM (IST)
Rajasthan: किसानों को ब्याज दर में छूट दे सकती है गहलोत सरकार
Rajasthan: किसानों को ब्याज दर में छूट दे सकती है गहलोत सरकार

जागरण संवाददाता, जयपुर। Gehlot government. राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार कृषि लोन की तरह अब दीर्घकालीन लोन की ब्याज दरों में पांच प्रतिशत की छूट देने की घोषणा करने की तैयारी कर रही है। वर्तमान समय में राज्य भूमि विकास बैंक किसानों को दीर्घकालीन लोन वितरित करते हैं। इसके अलावा अपेक्स बैंक भी अपने कुल पोर्टफोलियो के पांच प्रतिशत के बराबर दीर्घकालीन लोन बांटता है। लेकिन दीर्घकालीन लोन पर किसानों को 13 से 14 प्रतिशत तक का ब्याज देना पड़ता है।

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इस ब्याज दर पर सरकार किसी तरह की सब्सिडी नहीं देती है, जबकि अल्पकालीन कृषि लोन पर राज्य सरकार और केंद्र सरकार ब्याज में कुल सात प्रतिशत की सब्सिडी देती है। लेकिन किसानों को दीर्घकालीन लोन के लिए सरकार को बाजार दर पर ही ब्याज चुकाना पड़ता है। इसके साथ ही दीर्घकालीन जोन के बदले उसकी जमीन भी गिरवी रहती है। दीर्घकालीन लोन किसान को आघारभूत संरचना के निर्माण के लिए दिए जाते हैं। इसके किसान के खेती के लिए कृष उपकरण खरीदने के साथ ही खेत की पक्की दीवार बनाई जा सकती है। 

स्थानीय निकाय के बाद सहकारी संस्थाओं पर कांग्रेस का कब्जा करने की रणनीति

स्थानीय निकाय चुनाव में मिली सफलता से उत्साहित राजस्थान की कांग्रेस सरकार अब सहकारिता के क्षेत्र में पार्टी को मजबूत करना चाहती है। इसी के तहत पंचायत चुनाव से पहले प्रदेश की 18 हजार सहकारी समितियों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट चाहते हैं कि विभिन्न सहकारी बैंकों, दुग्ध संघों एवं अन्य प्रमुख सहकारी संस्थाओं पर कांग्रेस का कब्जा हो।

इसके लिए सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना सहित सहकारी क्षेत्र से जुड़े आधा दर्जन कांग्रेस नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है। सहकारी संस्थाओं के चुनाव का कार्यक्रम भी घोषित कर दिया गया है। सहकारिता मंत्री ने बताया कि चुनाव दिसंबर से जून तक संपन्न करवाए जाएंगे। तीन चरणों में लगभग 18 हजार सहकारी समितियों के चुनाव होंगे। इनमें सहकारी समितियों के प्रतिनिधि चुने जाएंगे। पहले चरण में दिसंर-जनवरी में प्राथमिक सहकारी समितियों जैसे बुनकर समिति, हाऊसिंग, बचत साख, क्रय विक्रय समितियों की सदस्य समितियां, केंद्रीय सहकारी बैंकों की सदस्य समितियों, प्राथमिक सहकारी उपभोक्ता भंडार, नागरिक सहकारी बैंक सहित अन्य प्रकार की लगभग 1500 सहकारी समितियों के चुनाव होंगे।

दूसरे चरण में फरवरी में करीब छह हजार ग्राम सेवा सहकारी समितियों एवं क्रय-विक्रय सहकारी समितियों के चुनाव कराए जाएंगे। ग्राम सेवा सहकारी समितियों के चुनाव संपन्न होने के बाद केंद्रीय सहकारी बैंकों, अपेक्स बैंक एवं राजफैड के चुनाव होंगे। इसी दौरान जिला सहकारी हॉलसेल भंडार के चुनाव भी कराए जाएंगे। तीसरे चरण में मई में करीब 10 हजार प्राथमिक दुग्ध सहकारी समितियों, जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों एवं राज्य डेयरी फेडरेशन के चुनाव कराए जाएंगे। सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण को चुनाव की तैयारियों के निर्देश दे दिए गए हैं।

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