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Rajasthan: राज्यपाल ने जिस विधेयक को लौटाया, सरकार ने उसे संशोधन कर कराया पारित; अब भाजपा ने दागे कई सवाल

Rajasthan News राजस्थान के राज्यपाल ने जिस विधेयक को लौटाया था सरकार ने संशोधन कर उसे विधानसभा में पारित करा लिया है। वहीं विधेयक के पारित होने पर अब भाजपा ने सरकार पर निशाना साधा है और कई सवाल पूछे हैं।

By Achyut KumarEdited By: Published: Wed, 21 Sep 2022 07:18 PM (IST)Updated: Wed, 21 Sep 2022 07:18 PM (IST)
Rajasthan: राज्यपाल ने जिस विधेयक को लौटाया, सरकार ने उसे संशोधन कर कराया पारित; अब भाजपा ने दागे कई सवाल
Rajasthan News: अधिवक्ता कल्याण निधि विधेयक पर भिड़े सरकार और विपक्ष

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने मार्च, 2021 में जिस राजस्थान अधिवक्ता कल्याण निधि विधेयक को कुछ आपत्तियों के साथ लौटा दिया था, बुधवार को उसे कुछ संशोधन के साथ विधानसभा में पारित किया गया। हालांकि भाजपा के विधायकों ने इसमें किए गए संशोधनों पर आपत्ति जताई। वहीं सरकार की तरफ से बार काउंसिल के सुझाव पर ही संशोधन करने की बात कही गई।

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राज्यपाल ने लौटाया था विधेयक

दरअसल, 7 मार्च, 2020 को विधानसभा में अधिवक्ता कल्याण निधि विधेयक पारित कर मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा गया था। लेकिन राज्यपाल ने साल, 2021 में कुछ टिप्पणियों के साथ इस विधेयक को वापस लौटा दिया था। बुधवार को सदन में जब इस विधेयक पर चर्चा शुरू हुई तो प्रतिपक्ष के उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने इसका हवाला देते हुए कहा कि राजस्थान को कहीं पश्चिम बंगाल मत बना देना।

'विधेयक में सुधार होना बेहद जरूरी था'

राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि राज्यपाल ने जिन टिप्पणियों और आपत्तियों के साथ इस विधेयक को वापस भेजा था, उसमें सुधार करना बेहद जरूरी है। लेकिन सरकार ने इसमें जल्दबाजी में संशोधन किया है। सरकार राज्यपाल के अधिकारों का हनन कर रही है।

अविनाश गहलोत ने की यह मांग

विधायक अविनाश गहलोत ने संशोधन विधेयक में वकालतनामा के साथ स्टांप ड्यूटी के रूप में 100 रुपये के शुल्क को कम करने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह पैसा वकील को नहीं बल्कि जिसकी वह पैरवी करेगा उसे देना होगा। इससे आम आदमी पर भार पड़ेगा।

प्रतिपक्ष ने नेता ने स्लैब पर जताई आपत्ति

प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने संशोधन में वकीलों के दुर्घटना बीमा के लिए बनाए गए पांच से पचास साल तक के स्लैब पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि बार काउंसिल में पांच साल की सदस्यता वाले वकील को 50 हजार रुपये और 50 साल तक सेवाएं देने वाले वकील को 15 लाख रुपये तक की राशि देने का प्रावधान कम है। क्योंकि सरकारी कर्मचारी जब सेवानिवृत होता है तो उसे इससे कहीं ज्यादा रकम मिलती है।

मंत्री ने दिया यह जवाब

विधायकों की आपत्तियों का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री डा. बी. डी. कल्ला ने कहा कि इस संशोधन विधेयक में जो भी बदलाव किए गए हैं, वह बार काउंसिल के सुझाव के तहत किए हुए हैं। सरकार ने जो संशोधन किए हैं, उनमें वकालतनामा में स्टांप और वेलफेयर के नाम से ली जाने वाली राशि पहले 50 रुपये थे, उसे अब 100 रुपये किया गया है। यह राशि प्रतिवर्ष जुलाई में दस रुपये बढ़ाई जाएगी। इसी तरह वकीलों के दुर्घटना बीमा के लिए पांच से लेकर 50 साल तक के अनुभव के आधार पर मदद की राशि के अलग-अलग स्लैब बनाए गए है।

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