खेतों में मजदूरी करने को मजबूर Golden girls ने कायम रखा रुतबा, दंगल में फिर चटाई धूल
सरकार की अनदेखी के कारण मजदूरी करने को मजबूर हुईं गोल्डन गर्ल्स ने अपने गोल्डन होने का रुतबा कायम रखा है।
मोगा [राजकुमार राजूू]। सरकार की अनदेखी के कारण मजदूरी करने को मजबूर हुईं गोल्डन गर्ल्स ने अपने गोल्डन होने का रुतबा कायम रखा है। आर्थिक तंगी ने भले ही उनको खेतों में जाकर धान की खेती को मजबूर कर दिया हो, लेकिन कुश्ती में आज भी इनका कोई सानी नहीं। कस्बा निहाल सिंह वाला के गांव धूड़कोट रंसीह की इन दोनों बहनों ने शुक्रवार को हुए एक और पंजाब स्तरीय मुकाबले में सभी प्रतिद्वंदियों को धूल चटा दी।
एक बहन ने जहां गोल्ड पर कब्जा जमाया, वहीं दूसरी ने ब्रांज मेडल अपनी झोली में डाला। कुश्ती में दिखाए इस दम और दोनों बहनों की मेहनतकश जिंदगी की अखाड़े में दिनभर चर्चा रही। बाबा शेख फरीद कुश्ती अखाड़े में आयोजित इस चैंपियनशिप में मुख्य मेहमान के तौर पर पहुंचे पद्मश्री करतार सिंह भी उनकी प्रतिभा देख हैरान रह गए। उन्होंने कहा कि इन खिलाडिय़ों ने मेडल जीतकर यह साबित कर दिया है कि समय और कुदरत जितना मर्जी उनके उलट चले लेकिन जज्बे और मेहनत इन्हें आगे बढऩे से नहीं रोक सकता।
दरअसल, मोगा के गांव की नेशनल कुश्ती खिलाड़ी अर्शप्रीत कौर व धर्मजीत इन दिनों आर्थिक तंगी का सामना कर रही हैं। पंजाब सरकार की तरफ से भी कोई मदद न मिलने के कारण दोनों बहनें पढऩे व घर चलाने के लिए खेतों में मजदूरी करने के लिए मजबूर हैं। शुक्रवार को हुए अहम मुकाबले से एक दिन पहले भी वह खेतों में मजदूरी करती नजर आई थीं।
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प्रेक्टिस के लिए समय तक नहीं मिलता
अलायंस इंटरनेशनल क्लब की तरफ से करवाए गए इस टूर्नामेंट में गोल्ड जीतने वाली अर्शप्रीत कौर ने बताया कि रोपाई करते समय उनको प्रेक्टिस के लिए समय तक नहीं मिलता था। उसके बावजूद हिम्मत नहीं हारीं और मेडल जीतने का सिलसिला कायम रखा।
कहा-आज पंजाब में हर वर्ग के खेलों में भाग लेने वाले खिलाडिय़ों का इजाफा हो रहा है। पर सरकार का कुश्ती पर ध्यान नहीं है। राज्य के नौजवान व खिलाड़ी सरकार की इसी बेरुखी के कारण बेरोजगारी व नशे की चपेट में आकर मौत के मुंह में जा रहे हैं। वह बहनें भी सरकार की इस व्यवस्था से दुखी हैं। सरकार उनके लिए मुफ्त पढ़ाई का तो बंदोबस्त कर सकती थी।
न सम्मान मिला और न मानभत्ता
ब्रांज जीतने वाली धर्मजीत कौर ने कहा कि उसने पहले भी कांस्य मेडल जीतकर पंजाब की झोली डाला था, लेकिन सरकार की बेरुखी के कारण उसे न तो कोई सम्मान हासिल हुआ और न ही कोई सरकारी मानभत्ता जारी किया गया। बोलीं-पड़ोसी राज्य हरियाणा में कुश्ती को बहुत मान दिया जाता है, लेकिन यहां हमें और कुश्ती को कोई पूछने वाला नहीं।