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हाई रिस्क गर्भवती औरतों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत : सिविल सर्जन

शहीद भगत सिंह नगर के सिविल सर्जन डा. गुरिदरबीर कौर की अध्यक्षता में सिविल सर्जन दफ्तर में मातृ मृत्यु निगरानी और कार्रवाई (एमडीएसआर) विषय पर जिला स्तरीय दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत हुई।

By JagranEdited By: Published: Mon, 04 Oct 2021 10:24 PM (IST)Updated: Mon, 04 Oct 2021 10:24 PM (IST)
हाई रिस्क गर्भवती औरतों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत : सिविल सर्जन

संवाद सहयोगी, नवांशहर, शहीद भगत सिंह नगर के सिविल सर्जन डा. गुरिदरबीर कौर की अध्यक्षता में सिविल सर्जन दफ्तर में 'मातृ मृत्यु निगरानी और कार्रवाई (एमडीएसआर) विषय पर जिला स्तरीय दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत हुई। जिसमें जिले की विभिन्न सेहत संस्थाओं से सीनियर मेडीकल अफसर, मेडीकल अफसर और स्टाफ नर्सो सहित एएनएम ने भाग लिया। सिविल सर्जन डा. गुरिदरबीर कौर ने प्रशिक्षण की शुरुआत करते हुए कहा कि एमडीएसआर निरंतर चलने वाली निगरानी व्यवस्था है, जिसके साथ सेहत सेवाओं में सुधार लाकर भविष्य में मातृ मृत्यु दर को रोकने की कार्रवाई अमल में लाई जाती है। मातृ मृत्यु को घटाने के लिए गर्भवती औरतों का विशेषज्ञ गायनाकोलोजिस्ट के पास से ही जांच कराया जाना चाहिए तथा हाई रिस्क गर्भवती औरतों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

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उन्होंने कहा कि मातृ मृत्यु निगरानी और कार्रवाई प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य मातृ मृत्यु दर के सही कारणों का पता लगाकर उसमें कमी लाना है। उन्होंने कहा कि मातृ मृत्यु निगरानी और कार्रवाई एक जांच, निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली है। जिसमें हम गर्भवती औरतों की मौत के कारणों की पड़ताल करते हैं और वजह समझने के बाद हाई रिस्क औरतों सहित गर्भवती औरतों को कुपोषण मुक्त करने, सेहत सेवाओं में सुधार लाने पर विशेष ध्यान देते हैं। इस मौके पर जिला परिवार भलाई अफसर डा. राकेश चंद्र ने कहा कि पिछले वर्षों के दौरान सेहत विभाग ने रिपोर्टिंग, मूल्यांकन और एक्शन प्लान के साथ मातृ मृत्यु की मूल्यांकन प्रक्रिया शुरू की थी, जिसके अंतर्गत मां की मौत के कारणों का पता लगाकर ठोस योजना बनाई जाती है। उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य मातृ मौत निगरानी और कार्यवाही के लिए प्रक्रिया को तेज और प्रबंधन को मजबूत बनाना है। उन्होंने यह भी बताया कि मातृ मृत्यु का गुप्त मूल्यांकन करवाने के लिए एक व्यवस्था स्थापित करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि मातृ मृत्यु के कारणों के मूल्यांकन के साथ भविष्य में ठोस कदम उठाए जा सकते हैं।

इस प्रशिक्षण में गायनीकोलोजिस्ट डा. मोनिका जैन और बच्चों के माहिर डा. हरपिदर सिंह ने भी उम्मीदवारों को विस्तारपूर्वक जानकारी दी। इस मौके पर जिला समूह शिक्षा और सूचना अफसर जगत राम, डिप्टी समूह शिक्षा और सूचना अफसर तरसेम लाल और ब्लाक एक्सटेंशन एजूकेटर विकास विर्दी समेत सेहत विभाग के अन्य अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे।


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