कच्चा माल नगद खरीद तैयार माल उधार बेच रहे उद्यमी, कैश लिक्विडिटी की कमी
कोरोना महामारी के चलते उद्योग जगत लिक्विडिटी की कमी से जूझ रहा है। हालत यह है कि उद्यमियों को कच्चा माल व अन्य सामान नगद खरीदना पड़ रहा है जबकि तैयार माल उधार में बिक रहा है।
जागरण संवाददाता, लुधियाना : कोरोना महामारी के चलते उद्योग जगत लिक्विडिटी की कमी से जूझ रहा है। हालत यह है कि उद्यमियों को कच्चा माल व अन्य सामान नगद खरीदना पड़ रहा है, जबकि तैयार माल उधार में बिक रहा है। इसके अलावा बाजार में लगी पुरानी पेमेंट का फ्लो भी रुक गया है। रिटेल मार्केट से पेमेंट वक्त पर नहीं आ रही है। ओवरसीज मार्केट में भी पेमेंट का सíकल बढ़ गया है। ऐसे में उद्यमियों की वìकग कैपिटल अटक गई और अब फंड मैनेजमेंट में दिक्कत आ रही है। उद्यमियों ने सरकार से माग की है कि पिछले साल की तर्ज पर कोविड महामारी में हो रहे नुकसान को झेलने के लिए इमरजेंसी लिंक्ड क्रेडिट स्कीम शुरू की जाए। इस संबंध में बैंकों को निर्देश दिए जाएं। इसके अलावा जीएसटी, वैट रिफंड व अन्य निर्यात स्कीमों में अटका हजारों करोड़ रुपये का रिफंड सरकार तुरंत जारी करे। कोविड महामारी के दौरान कम से कम छह माह के लिए विभिन्न तरह के सरकारी टैक्स जमा कराने में राहत दी जाए।
उद्यमियों का दावा है कि लुधियाना के उद्योगों में करीब 85 फीसद तक माल उधार में बिकता है, जबकि केवल 15 फीसद कारोबार ही नकदी में होता है। विभिन्न सेक्टर के अनुसार यह उधार 30 दिन से लेकर छह माह तक का है। साइकिल में तीस से 45 दिन, होजरी में तीन से छह माह तक, फास्टनर में 45 दिन से लेकर तीन माह तक का उधार चलता है। अब कोविड के दौरान देश के कई राज्यों में लाकडाउन लगने के कारण रिटेल एवं होलसेल काउंटर बंद हो गए हैं। रिटेल सेक्टर में सिर्फ आवश्यक वस्तुओं को छोड़ कर अन्य उत्पादों की माग नहीं आ रही है। ऐसे में उद्यमियों को पुरानी पेमेंट नहीं आ रही है। यह सíकल टूटने से बड़ा वित्तीय संकट है। उधर बैंक भी ऐसे माहौल में क्रेडिट देने में फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। ::::::::::::::::::::
उद्योग जगत को विशेष आíथक पैकेज दिया जाए
फेडरेशन आफ पंजाब स्माल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान बदीश जिंदल कहते हैं कि इंडस्ट्री का 90 फीसद तक माल उधार में बिकता है। कोविड के कारण माल की निकासी का संकट पैदा हो रहा है। रिटेल बंद होने से दुकानदारों ने पुरानी पेमेंट देने से हाथ खींच लिए। इससे एमएसएमई सेक्टर की इंडस्ट्री फंड की किल्लत से जूझ रही है। दूसरी तरफ बड़ी कंपनियों ने लोहा व अन्य कच्चा माल उधार देने के बजाय कैश पर देना शुरू कर दिया है। अब हालत यह है कि कच्चा माल नकदी में मिल रहा है, जबकि तैयार माल उधार जा रहा है। इसके अलावा कच्चे माल की कीमतों में जबरदस्त उछाल है। स्टील 80 फीसद तक, प्लास्टिक 90 फीसद तक महंगा हो गया है। साफ है कि इनवेंटरी पर निवेश बढ़ गया है। जिंदल ने कहा कि केंद्र सरकार को चाहिए कि पिछले साल की तर्ज पर उद्योग जगत को इस दौर में भी विशेष आíथक पैकेज दिया जाए। घरेलू रिटेल बाजार लगभग ठप हो गया
फेडरेशन आफ इंडस्ट्रीयल एंड कामर्शियल आर्गनाइजेशन के चेयरमैन एवं नीलम साइकिल्स के एमडी केके सेठ ने कहा कि देश के कई हिस्सों में लाकडाउन का कारोबार पर विपरीत प्रभाव पड़ना शुरू हो गया है। घरेलू रिटेल बाजार लगभग ठप हो गया है। रिटेल काउंटरों पर नया माल नहीं उतर रहा है। इससे इकाइयों में ही माल जमा हो रहा है। रिटेलरों से पुरानी पेमेंट भी आना बंद हो गई है। इससे छोटे उद्यमी फंड की किल्लत से जूझ रहे हैं। सरकार को उनकी मदद करनी होगी। नए माल की बिक्री पर भी बुरा असर पड़ा
फास्टनर सप्लायर्स एसोसिएशन के प्रधान राजकुमार सिंगला के अनुसार फास्टनर उद्योग में सामान्य दौर में 45 से 90 दिन में पेमेंट आती थी, लेकिन अब पेमेंट का पूरा सिस्टम ही ध्वस्त हो गया है। पंजाब में ही सुबह पाच से दोपहर 12 बजे तक ही दुकान खुल रही है। ऐसे में फास्टनर की रिटेल सेल तो चौपट ही हो गई है। नतीजतन पुरानी पेमेंट नहीं आ रही है। इसके अलावा नए माल की बिक्री पर भी बुरा असर हुआ है, क्योंकि लाकडाउन लगा हुआ है।