लुधियाना में वोट बैंक के चलते राजनेताओं ने बनाई सिटी बस से दूरी, सड़कों पर दौड़ रहे अवैध आटो
लुधियाना में इस समय 40 हजार आटो रिक्शा चल रहे हैं। इनमें से बड़ी संख्या में अवैध भी हैं। वर्ष 2015 में हाईकोर्ट ने आदेश जारी किए थे कि डीजल आटो किसी भी कीमत पर नहीं चलेंगे। इसके बावजूद शहर में धड़ल्ले के साथ डीजल आटो रिक्शा दौड़ रहे हैं।
वरिंदर राणा, लुधियाना। महानगर में सिटी बसों के फेल होने के पीछे एक बड़ा कारण सड़कों पर दौड़ रहे अवैध आटो हैं। इसके अलावा कहीं न कहीं राजनेता भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। राजनेताओं ने सिटी बस को बचाने के लिए कोई इच्छाशक्ति नहीं दिखाई।
सिटी बस आज अपनी आखिरी सांसों तक पहुंची
अपने वोट बैंक के खातिर हमेशा अवैध आटो चलाने वाले चालकों को संरक्षण दिया। अगर आटो चालकों को लेकर कोर्ट ने कोई आदेश जारी किए हैं, तो राजनीतिक दबाव में उन्हें सही तरीके से लागू नहीं किया गया। यही कारण है कि सिटी बस आज अपनी आखिरी सांसों तक पहुंच चुकी है।
शहर में धड़ल्ले के साथ दौड़ रहे डीजल आटो रिक्शा
लुधियाना में इस समय 40 हजार आटो रिक्शा चल रहे हैं। इनमें से बड़ी संख्या में अवैध भी हैं। वर्ष 2015 में हाईकोर्ट ने आदेश जारी किए थे कि डीजल आटो किसी भी कीमत पर नहीं चलेंगे। इसके बावजूद शहर में धड़ल्ले के साथ डीजल आटो रिक्शा दौड़ रहे हैं। इन पर कार्रवाई की जिम्मेदारी ट्रांसपोर्ट विभाग और पुलिस की है, लेकिन राजनीति दवाब के चलते दोनों विभाग चुप्पी साधे बैठे हैं।
राजनेता किसी भी हालत में आटो चालकों के वोट बैंक को अपने से दूर करना नहीं चाहते है। आटो रिक्शा चालकों का इतना दबदबा बन चुका है कि सिटी बसों के स्टापेज को लेकर भी पूरी दखलंदाजी रहती है। साहनेवाल रूट इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। यहां पर सिटी बसों को आटो चालक रुकने ही नहीं देते।
एक्सपर्ट व्यू...
स्मार्ट सिटी का जिस समय सर्वे करवाया गया था, उस दौरान लोगों ने शहर के ट्रैफिक को सबसे बड़ी समस्या बताया था। ट्रैफिक समस्या का हल सिटी बस सर्विस है। अगर निगम, ट्रैफिक, आरटीए और जिला प्रशासन अधिकारी मिलकर इसे बचाने का प्रयास करें तो ये योजना सफल हो सकती है। जितनी सिटी बसें ज्यादा चलेंगी, शहर में ट्रैफिक उतना कम होगा। पुरानी हो चुकी बसों को इलेक्ट्रिकल में बदलने पर चर्चा होनी चाहिए। -राहुल वर्मा, ट्रैफिक एक्सपर्ट
आसपास के एरिया के परमिट लेकर चलते हैं आटो
हाईकोर्ट के आदेश में डीजल आटो को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। अब लोगों ने दूसरा रास्ता अपना लिया है। वह खन्ना, जगराओं सहित अन्य जगह से परमिट हासिल कर लुधियाना सिटी में आटो चला रहे हैं। इस बात को ट्रैफिक पुलिस भी चेक नहीं कर रही है। एक आटो में सिर्फ तीन सवारी को बिठाया जा सकता है। यहां पर एक आटो में आठ से दस सवारियों को ले जाया जा रहा है।
यह भी पढ़ेंः- HSGPC को मान्यता देने का विरोधः श्री दरबार साहिब के बाहर एसजीपीसी कर्मचारी काले झंडे लेकर निकालेंगे रोष मार्च
यह भी पढ़ेंः- प्यार ने बनाया चाेरः गर्लफ्रेंड काे खुश करने के लिए तैयार किया गिरोह, ढाई महीने में चाेरी की सैकड़ों गाड़ियां