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Rajya Sabha Election 2020: राजस्थान में अब अपने विधायकों की क्राॅस वोटिंग रोकेंगे अशोक गहलोत

Rajya Sabha Election 2020. क्राॅस वोटिंग रोकने के लिए जूझ रहे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अब अपने खुद के विधायकों की क्रॉस वोटिंग रोकने की चिंता करनी होगी।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 18 Mar 2020 03:54 PM (IST)Updated: Wed, 18 Mar 2020 03:54 PM (IST)
Rajya Sabha Election 2020: राजस्थान में अब अपने विधायकों की क्राॅस वोटिंग रोकेंगे अशोक गहलोत
Rajya Sabha Election 2020: राजस्थान में अब अपने विधायकों की क्राॅस वोटिंग रोकेंगे अशोक गहलोत

मनीष गोधा, जयपुर। Rajya Sabha Election 2020. अब तक मध्य प्रदेश और गुजरात के कांग्रेस विधायकों की क्राॅस वोटिंग रोकने के लिए जूझ रहे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अब अपने खुद के विधायकों की क्रॉस वोटिंग रोकने की चिंता करनी होगी। सत्तारूढ़ कांग्रेस में दिख रही फूट का फायदा उठाने के लिए यहां भाजपा ने राज्यसभा चुनाव में अपने एक और प्रत्याशी ओंकार सिंह लखावत को चुनाव मैदान में बनाए रखा है। लखावत ने बुधवार को नाम वापसी के अंतिम दिन नाम वापस नहीं लिया। ऐसे में अब यहां 26 मार्च को राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चार प्रत्याशी हो गए है और मतदान होना तय हो गया है।

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पिछले दस दिन में मध्य प्रदेश और गुजरात के कांग्रेस विधायक क्राॅस वोटिंग के खतरे से बचने के लिए राजस्थान आ चुके हैं और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पार्टी के लिए ट्रबल शूटर की भूमिका में थे। अब उन्हें अपनी राजनीति का कौशल अपने विधायकों की क्राॅस वोटिंग रोकने केलिए दिखाना होगा। राजस्थान से राज्यसभा की तीन सीटों के लिए कांग्रेस ने राष्ट्रीय संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और यहां के स्थानीय नेता नीरज डांगी को मैदान में उतारा था।

वहीं, तीसरी सीट के लिए भाजपा ने पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेन्द्र गहलोत को टिकट दिया था। ऐेसे में यह लग रहा था कि यहां निर्विरोध चुनाव हो जाएगा, लेकिन नामांकन के अंतिम दिन भाजपा ने पार्टी के वरिष्ठ नेता ओंकार सिंह लखावत को भी मैदान में उतार दिया। पहले लगा  कि वे डमी उम्मीदवार होंगे, लेकिन बाद में पार्टी ने स्पष्ट कर दिया कि वे चुनाव लड़ रहे हैं। इसके बावजूद नाम वापसी के समय तक उम्मीद की जा रही थी कि वे नाम वापस ले सकते हैं, क्योंकि विधानसभा में संख्या बल के लिहाज से उनके जीतने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। भाजपा के पास 24 अतिरिक्त वोट हैं, जीतने के लिए उसे 27 वोट और चाहिए।

सरकार की गुटबाजी से हमें वोट मिलेंगे

इस बारे में पार्टी के नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया और प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का कहना है कि हमारे पास खोने के लिए कुछ नहीं है, जबकि सरकार में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री तथा मंत्रियों में आपस में काफी खींचतान है। कई निर्दलीय विधायक जो अब तक सरकार के साथ दिख रहे थे, उन्होंने भी विधानसभा सत्र के दौरान सरकार की आलोचना की है। ऐसे में हमें उम्मीद है कि हमारे प्रत्याशी को वोट को जीत के लायक वोट मिल जाएंगे।

नीरज डांगी को देख बनी स्थिति

राजस्थान में चुनाव की यह स्थिति बनने के पीछे एक बड़ा कारण कांग्रेस के दूसरे प्रत्याशी के रूप में नीरज डांगी का चुनाव किया जाना है। वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नजदीकी माने जाते हैं और पायलट गुट में इससे असंतोष बताया जा रहा है। भाजपा इसी असंतोष को भुनाने की कोशिश में है। 

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