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फेस्टिवल सीजन में आई Good News, चार महीनों में 76 रुपये प्रति लीटर तक गिरे खाद्य तेलों के दाम

खाद्य तेलों की कीमतों में आई कमी का फायदा आम लोगों को पूरा नहीं मिला है। पुराने एमआरपी के माल को कारोबारी तेजी से निकाल रहे हैं। रिफाइंड सोयाबीन आयल के रेटों में 50 से 75 रुपये प्रति किलो तक की कमी आई है।

By Rajiv Pal sharma Edited By: DeepikaPublished: Tue, 04 Oct 2022 04:49 PM (IST)Updated: Tue, 04 Oct 2022 04:49 PM (IST)
फेस्टिवल सीजन में आई Good News, चार महीनों में 76 रुपये प्रति लीटर तक गिरे खाद्य तेलों के दाम
खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट का सिलसिला जारी है। (सांकेतिक)

राजीव शर्मा, लुधियाना। त्योहारी सीजन में लोगों को खाद्य तेलों की महंगाई से नहीं जूझना पड़ेगा। विश्व बाजार में सुस्त मांग और बंपर पैदावार के कारण खाद्य तेल की आपूर्ति मांग के मुकाबले अधिक हो गई है। यही कारण है कि बीते कुछ माह से तेल की कीमत में लगातार गिरावट जारी है।

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महंगे दाम में खरीदा तेल सस्ते में बेचने को मजबूर कारोबारी

पिछले 140 दिनों के दौरान खाद्य तेलों की होलसेल कीमतों में 76.50 रुपये प्रति लीटर तक की गिरावट दर्ज की जा चुकी है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में भी गिरावट जारी रहेगी। दूसरी तरफ कारोबारियों को महंगे दाम में खरीदा तेल अब उन्हें सस्ते में बेचना पड़ रहा है। कारोबारियों ने सरकार से मांग की है कि उद्योग को संभालने के लिए ठोस उपाय किए जाएं।

तेल बीजों को प्रोत्साहित करने के लिए दिए इंसेंटिव

पिछले सीजन में मलेशिया व इंडोनेशिया में फसल बर्बाद होने और फिर युक्रेन युद्ध के चलते खाद्य तेलों में तेजी का दौर रहा। मई के शुरू में दाम पीक पर पहुंच गए, लेकिन इसके बाद मलेशिया, अर्जेंटीना एवं इंडोनेशिया में फसल बेहतर हुई। अर्जेंटीना ने तेल बीजों को प्रोत्साहित करने के लिए इंसेंटिव दिए।

जुलाई में भारत ने भी कीमतें कम करने के लिए मिलों का टैरिफ रिबेट कोटा तय किया। इस कोटे के तहत आयात को ड्यूटी मुक्त कर दिया। नतीजतन कीमतों में शुरू हुआ गिरावट का सिलसिला अभी तक बना है। सोयाबीन की फसल सिर पर है। ऐसे में खाद्य तेलों की कीमतों को थाम कर ही सरकार तेल बीज का बेहतर मूल्य किसानों को दिला सकती है। - संजय किरमानी, एमडी, सीएल विरमानी एंड कंपनी

पुराने एमआरपी के माल को तेजी से निकाल रहे कारोबारी

खाद्य तेलों की कीमतों में आई कमी का फायदा आम लोगों को पूरा नहीं मिला है। पुराने एमआरपी के माल को कारोबारी तेजी से निकाल रहे हैं। रिफाइंड, सोयाबीन आयल के रेटों में 50 से 75 रुपये प्रति किलो तक की कमी आई है। पुरानी एमआरपी का स्टाक पड़ा होने के कारण लोगों को वही माल बेचा जा रहा है।

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