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महात्‍मा गांधी की हत्या की खबर पढ़ बदल गया जिंदगी का नजरिया

मोगा के जगदीश कांबोज राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी की हत्‍या की घटना को याद करके आज भी सिहर जाते हैं। उनका कहना है कि इस बारे में खबर पढ़ कर उनकी जिंदगी के प्रति नजरिया बदल गया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 31 Jan 2018 12:55 PM (IST)Updated: Wed, 31 Jan 2018 12:55 PM (IST)
महात्‍मा गांधी की हत्या की खबर पढ़ बदल गया जिंदगी का नजरिया
महात्‍मा गांधी की हत्या की खबर पढ़ बदल गया जिंदगी का नजरिया

मोगा, [विनय शौरी]। 1938 में मोगा के गांव सलीणा में पैदा हुए जगदीश कंबोज की आंखें आज भी 30 जनवरी 1948 के मनहूस दिन को याद कर छलक पड़ती हैं, जब उन्होंने महात्मा गांधी की हत्या का समाचार सुना। हालांकि उस वक्त उनकी उम्र बेहद कम थी, लेकिन इस घटना ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया।

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हत्या के एक साल बाद दैनिक जागरण में पढ़ी थी हत्या की साजिश की खबर

इसकी एक वजह यह भी थी कि इससे ठीक एक साल बाद उन्होंने 'दैनिक जागरण' में गांधी हत्या की साजिश का समाचार पढ़ा था। उस समय वे दिल्ली में थे। कंबोज ने बताया कि विदेश में उच्च शिक्षा हासिल करने के बावजूद बापू ने एक साधू की भांति जीवन व्यतीत किया। ऐसे संत की हत्या की खबर ने जिंदगी के प्रति उनका नजरिया बदल दिया।

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उनका कहना था कि जिस स्थान पर नत्थू राम गोडसे ने महात्मा गांधी को गोलियां मारी थीं, वह स्थान उन्होंने महज 11 साल की उम्र में अपनी आंखों से देखा था।  दिल्ली में अपने भाई प्रेम कंबोज के साथ एक शादी समारोह में गए जगदीश कंबोज आज भी जब उस स्थान को याद करते हैं, तो उनके रौंगटे खड़े हो जाते हैं। वे कहते हैं, देश को आजादी दिलाने वाले एक महात्मा का अंत इतना दर्दनाक हो सकता है, ऐसा शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा।

20 जनवरी 1948 को भी हुआ था हत्या का प्रयास

जगदीश कंबोज के पास दैनिक जागरण में प्रकाशित एक खबर की कटिेंग मौजूद है, जिसमें खुलासा किया गया है कि 20 जनवरी, 1948 को नत्थू राम गोडसे ने महात्मा गांधी को दिल्ली स्थित बिरला मंदिर में मारने की साजिश की थी। इस दिन वह अपने चार अन्य साथियों के साथ बिरला मंदिर पहुंचा था और एक प्रार्थना सभा में मौजूद महात्मा गांधी को बम से उड़ाने की साजिश तहत खिड़की में बम रखने का प्रयास किया।

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जगदीश के अनुसार, खबर में बताया गया था कि इसी दौरान कमरे में मौजूद एक सेवादार ने उसे देख लिया था। इसके बाद उन्होंने साजिश अंजाम देने का इरादा टाल दिया था, हालांकि नत्थू राम गोडसे ने गुस्से में आकर इस बम को मंदिर के बाहर फोड़ा था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार भी किया, लेकिन सबूत और गवाह न होने के कारण अगली सुबह सभी को रिहा कर दिया गया था। 30 जनवरी 1948 को नत्थू राम गोडसे अकेले ही बिरला मंदिर पहुंचा और महात्मा गांधी पर गोलियां चला उनकी हत्या कर दी।

मार्च में जाएंगे बिरला मंदिर

कंबोज ने बताया कि मंदिर के अंदर पहले एक बरामदा और उसके अंदर जाने के बाद दाएं हिस्से में बना कमरा उन्हें आज भी याद है, जहां गांधी जी की हत्या हुई थी। इस स्थान को नमन करने के लिए आज भी वे व्याकुल रहते हैं। मार्च में वह इस पावन स्थल के दर्शन करने का कार्यक्रम तय कर चुके हैं।

कहा- 68 साल पुराना दैनिक जागरण मेरा गहना

जगदीश कंबोज तीसरी कक्षा तक ही पढ़े हैं, लेकिन उन्हें, हिंदी और उर्दू की अच्छी समझ है। आजादी के बाद 26 जनवरी को जिस समय देश का संविधान लागू किया गया था, उस दिन दैनिक जागरण में यह खबर विस्तारपूर्वक प्रकाशित हुई थी। इस अखबार को उन्होंने दिल्ली में रहने वाले अपने रिश्तेदार से हासिल किया और बीते 68 वर्षों से कीमती गहने की तरह संभाले हुए हैं। वे अपने पास आने वाले लोगों को इसे दिखाना नहीं भूलते। वे कहते हैं कि इस अखबार में प्रकाशित गणतंत्र दिवस की खबर को वे जितनी बार भी पढ़ते हैं, उन्हें हर बार नई सी लगती है।


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