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Friendship Day: फ्रेंड को खुश देख कहें तू दोस्त है मेरा, मुश्किल की घड़ी में बोलें- मैं हूं दोस्त तेरा

एक दौर में दोस्त एक-दूसरे से मिलने उनके घर पर जाया करते थे। घंटों बैठकर बातें करते थे। अगर एक दोस्त को किसी दूसरे शहर या विदेश जाना पड़ता था तो दूसरे को मिलने का इंतजार रहता था। अब मोबाइल तथा इंटरनेट ने यह दूरी कम कर दी है।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Sun, 01 Aug 2021 04:43 PM (IST)Updated: Sun, 01 Aug 2021 04:43 PM (IST)
Friendship Day: फ्रेंड को खुश देख कहें तू दोस्त है मेरा, मुश्किल की घड़ी में बोलें- मैं हूं दोस्त तेरा
रूबी और वर्तिका पूरे दिन की बातें एक-दूसरे से शेयर करती हैं। जागरण

प्रियंका सिंह, जालंधर। दोस्तों के साथ हर कोई खुलकर अपनी बात शेयर करता है। कहते हैं जिसके पास अच्छे दोस्त होते हैं, उसकी जिंदगी में कोई कमी नहीं होती। कोरोना काल और डिजिटल युग में दोस्ती के मायने भी बदल रहे हैं। एक दौर में दोस्त एक-दूसरे से मिलने उनके घर पर जाया करते थे। घंटों बैठकर बातें करते थे। अगर एक दोस्त को किसी दूसरे शहर या विदेश जाना पड़ता था तो दूसरे को मिलने का इंतजार रहता था। अब मोबाइल तथा इंटरनेट ने यह दूरी कम कर दी है।  

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फ्रेंड से फोन पर हर बात करती हूं शेयर

रूबी सिंह बताती हैं कि वह अपनी फ्रेंड वर्तिका मदान से 7 साल पहले किटी पार्टी में मिली थी। मिलते ही वह बेस्ट फ्रेंड बन गई। मोबाइल और इंटरनेट ने दोस्तों की दूरी को कम किया है। काम की वजह से अलग होने पर भी वह फोन से संपर्क में रहती हैं। हम दोनों पूरे दिन की बातें फोन पर शेयर करते हैं। जैसे कि सारे दिन में क्या काम किया। क्या हुआ, क्या नया किया। 

रूबी कहती हैं कि भले ही वर्तिका उम्र में 10 साल छोटी है लेकिन हम दोनों में बहनों जैसा प्यार है। हमने अपने बीच में कभी भी पैसा गिफ्ट या फिर किसी और को नहीं आने दिया। अगर हमारे बीच कुछ भी गलतफहमी होती है तो फटाफट सॉल्व कर लेते हैं। जब दोस्त खुश हो तो उसे कहो कि तू दोस्त है मेरा और जब दोस्त मुश्किल में हो तो कहो कि मैं दोस्त हूं तेरा। यही है असल दोस्ती।

एक-दूसरे से दूर मगर दोस्ती है गहरीः दीप 

 

दीप (बीच में) अपने दोस्तों संदीप और दिनेश के साथ।

दीप कहते हैं कि मेरे दो दोस्त हैं। संदीप और दिनेश। उनकी दोस्ती 15 साल पहले जिम में हुई थी। तब वे तीनों एक-दूसरे से बिल्कुल अनजान थे लेकिन आज एक दूसरे के लिए हर वक्त हाजिर रहते हैं। तीनों में से किसी एक को भी कहीं से इनविटेशन आता था तो एक साथ जाते थे। आज हम तीनों अलग-अलग फील्ड में काम करते हैं लेकिन एक-दूसरे से मिलने का कोई मौका नहीं गंवाते। दीप कहते हैं, एक बार एक दोस्त को शादी का आमंत्रण आया था। वहां पर हम तीनों बरात आने के 2 घंटे पहले ही पहुंच गए। वह बात हमें आज तक नहीं भूले हैं। यह हमारी जिंदगी के सबसे हसीन पलों में से एक है। जैसी दोस्ती हमारी शुरुआत में थी, वैसी ही आज है। वक्त के साथ दोस्ती में और गहराई आ गई है। अपने अपने काम की वजह से हम तीनों अलग-अलग है लेकिन फोन के जरिए हमेशा एक दूसरे के संपर्क में रहते हैं। दोस्ती जिंदगी का एक अहम पन्ना है, इससे जिंदगी हसीन बनी रहती है। 

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