लॉकडाउन में बदला ट्रेंड, प्राइवेट का मोह छूटा, सरकारी स्कूलों में बच्चों का करा रहे दाखिला
पंजाब में लॉकडाउन के दौरान लोगों का निजी स्कूली की मनमानी के कारण उनसे मोह भंग हो रहा है। लोग अपने बच्चों को निजी स्कूल से निकाल कर सरकारी स्कूलों में भेज रहे हैं।
चंडीगढ़/संगरूर, जेएनएन। कोरोना वायरस को लेकर लॉकडाउन में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। एक तरफ जहां ऑनलाइन पढ़ाई का नया दौर शुरू हो गया है वहीं, प्राइवेट स्कूलों से अभिभावकों का मोह भी भंग होने लगा है। इस कारण सरकारी स्कूल में दाखिले का ग्राफ बढ़ रहा है। लॉकडाउन के बाद सरकारी स्कूलों में 1.65 लाख दाखिले हो चुके हैं। अहम बात यह है कि इसमें हर क्लास के विद्यार्थी शामिल हैं। शिक्षा मंत्री विजय इंदर सिंगला ने इसकी पुष्टि की है।
अभिभावकों ने कहा, निजी स्कूलों ने कोरोना के कारण लगे कफ्र्यू में भी फीस के लिए दबाव बनाया
लॉकडाउन के दौरान एक तरफ जहां लोगों की आय कम हुई, वहीं दूसरी तरफ प्राइवेट स्कूल प्रबंधकों की मनमानी भी बढ़ती गई। लॉकडाउन के कारण कामकाज ठप होने के कारण नौकरीपेशा लोगों की तनख्वाह में कटौती हुई। प्राइवेट स्कूलों ने न सिर्फ स्कूल फीस में वृद्धि की बल्कि लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद होने के बावजूद अभिभावकों की फीस जमा करवाने के लिए मजबूर किया। आय कम होने के कारण अभिभावकों का प्राइवेट स्कूल के प्रति मोह भंग हुआ। क्योंकि अभिभावक प्राइवेट स्कूलों की भारी-भरकम फीस जमा करने की स्थिति में नहीं है।
सरकारी स्कूलों का इन्फ्रास्ट्रक्चर भी सुधरा
सरकारी स्कूलों के इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार होना भी एक कारण माना जा रहा है। क्योंकि पिछले एक साल में शिक्षा विभाग ने राज्य के 3500 से अधिक स्कूलों को स्मार्ट स्कूल में बदला है। सरकारी शिक्षा के लिए अच्छी बात यह है कि इस बार उनके यहां 50,000 ऐसे विद्याॢथयों ने दाखिला लिया है, जो 11वीं और 12वीं कक्षा में हैं। शिक्षामंत्री विजय इंदर सिंगला का कहना है, सरकारी स्कूलों में दाखिला बढ़ा है।
केवल यह कहा जाना ठीक नहीं है कि प्राइवेट स्कूल की फीस के कारण सरकारी स्कूल में दाखिला बढ़ा है। क्योंकि शिक्षा विभाग न सिर्फ अपना इन्फ्रास्ट्रचर को मजबूत कर रहा है, बल्कि पढ़ाई की गुणवत्ता में भी बड़ा सुधार आया है। इसकी वजह से अभिभावकों का विश्वास बहाल हुआ है। शिक्षा मंत्री विजय इंद्र सिंगला के जिले संगरूर में पिछले साल के मुकाबले 5566 बच्चों का दाखिला अधिक हुआ है।
प्री-नर्सरी में ज्यादा एडमिशन
राज्य ने 91,175 सरकारी स्कूल है। चालू शैक्षणिक सत्र में 1.65 विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूल में दाखिला लिया है। इसमें बड़ी संख्या प्री-नर्सरी में दाखिला लेने वालों की है, जो करीब 65,192 है। जबकि एक लाख विद्यार्थी अन्य कक्षाओं के है। शिक्षा विभाग के राहत लेने वाली बात यह है कि आठवीं से लेकर 12वीं कक्षा में पढऩे वाले विद्यार्थी भी सरकारी स्कूल में एडमिशन ले रहे हैं।
क्या कहते हैं अभिभावक
संगरूर निवासी मलकीत सिंह, जगविंदर सिंह, हरदियाल सिंह, संजीव गोयल ने बताया कि उनके बच्चे निजी स्कूल में पढ़ते थे। कर्फ्यू के दौरान स्कूल बंद थे। प्रबंधकों ने फीस भरने के लिए दबाव बनाया। हर बच्चे का कम से कम फीस का खर्च दस हजार से अधिक बनता है, जिसके चलते उन्होंने अपने बच्चे वहां से हटा लिए। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का खर्च बहुत मामूली है।
स्कूल प्रमुखों ने इसलिए हटाए बच्चे
मालेरकोटला के नजदीकी गांव हथन के सरकारी स्मार्ट सीनियर सेकेंडरी स्कूल के ङ्क्षप्रसिपल नरेश कुमार ने पटियाला के नाभा शहर के एक निजी स्कूल में पढ़ती बेटी को 12वीं मेडिकल की पढ़ाई के लिए सरकारी स्मार्ट सीनियर सेकेंडरी स्कूल नाभा में दाखिल करवाया। उनका कहना है कि सरकारी स्मार्ट स्कूलों की पढ़ाई निजी स्कूलों से कहीं बेहतर हैं। संगरूर के गांव अमामगढ़ के स्मार्ट स्कूल के प्रमुख मोहम्मद याकूब चौधरी ने बेटी का अमामगढ़ के स्मार्ट स्कूल में 9वीं में दाखिला करवाया।
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'' संगरूर के 667 प्राइमरी स्कूलों में पिछले साल 79,790 विद्यार्थी थे। अब इनकी संख्या 82756 हो गई। अगस्त तक यह संख्या और बढ़ेगी क्योंकि अभी पढ़ाई शुरू नहीं हुई।
-ओम प्रकाश सेतिया, डिप्टी डीईओ, संगरूर।
'' 362 सरकारी प्राइमरी स्कूलों में गत वर्ष के मुकाबले 2591 नए विद्यार्थी पहुंचे। पिछले साल 56,591 बच्चे थे। इस साल संख्या 59,182 पहुंच गई। नए दाखिलों के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है।
- डॉ. प्रभशरन कौर, डीईओ एलीमेंट्री।
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